Sunday, 17 July 2022

छत्तीसगढ़ी हाना, अर्थ अउ वाक्य म प्रयोग

 


छत्तीसगढ़ी हाना, अर्थ अउ वाक्य म प्रयोग 



मुहावरा अउ कहावत मन कोनो भी भाखा के आत्मा होथंय. 

मुहावरा ह पूरा वाक्य नइ होय. येहा वाक्य के अंश या भाग होथे.येहा विकारी शब्द आय जेहा काल, वचन अउ पुरुष के अनुसार 

बदलत रहिथे. अउ हाना (कहावतें) के बात करन त अपन आप म पूरा वाक्य होथे -जइसे -दूबर ल दू असाड़.  काल, वचन अउ पुरुष के अनुसार येमा बदलाव नइ होय.  कहावत ल विश्व के नीति साहित्य के अंग माने गे हवय. कहावत के अर्थ कहना या कथन होथे. अंग्रेजी म येकर बर "वेलशेड" अउ संस्कृत म "सुभाषित" शब्द लागू होथे. छत्तीसगढ़ी म लोकोक्ति (कहावतें) ल हाना कहे जाथे.  छत्तीसगढ़ी भाखा ह हाना प्रधान भाखा आय. हाना ह हमर भाखा के परान तो आय येकर सुभाव अउ सिंगार घला आय. पांव पुट येकर प्रयोग होत रहिथे. छत्तीसगढ़ के गाँव मन म बात -बात म, हर वाक्य म हाना सुने बर मिल जाही. छत्तीसगढ़िया मन के कोनो वाक्य ह बिना हाना के पूरा होयेच नइ. 

   हाना के आधार कोनो न कोनो घटना होथे. हाना ह लोक अर्थात जनता के देन हरे. हाना ह परीस्थिति के अनुसार प्रयोग करे जाथे. हाना के उद्देश्य कोनो बात ल तर्क द्वारा सही ठहराना या विरोध करना होथे. येमा नीति परक बात के संगे- संग "ताना" घलो रहिथे जेला सुन के आदमी ह गुने ल लागथे. येकर ले जिनगी म सुधार होथे अउ जिनगी रुपी गाड़ी ह सही रद्दा म चले ल लागथे. 

     जमाना ह अब बदलत जावत हे. जइसे- जइसे लोग लइका मन पढ़त -लिखत जावत हे त कतको बात ल भूलत घलो जावत हे. तइहा के बात ल बइहा लेगे हाना ह सही होत जात हे. हाना म घलो यहू बात लागू होथे. अब देखे ल मिलत हे कि छत्तीसगढ़ी भाखा के 

स्वरूप ह घलो बदलत जावत हे. हाना के प्रयोग ह कम होवत जावत हे. हमन ल देखे ल मिलथे कि एक शिक्षित आदमी के तुलना म एक ग्रामीण जउन ह भले पढ़े लिखे नइ हे वोहा ठेठ छत्तीसगढ़ी म बात करके सबला प्रभावित कर लेथे. ये जगह पढ़े लिखे मनखे मुंह ताकत रहि जाथे. नवा पीढ़ी मन अपन महतारी भाखा ले 

दूर होवत जावत हे. अंग्रेजी, हिंदी अउ आने भाखा सीखना बने बात हरे. जिनगी म आगू बढ़े बर यहू जरुरी हे. पर हमन ल अपन महतारी भाखा ल नइ भूलना चाही. येला बोले म गर्व महसूस होना चाही. काबर कि जउन अपन महतारी भाखा ल भूल जाथे तेमन धीरे ले अपन संस्कृति अउ सभ्यता ल घलो भुल जाथे. 

    अब के नवा पीढ़ी मन अपन गुरतुर महतारी भाखा ल भुलावत जावत हे. अइसन स्थिति म ये मन हाना मन ल का सरेखही, का जानहीं! अइसे जनावत हे कि अवइया पढ़े- लिखे पीढ़ी ह हाना ल भुला जाही. अइसमे भूलत -बिसरत हाना मन ल सकेले -संजोय के उदिम हमर छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर ग्रुप द्वारा करे जाथे. येकर खातिर ग्रुप एडमिन गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी के संगे-

संग ये विषय म अपन कलम चलइया बुधियार साहित्यकार मन ल गाड़ा -गाड़ा बधाई अउ शुभ कामना देवत हंव. 


  हाना के प्रकार -


   हाना कई प्रकार के होथे. 


1.खेती- किसानी  अउ प्रकृति के हाना 


2.शिक्षा अउ नीति के हाना 


3.जाति ले जुड़े हाना 


4.धंघा -पानी ले जुड़े हाना 


5.नाता -रिश्ता के हाना 


6.हंसी -मजाक के हाना 


7.शरीर के अंग मन ले जुड़े हाना 


8.जगह संबंधी हाना 


9. पशु -पक्षी संबंधी हाना 



  हाना के लक्षण-


 छत्तीसगढ़ी हाना के जउन लक्षण 

देखे ल मिलथे वोमा ये प्रकार हे. 

 

1. छोटकू /लघुता 


2. सरलता 


3.लय या गीत 


4.तुक 


5.निरीक्षण अउ अनुभूति के अभिव्यंजना


6.प्रभावशाली अउ लोक रंजकता


हाना ह लोक जीवन ल समझे म सहयोग करथे. उहां के मन का सोचथे, का जिनीस ल बने कहिथे अउ काला पसंद नहीं करय.ये सब हा उहां के हाना म देख ल मिलथे.


  1 . खेती -किसानी ले जुड़े हाना 


हमर छत्तीसगढ ल धान के कटोरा कहे जाथे. खेती -किसानी इहां के रहवासी मन के जिनगानी हरे.येकर सेति इहां खेती -किसानी उपर नंगत अकन गाना अउ हाना बने हवय.त आवव हाना ल पढ़व.


1.आषाढ़ करै गांव -गौतरी,

कातिक खेलय जुआं.

पास -परोसी पूछै लागिन ,

धान कतका लुआ.


अर्थ -   जउन किसान आषाढ़ माह म गांव -गांव घूमथे अउ कातिक माह म जुआं खेलथे वोकर धान नइ हो पाय. त परोसी ह अइसन मनखे उपर व्यंग्य करके पूछथे कि " धान कतका लुआ". येमा बताय गे हवय कि किसान ल आषाढ़ अउ कातिक माह म गजब मिहनत करना चाही. 


2.अपन हाथ मा नागर धरे, 

वो हर जग मा खेती करे .


अर्थ- खेती -किसानी म खुद ल नंगत मिहनत करे ल लागथे. खेती म दूसर भरोसा रहिबे त अब्बड़ नुकसान उठाय ल पड़थे. काबर कि सही समय म बांवत नइ होय ले खेत ह परिया पड़ जाथे. 


3.तीन पईत खेती, 

दू पईत गाय. 


अर्थ -  किसान ल अपन खेत -खार डहर तीन घांव जाके सेवा करना चाही. अइसन नइ करे ले कतको प्रकार ले नुकसान उठाय ल पड़थे. वइसने गाय के दू बार सेवा -जतन करना चाही. खेती अउ गाय किसान के सहारा होथे त बने जतन करना जरुरी हे. 


4.कलजुग के लइका करै कछैरी, 

   बुढ़वा जोतै नांगर. 


अर्थ - ये हाना म व्यंग्य अउ पीरा दूनो छुपे हे. बदलत जमाना म लइका मन पढ़ -लिख के खेती-किसानी डहर एको कनक धियान नइ देय. भले वोमन दूसर के चाकरी कर लिही फेर खेती करे म हीन भावना रखथे. अइसन स्थिति म जवान लइका के ददा ह नांगर जोते बर मजबूर रहिथे. 


5.धान -पान अउ खीरा, 

ये तीनों पानी के कीरा. 


अर्थ - धान, पान अउ खीरा ह तभे होथे जब बने पानी गिरथे .पानी के कमी ले ये तीनों ह सही ढंग ले नइ हो पाय. 


6.एक घांव जब बरसे स्वाति, 

कुरमिन पहिरे सोने के पाती. 


अर्थ - ये हाना के मतलब हे कि जब स्वाति नक्षत्र म एक घांव बने पानी गिर देथे त फसल ह बने होथे. अउ जब फसल ह बने होथे त जिनगी के जिये के जरुरी जिनीस के संगे -संग माई लोगन मन के गहना -गुटा के सउंक ह घलो पूरा हो पाथे. 


7.भांठा के खेती, 

अउ चेथी के मार. 




अर्थ - कन्हार जमीन म बने फसल होथे. येकर उल्टा भांठा जमीन म खेती- किसानी करे म नंगत मिहनत करे ल पड़थे तभो ले बने फसल हाथ म नइ आ पाय. जइसे चेथी ल मार पड़ जाथे 

त अब्बड़ पीरा होथे वइसने पीरा के अनुभव भांठा जमीन म खेती करे ले होथे. 


8.बरसा पानी बहे न पावै, 

तब खेती के मजा देखावे. 

अर्थ - ये हाना म बरसात के पानी ल रोके बर संदेश दे गे हवय. जब पानी ल सहेज के रखबो त मानलो एकाध पानी नइ गिर पाही त वो बेरा म बरसात के पानी ह फसल ल पकाय के काम करही. ये हाना ले पता चलथे कि हमर छत्तीसगढ़ के किसान कत्तिक गुनिक हे. आज वाटर हारभेस्टिंग के बात चारो डहर कहे जाथे जबकि ये हाना ह तो न जाने कत्तिक पहिली ले बने हे .


9.जइसन बोही, 

तइसन लूही .


अर्थ - ये हाना म गीता के संदेश हवय. जइसन कर्म करबे तइसे फल पाबे. वइसने बात खेती -किसानी म लागू होथे. जब बने मिहनत करबे त फसल बने होही अउ कोढ़ियई करके काम करबे त 

फसल कहां ले बने होही.


  हाना के लक्षण -


१. लय या गीत वाला हाना 



१.खाय बर जरी, बताय बर बड़ी .


अर्थ - अपन हैसियत ले जादा बताना. कोनो चीज ल बढ़ा -चढ़ा के गोठियाना. 


२..जाड़ कहिथे लइका मन ल छुअंव नइ, जवान हे मोर भाई. 

डोकरा मन ल छोड़व नइ, कतको ओढ़ रजाई. 


अर्थ - लइका मन ल कम, जवान मन ल साधारण अउ सियान मन ल जादा जाड़ लागथे. जादा जाड़ ले सियान मन गुजर घलो जाथे. 


३.बिन बल के बजनी बाजे, बिन गला के गीत. 

बिना ठसा के हाँसी हँसे, तीनों गपड़वा मीत. 


अर्थ - अपन बल, बुद्धि, योग्यता ले ऊपराहा जाके काम करइया मन बर ये हाना बोले जाथे. मूरख- मूरख मन जब संगवारी बन जाथे त अइसने होथे. 


४.अरे हरना, समझ के चरना. 

एक दिन होही, तोरो मरना. 


अर्थ - ये जिनगी ह पानी के बुलबुला जइसे होथे जेहा देखते देखत फुट जाथे. जउन मनखे ये दुनिया म आहे हे वोला एक दिन इहां ले जररु जाय ल पड़ही .


५.फुटहा करम केफुटहा दोना.

पेज गंवा गे चारो कोना .


अर्थ - परेशानी म अउ ऊपराहा परेशानी आ जाथे तेकर बर ये हाना कहे गे हवय. 


६.जियत न देहौं कौरा, 

मरे उठाहौं चौरा. 


अर्थ - जियत रिहिस त दाई -ददा ल बने ढंग ले खाय बर नइ पूछिस अउ उंकर मरे के बाद मठ बना के दिखावा करत हे. 


७.तन बर नइ हे लत्ता, जाय बर कलकत्ता. 


अर्थ - अपन हैसियत ले जादा खरचा करना. 


८.ज्ञानी मारे ज्ञान ले, अंग -अंग भिन  

जाय. 

मूरख मारे लउठी ले, मूड़ -कान फूट जाय.  


अर्थ - बुधियार मनखे ह बैरी मन ल अपन बुद्धि ले मारथे. अउ धीरे ले वहू ल अपन वश म कर डालथे. येकर उल्टा मूरख आदमी ह अपन बैरी ल लउठी म मार के वोकर मूड़ -कान फोड़ डालथे.


२.तुक संबंधी हाना-


१ .काम न बूता,पहिरे बर सूता


अर्थ - काम बर ढेरियाना अउ सिंगार करे बर अघुवाना.


२.मान न बड़ई ,कहां जाबे मड़ई 


अर्थ - जिहां मान- सम्मान  नइ मिले उहां बिल्कुल नइ जाना चाही.


३.मन म आन, मुंह म आन


अर्थ -  मीठ -मीठ गोठियाना पर अंदर ले कपट भाव रखना .


४.सांच ल का आंच

अर्थ - बने मनखे ल गलत ठहराय ले वो गलत नइ हो जाय. सही आदमी ल कोनो फर्क नइ पड़य.


३.निरीक्षण अउ अनुभव संबंधी हाना-


   हाना ल बने समझ के बनाय जाथे.कोनो घटना या कोनो चीज के बने जांच -पड़ताल करके हाना सिरजाय जाथे  .


१.संझा के पानी बिहनिया के झगरा.


अर्थ - जेकर संग बैर हे वोकर ले लड़े बर  मउका खोजना.


२.दूधो जाय दुहनी जाय.


अर्थ - सरबस नुकसान पहुंचना   .


३.आंजत- आंजत कानी


अर्थ - बने दिखे के साद म नुकसान होना


४.प्रभावशीलता अउ लोक रंजकता-


 कई ठन हाना ह गजब प्रभाव डाले के संगे -संग अब्बड़ मनोरंजक होथे. 


१.अंधवा पीसे कुकुर खाय.


अर्थ - बेकार के मिहनत करना


२.दीया तरी अंधियार


अर्थ - साधन- संपन्न होय के बावजूद कमी झलकना.


५.सरलता वाला हाना-


१ .अड़हा बैइद परान घात


अर्थ - अधूरा ज्ञान वाला मनखे ले अक्सर नुकसान पहुंचथे.


२.घीव गंवागे खिचरी म


अर्थ -नुकसान के भरपाई  नइ हो पाना.


हाना के वर्गीकरण-

१. खेती अउ प्रकृति संबंधी हाना- येकर उदाहरण उपर म रख चुके हंव 



२. स्थान परक हाना


  कोनो भी शहर अउ गांव के अपन निजी पहचान होथे. उंकर गुण- दोष ल देख के हाना बन जाथे .


१.रात भर गाड़ी जोते कुकदा के कुकदा


२.बेलगांव कस  बईला धपोर दिस .


३.छुईखदान के बस्ती,जय गोपाल के सस्ती


४.संगीत के गढ़ माने खैरागढ़


 ५.मानव -मंदिर   के चाय अउ गठुला के पोहा . 


राजनांदगाँव के छुईखदान नगर म  

वैष्णव मन जादा निवास करथे. वो मन अपन सामान्य बेवहार म "राम -राम "के जगह "जै गोपाल "कहिके एक दूसरा ल आदर भाव  देथे. तेकर सेति उहां बर कहे गे हवय - "छुईखदान के बस्ती, जै गोपाल के सस्ती. 


    अइसने राजनांदगाँव के मानव मंदिर (होटल) चाय -नास्ता बर प्रसिद्ध हे त गठुला गाँव के टीकम होटल  के पोहा के गजब सोर हे. राजनांदगाँव शहर के मन घलो सिरिफ पोहा खाय बर गठुला जाथे. तेकर सेति सहज हाना बन गे हवय - "मानव मंदिर के चाय अउ गठुला के पोहा. "


६.बागनदिया रे झन जाबे मंझनिया 


अर्थ-  छत्तीसगढ़ के बूड़ती दिशा म महाराष्ट्र सीमा ले लगे बागनदी घोर जंगल डहर के गाँव हरे जिहां नदी बहिथे वोकरो नाँव बागनदी हे. पहिली ये नदी म जंगली जानवर मन मंझनिया पियास मरे त पानी पीये ल आय. तेकर सेति हाना बने हे -"बागनदिया झन जाबे मंझनिया ". इही शीर्षक ले छत्तीसगढ़ी गाना घलो जन -जन म प्रसिद्ध हे. 


७.छै आगर छै कोरी रिहिस तरिया, तेकर सेति सुरगी के सोर हे बढ़िया. 


अर्थ - कहिथे कि तइहा जमाना म सुरगी गाँव म छै आगर छै कोरी  माने 126 तरिया रिहिस. समय के संग सैकड़ो तरिया पटागे. अभनो इहां दर्जन भर ले जादा तरिया हवय. "दसमत कैना "लोक गाथा के प्रसंग घलो सुरगी ले जुड़े हवय. 


 ८.सुरंग के गाँव माने सुरगी 


अर्थ- कहिथे कि गांव म पहिली सुरंग रिहिस हे तेकर सेति सुरगी नाम पड़िस. सुरंग के संबंध ओड़ार बांध टप्पा ले जुड़े हुए बताय जाथे. जन श्रुति हे. 


३.जाति संबंधी हाना -


१.  नाऊ के कचर- कचर त गहिरा के जतर -खतर .

२.आय देवारी राऊत माते .

३.. मर -मर पोथी पढ़े तिवारी, घोंडू मसके सोहारी .

४. उजरिया बस्ती के कोसरिया ठेठवार. 

५. संहराय बहुरिया डोम के घर जाय. 

६. तेली घर तेल रहिथे त पहार नइ पोते. 

७.मातिस गोंड़ दिस कलोर, उतरिस नशा दांत निपोर. 

८. गांव बिगाड़े बम्हना, खेत बिगाड़े सोमना. 

९. जइसे दाऊ के नाचा तइसे नाऊ के नाचा. 

१०. चिट जात तेली घोरन जात कलार, कुर्मी जात मदन मोहिनी घोरमुंहा जात कलार. 

११   बाम्हन मरे गोड़ के घाव, कुकुर मड़े मुड़ के घाव. 

१२.. हाथी बर गेड़ा कोष्टिन बर खेड़हा. 


४.. पशु -पक्षी संबंधी हाना -


१ . दुधारु गाय के लात मीठ 


अर्थ- जेकर ले फायदा होथे भले वोहा करु गोठियाय या खिसियाय सुने ल पड़थे. 


२. नवा बइला के नवा सींग, चल रे बइला टींगे -टींग 


अर्थ - शुरु म कोनो काम म अब्बड़ जोश रहिथे. नवा -नेवरिया मन नंगत के काम करथे चाहे कोनो भी क्षेत्र म हो. 


३.परोसी बुती सांप नइ मरे .

अर्थ - घर म कोनो प्रकार ले विपदा आय हे तेला खुदे निपटाय ल पड़थे नइ ते अब्बड़ नुकसान उठाय ल पड़थे. 


४. कुकुर भूंके हजार, हाथी चले बाजार 

अर्थ - यदि तैंहा अपन जगह सही हस त कतको बैरी मन तोर पाछु पड़ जाय कोनो प्रकार ले नइ बिगाड़ सकय. 

५  बोकरा के जीव जाय खवइया ल अलोना. 

अर्थ - दूसर ल पीरा पहुंचा के मजा उड़ाना. 


५.  प्रकीर्ण हाना -


    ये प्रकार के हाना म ज्ञान, शिक्षा , कर्तव्य, उपदेश, उपहास, व्यंग्य, दृष्टांत, समाज अउ जातीय जीवन के कतको क्षेत्र उपर मार्मिक बात अउ चुभने वाला हाना मिलथे. 


1.  सब पाप जाय फेर मनसा पाप नइ जाय. 


अर्थ- मन म शंका हे त वोहा बड़का बीमारी हरे जउन ह नइ दूर होय. 


2.  भाजी म भगवान राजी 


अर्थ - कोनो ल कम सुविधा म मान- सम्मान देना. जइसे भगवान कृष्ण ह राजा दुर्योधन के छप्पन भोग ल नइ खाके अपन भक्त विदुर के घर भाजी संग भोजन करिस. 



       हाना के कतको भंडार पड़े हे. अवइया बेरा म अउ गोठ- बात

करबो. 


संदर्भ - 1. सियान मन ले सुने

 हाना के आधार पर .

     2. साकेत स्मारिका 2014 ,विशेषांक - "छत्तीसगढ़ी जन जीवन म हाना के प्रभाव "

  3.आदरणीय डॉ. पीसी लाल यादव जी अउ आदरणीय कुबेर सिंह साहू जी के लेख के आधार पर .

4. छत्तीसगढ़ी का सम्पूर्ण व्याकरण -२०१९ (संपादक - आदरणीय डॉ. विनय कुमार पाठक जी अउ आदरणीय डॉ. विनोद कुमार वर्मा जी के लेख के आधार पर. 

5. सर्व शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2011 म प्रकाशित किताब के आधार पर.        

               ओमप्रकाश साहू" अंकुर"


               सुरगी, राजनांदगांव


          मो. ७९७४६६६८४०


3 comments:

  1. बहुत सुन्दर सर जी

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  2. बहुत सुन्दर अंकुर जी

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  3. गजब सुघ्घर। सराहनीय। एकर क्रम जारी रहै।

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