Monday, 26 September 2022

सुरता" सुशील यदु* आज पुण्यतिथि मा शत शत नमन

 



*"सुरता" सुशील यदु* 

आज पुण्यतिथि मा शत शत नमन


                सहज,सरल,मृदुभाषी अउ मिलनसार व्यक्तित्व के धनी स्व. सुशील यदु के जन्म – 10 जनवरी 1965 के ब्राह्मणपारा रायपुर म होय रहिस। आपके पिता के नाम स्वर्गीय खोरबाहरा राम यदु रहिस ।  एम.ए.हिंदी साहित्य तक शिक्षा प्राप्त यदु जी मन प्राइमरी स्कूल म हेड मास्टर रहिन।  छत्तीसगढ़ राज्य बने के पहिली ही छत्तीसगढ़ी भाषा ला स्थापित करे खातिर जेमन संघर्ष करिन वोमा सुशील यदु जी के नाम अग्रिम पंक्ति में गिने जाथे। छत्तीसगढ़ी भाखा अउ साहित्य के उत्थान खातिर हर बछर छत्तीसगढ़ म बड़े-बड़े साहित्यिक आयोजन करना जेमा प्रदेश भर के 300-400  साहित्यकार मन ल सकेल के ओकर भोजन पानी के व्यवस्था करना अइसन काम केवल सुशील यदु ही कर सकत रहिन।  छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन के लोकप्रिय हास्य व्यंग्य कवि के रूप म उमन जाने जात रहिन। छत्तीसगढ़ी के उत्थान बर अपन पूरा जीवन खपा दिन अउ अंतिम सांस तक छत्तीसगढ़ी भाखा ल स्थापित करे के उदिम करत रहिन। 

                 सन 1981 में जब प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के स्थापना होइस तब वो बखत कोनो सोंचे नइ रहिन होही कि आघू चल के ये संस्था छत्तीसगढ़ी भाखा ल स्थापित करे बर मील के पथरा बनही । सुशील यदु के अगुवई म ये संस्था छत्तीसगढ़ राज के 18 जिला म छत्तीसगढ़ी के विकास खातिर संकल्पित होके काम करिस अउ आज पर्यन्त उँकर 'बाना बिंधना" उठाए काम करत हवय । छत्तीसगढ़ी साहित्य परिषद रायपुर ले सैकड़ो साहित्यकार, कलाकार, संस्कृतिकर्मी अउ रंगकर्मी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ेच रहय। सन 1994 म पहिली प्रांतीय सम्मेलन के आयोजन होइस जेन आज पर्यंत जारी हे। सन 2007 म छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के रजत जयंती वर्ष मनाय गिस। यदुजी के उठाय हर कदम सराहनीय रहय । हर बछर ये संस्था के माध्यम से लगभग 8-10 सम्मान अलग-अलग क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने वाला मन के करँय जेन आज पर्यन्त चलत हवय। अपन संस्था के माध्यम ले उमन छत्तीसगढ़ के अनेक हस्ती ल सम्मानित करिन जेमा- साहित्यकार, लोक कलाकार, पत्रकार, फिल्मी कलाकार, रंगकर्मी आदि शामिल हे। छत्तीसगढ़ के लगभग हर बड़े साहित्यकार और लोक कलाकार के सम्मान सुशील यदु जी मन संस्था के माध्यम ले करिन।

                  महिला साहित्यकार मन ला प्रतिनिधित्व देना यदु जी के खासियत रहिस ।उँकर प्रांतीय साहित्य समिति के वार्षिक आयोजन के लोकप्रियता के अंदाजा आप इही बात ले लगा सकथव कि साहित्यकार मन ला साल भर ये आयोजन के इंतजार रहय। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण खातिर  स्वर्गीय हरि ठाकुर संग जुड़के आंदोलन ल गति दे के काम यदुजी करिन। छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद छत्तीसगढ़ी भाषा ल राजभाषा बनाय बर अउ पाठ्यक्रम म शामिल करे खातिर कई बार प्रांतीय सम्मेलन के माध्यम ले आवाज ल सरकार तक पहुंचाइन। राजभाषा बने के बाद घलो उमन चुप बइठ के नइ रहिन अउ छत्तीसगढ़ी ला राजकाज के भाखा बनाय बर, छत्तीसगढ़ी ला आठवीं अनुसूची में शामिल करे बर आजीवन लड़त रहिन। 

                  छत्तीसगढ़ी म यदु जी कालजई गीत घलो लिखे हवय जेमा कुछ के ऑडियो-वीडियो भी बने हे अउ फिल्म मा भी आ चुके हे। उँकर लिखे गीत अउ हास्य व्यंग्य के कविता के छाप आज भी जनमानस में देखे जा सकत हे । रायपुर के दूधाधारी मठ उँकर कई बड़े आयोजन के साक्षी हवय। कवि सम्मेलन के मंच म- "घोलघोला बिना मंगलू नइ नाचय, अल्ला-अल्ला हरे-हरे, होतेंव कहूँ कुकुर, नाम बड़े दर्शन छोटे, कौरव पांडव के परीक्षा जइसन हास्य व्यंग्य कविता ले उन खूब वाह-वाही लूटिन । 

                    सन 1993 ले 2002 तक दैनिक नवभारत म छत्तीसगढ़ी स्तंभ "लोकरंग" के लोकप्रिय लेखक रहिन । लोकरंग के माध्यम ले उमन छत्तीसगढ़ी के साहित्यकार अउ लोक कलाकार मन ला आघू लाय के प्रशंसनीय कार्य करिन। 

                   सुशील यदु जी अपन संपादन म वरिष्ठ और अभावग्रस्त साहित्यकार मन के किताब के प्रकाशन करे के सराहनीय काम करिन । हेमनाथ यदु, बद्री विशाल परमानंद, रंगू प्रसाद नामदेव, लखन लाल गुप्त, उधो झकमार, हरि ठाकुर, केशव दुबे, रामप्रसाद कोसरिया जइसन ख्यातिनाम साहित्यकार मन के रचना ल पुस्तक के रूप म प्रकाशित करवाइन। अपन संपादन म छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के द्वारा  कुल 15 पुस्तकों के प्रकाशन श्री यदु जी करिन जेमा- 1. हेमनाथ यदु के व्यक्तित्व अउ कृतित्व  2. बन फुलवा   3.पिंवरी लिखे तोर भाग  4. छत्तीसगढ़ के सुराजी वीर काव्य गाथा ,5. बगरे मोती  6. हपट परे तो हर-हर गंगे  7. सतनाम के बिरवा 8. छत्तीसगढ़ी बाल नाटक 9. लोकरंग भाग -1 ,  10. लोकरंग भाग -2  11. घोलघोला बिना मंगलू नहीं नाचय, 12. ररूहा सपनाय दार-भात  13. अमृत कलश  14. माटी के मया  15. हरियर आमा घन मँउरे, 16. सुरता राखे रा सँगवारी हवय।

                 छत्तीसगढ़ी के दिवंगत साहित्यकार मन के सुरता म उमन "सुरता" कड़ी के शुरुआत करिन जेमा - सुरता हेमनाथ यदु, सुरता भगवती सेन , सुरता डॉ नरेंद्र देव वर्मा , सुरता हरि ठाकुर, सुरता कोदूराम दलित , सुरता केदार यादव,सुरता बद्री विशाल परमानंद ,गणपत साव, मोतीलाल त्रिपाठी मन ल सोरियाय के अनुकरणीय काम करिन। प्रांतीय साहित्य समिति के बैनर म बड़े-बड़े छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलनों के आयोजन घलो करिन। उँकर स्वयं के पांच कृति प्रकाशित होय हवय । वर्ष 2014 म प्रकाशित उँकर कृति हरियर आमा घन मउँरे  (सन 1982 ले 2012 तक उँकर द्वारा लिखे गीत अउ व्यंग्य कविता कुल 51 रचना के संग्रह) प्रकाशित होइस जेन खूब लोकप्रिय होइस।

                कार्यक्रम आयोजन अउ संयोजन करे के गजब के क्षमता यदु जी म देखे बर मिलिस। उँकर संग मोर लगभग 18 बछर के साथ रहिस उन खुले दिल के व्यक्ति रहिन । बातचीत के दौरान  कभू कभू उमन कहि दय कह -*अब आघू के काम तुम युवा मन ला ही करना हवय अपन अपन कमान ल संभाल लव*  तब हमन कहन कि  आपके रहत ले का चिंता है भैया ? फेर हमन उनका इशारा नइ समझ पायेन । मैं कभू नइ सोंचे रहेंव कि अतका जल्दी हम सब ल छोड़ के उँमन चल देही। उँकर अगुवाई म छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के अंतिम सम्मेलन 14 और 15 जनवरी 2017 के तिल्दा म होय रहिस। कई साहित्यकार मन आज भी इही बात ल बार-बार कहिथे कि उनला नइ मालूम रहिस कि ये सम्मेलन हा उँकर जीवन के आखिरी प्रांतीय सम्मेलन होही ओकर बाद यदु जी से कभू मुलाकात नइ हो पाही।  

                   यदुजी के पूरा जीवन संघर्षमय रहिस । अंतिम समय म कुछ दिन आईसीयू म रहिन, उँहा ले छुट्टी होके घर आ गे रहिन फेर नियति के लिखे ल कोन टार सकथे। 23-09-2017 के रात 9:30 बजे मोला खबर मिलिस कि यदु जी नइ रहिन । कुछ देर तो मोर हाथ-पांव सुन्न होगे। अइसन व्यक्तित्व के सुरता आज भी रहि रहि के आथे अउ आँखी ले आँसू  बरसे लगथे। 

                  सुशील यदु के नाम लोक साहित्य, लोक कला अउ लोक संस्कृति के पर्याय बनगे रहिस । उँकर जाय ले छत्तीसगढ़ी साहित्य के एक अध्याय समाप्त होगे । भाषा के उत्थान बर जूझने वाला, लड़ने वाला अउ दिन रात एक करइया व्यक्तित्व नइ रहिन। छत्तीसगढ़ी ल स्थापित करे के दौर म उँकर चले जाना छत्तीसगढ़ी साहित्य  बर अपूर्णीय क्षति हे जेकर भरपाई नहीं हो सकय।

                 

               *अजय अमृतांशु *

                     भाटापारा

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