Monday, 9 September 2019

आलेख - श्री महेंद्र देवांगन "माटी"

पानी के बचत करव

पानी हा जिनगी के अधार हरे। बिना पानी के कोनो जीव जन्तु अउ पेड़ पौधा नइ रहि सके। पानी हे त सब हे, अउ पानी नइहे त कुछु नइहे। ये संसार ह बिन पानी के नइ चल सकय।
पानी बिना जग अंधियार हे ।
एकरे पाय रहिम कवि जी कहे हे ----
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये ना उबरे, मोती मानुष चून।।

आज के जमाना में सबले जादा महत्व होगे हे पानी के बचत करना । पहिली के जमाना में पानी के जादा किल्लत नइ रिहिसे। नदियाँ, तरिया अऊ कुँवा मन में लबालब पानी भराय राहे। जम्मो मनखे मन तरिया, नदियां में जाये अऊ कूद-कूद के, दफोड़ - दफोड़ के डूबक - डूबक के नहा के आये।लइका मन ह घंटा भर ले तँउरत राहे अउ पानी भीतरी छू छुवऊला तक खेले।
एकर ले शरीर ल फायदा तक होवय ।
एक तो शरीर के ब्यायाम हो जाये अऊ दूसर जेला  पानी में तंउरे बर आ जाथे ओहा पानी में कभू नइ बूड़े।

आज तरिया नदियाँ में नहाय बर छूट गेहे तेकरे सेती आदमी मन तँउरे ल नइ सीखे हे। अउ ओकरे सेती कतको आदमी मन पानी में बूड़ के मर जाथे।
नल के नवहइया मन कहां ले तँउरे ल सीखही ? अउ कभू कभार सँऊख से टोटा भर पानी में चल देथे त उबुक  चुबुक हो जाथे।

आज पानी ह दिनो दिन अटात जावत हे जे नदियाँ, तरिया, कुँवा, बावली मन लबालब भराय राहय आज सुखावत जात हे।
गांव मन मे हेण्डपम्प लगे हे ओला टेड़त-टेड़त थक जबे त एक मग्गा पानी निकलथे।
नल में बिहनिया ले संझा तक लाइन लगे रहिथे। पानी के नाम से रोज लडई झगरा होवत हे।

ये सब ह हमरे गलती के कारण हरे। गांव गाँव अउ खेत - खार सब जगा आदमी मन  बोर खोदा डरे हे। धरती दाई के छाती ल जगा जगा छेदा कर डरे हे। पेड़ पौधा  ल रात दिन काटत जात हे। बड़े बड़े कारखाना लगा के पर्यावरण  ल प्रदूषित  करत जात हे। एकरे सब परिनाम आय,पानी ह दिनो दिन कम होवत जात हे।

हमर देश ल नदियाँ के देश कहे जाथे।इंहा गंगा, जमुना, कृष्णा, कावेरी, शिवनाथ, महानदी जइसे कतको बड़े बड़े नदियाँ हे। फेर बड़े दुख के बात हरे के अइसन बड़े बड़े नदियाँ के राहत ले बोतल में पानी ल खरीद के पीये बर परत हे। कोनो ह सोचे नइ रिहिसे के हमरो देश में पानी ल खरीद के पीये बर परही। फेर आज का से का नइ होगे।

आज हमला पानी के बचत करना बहुत जरूरी होगे हे। नही ते आने वाला समय ह अउ भयंकर हो जाही। गांव शहर में देखे बर मिलथे के कतको नल में टोटी नइ राहय।  पानी  ह भक्कम बोहात रहिथे।
त जनता मन ला भी चाहिए कि टोटी लगा के पानी के बरबादी ल रोके ।

जतके पानी के बचत करबो ओतके हमला फायदा हेअऊ आने वाला पीढ़ी ह सुख से रइही ।
ओकरे पाय कहे हे---- जल ही जीवन हे।
पानी जिनगी के अधार ए।
पानी बिना जग अंधियार हे ।

लेखक
महेन्द्र देवांगन "माटी"
पंडरिया  (कवर्धा)
छत्तीसगढ़
मो.- 8602407353

12 comments:

  1. सुंदर लेख,बधाई हो माटी जी।

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  2. बहुत बढ़िया आलेख हे भाई

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  3. बहुत सुन्दर आलेख सर जी।

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  4. पानी के महत्तम ल बढ़िया बताय ह सर जी

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  5. बहुत सुग्घर आलेख सर

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  6. अब्बड़ सुग्घर लेख माटी भइया बधाई

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  7. शानदार माटी जी।हार्दिक बधाई ।

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  8. सुग्घर प्रेरणास्पद लेख।हार्दिक बधाई

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