Saturday, 25 June 2022

गोड़ आदिवासी मन के इष्टदेव आंगा देव* - *दुर्गा प्रसाद पारकर*


*गोड़ आदिवासी मन के इष्टदेव आंगा देव*

- *दुर्गा प्रसाद पारकर*


                        

छत्तीसगढ़ भर म नही बल्कि पूरा दुनिया म सबले जुन्ना गोड़वाना आय। यदि कोनो साढ़े सात सौ बरस ले राज करे हे त ओ गोड़वाना राज आय। गोड़वाना राज वाले मन ल इंकर भाषा, संस्कृति अऊ कला ले चिन्हारी करे जा सकत हे। तभे तो सुजानिक मन के कहना हे- गोड़वाना गोंड़ी धर्म अऊ संस्कृति के दाई आय जऊन ह प्राकृतिक अऊ वैज्ञानिक घलो हे। गोड़वाना राज के गोंड मन के इष्टदेव आंगा देव अऊ बड़ा देव आय। अपन कुल देव बड़ा देव देव के स्थापना नौ+दू दीया बार के करे के बाद कोनो भी कार्यक्रम के मुहतुर करथे। बड़ा देव के तीर पांच करसी , पांच झन देवी देवता जइसे बुड़ा देव लिंगो देव, डिहवारिन, दंतेश्वरी अऊ भूमिहार के सम्मान म मड़ाथे। पूजा पाठ करे के बाद कार्यक्रम के सफलता खातिर सबो देवी-देवता ले बिनती करथे अऊ आंगा देव ले असीस पाए बर ओकर बीच ले बुलके बर परथे। 

आखिर आंगा देव का आय ?

बस्तर जिला के अंतागढ़ वाले महेन्द्र सिंह दुग्गा के मुताबिक-लोक कल्याण करइया पूर्वज के जब जिवरांज (आत्मा) उतरथे ओला लिंगो देव के आदेश ले आंगा म पधराए जाथे।

गोत्र के मुताबिक अलग-अलग देवी-देवता के सम्मान म आंगादेव बनाए बर परथे। जइसे कि बालोद गहन वाले मन कुमरीन पाठ बस्तरहिन के, केशकाल वाले मन नत्तुर बगुण्डी देव के अऊ अंतागढ़ वाले मन सांप वाले आंगा देव सिरजाथे। इही किसम ले सोरी, सलाम अऊ टेकाम मन कछुवा वाले आंगा देव बना के पूजा पाठ करथे। बालोद गहन वाले संतोष कुर्राम ल जब सपना अइस तब हीरा पेड़ ल काट के आंगा देव बनइस।

आंगा देव बनाए खातिर दु ठन मोदगरहा लकड़ी ल छोइल चांच के चिक्कन कर के दुनो खम्भा ल बांस के सहारा ले जोड़े बर परथे। दुनो बांस के बीच म नवा कपड़ा बिछा के आंगा देव ल पहिरा देथे। गोड़ मन के मानना हे कि इही बांस के बीचो - बीच जीव बिराजमान रथे। घंटा के आगु  मंजुर छतराए कस मंजुर पीख ह शोभा ल बढ़ाथे।

जतके जादा दही ओतके जादा लेवना। जेकर ले पूर जथे उन मन चांदी के गाहना गुरिया पहिरा के आंगा देव के सिंगार करथे। सपना के मुताबिक जइसन-जइसन आंगा देव ओइसने-ओइसने उंकर मान गऊन। आंगादेव के पूजा खातिर दारू के जरूरत परथे। तीही पाए के दारू ल आदिवासी संस्कृति के देन माने गे हे। आजो घलो गोड़ मन बर सरकार डाहर ले दारू प्रतिबंधित नइ हे। आदिवासी मन बर दारू संस्कृति ल बरदान काहन ते अभिशाप। गोड़वाना मन के भल्ले दिन ले राज करे के बाद भी आज इंकर दशा ओतना नइ सुधरे हे जतना सुधरना चाही । एकर जिम्मेदार कोन हे ? इमन या दूसर। आज अपन विकास खातिर पर उपर दोस मढ़े ले बढ़िया बात अपन आप ल गुनना हे ताकि जय परसापेन, जय सगापेन, सल्ला गागरा मोद वेरची कस 750 गोत्र वाले गोड़ मन के गोड़ी धर्म, संस्कृति साहित्य अऊ कला ल जस के तस बचाए जा सके।


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