पुरखा के सुरता - श्रद्धेय केयूर भूषण
जुन्ना पुराना चिट्ठी मन घलो अपन आप मा एक इतिहास होथें। बाबूजी के नाम मा श्रध्देय केयूर भूषण जी के दू पोस्ट कार्ड मोर तीर रखाए हे। एक चिट्ठी मा 19 मार्च 1957 के डाकघर के ठप्पा लगे हे। प्रेषक मा आदरणीय खूबचन्द बघेल जी के नाम घलो हावय। "छत्तीसगढ़ी महा सभा" के एक बछर बाद खास मुद्दा ऊपर चर्चा करे खातिर कार्यकर्ता मन बर दू दिवसीय बैठक के सूचना आय। ये चिट्ठी बतावत हे कि "छत्तीसगढ़ महा सभा"के गठन 1956 मा होय रहिस। ये सभा के कार्यकर्ता जम्मो छत्तीसगढ़ के रहिस।
दूसर चिट्ठी 29 जनवरी 1966 के लिखे आय जेमा डॉ. खूबचन्द बघेल जी के निवास स्थान मा छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन के अस्थाई बैठक के सूचना दे गेहे। ये बैठक मा सदस्य के अलावा 22 झन विशेष व्यक्ति मन ला घलो आमंत्रित करे गे रहिस। ये दुनों चिट्ठी मन मोर बर अनमोल धरोहर आँय।
स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, पूर्व सांसद, पत्रकार, छत्तीसगढ़ी साहित्यकार केयूर भूषण जी के जनम 01 मार्च 1928 के अउ दू बछर पहिली आजे के दिन माने 03 मई 2018 के उनकर निधन होए रहिस।
छत्तीसगढ़ी साहित्य मा उनकर योगदान ला कभू भुलाए नइ जा सके। उनकर कृति के विवरण -
सोना कैना (नाटक) मोंगरा (कहानी) बनिहार (गीत) कुल के मरजाद (छत्तीसगढ़ी उपन्यास) कहाँ बिलम गे मोर धान के कटोरा (उपन्यास) लोक लाज (उपन्यास) समे के बलिहारी (जाति व्यवस्था आधारित उपन्यास) नित्य प्रवाह (प्रार्थना और भजन) लहर (छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह) कालू भगत (कहानी संग्रह) आँसू मा फिले अँचरा (कहानी संग्रह) हीरा के पीरा (निबंध संग्रह) डोंगराही रद्दा (कहानी संग्रह) छत्तीसगढ़ के नारी रत्न, मोर मयारुक।
केयूर भूषण जी साप्ताहिक छत्तीसगढ़, साप्ताहिक छत्तीसगढ़ सन्देश, त्रैमासिक हरिजन सेवा (नई दिल्ली) मासिक अंत्योदय (इंदौर) के संपादन घलो करिन।
छत्तीसगढ़ी भाषा मा उनकर लिखे एक सुप्रसिद्ध गीत -
तैंहर छोटे झन जानबे भइया एक ला।
एकक जब जुरियाथें लग जाथे मेला॥
एक्के भगवान ह जग ला सिरजाये हे
एक ठन सुराज ह, अँजोर बन के छाये हे
सौ बक्का ले बढ़ के होथे एक लिख्खा
गठिया के धरे रिबो मोरो ये गोठ ला।
भिन्ना फूटी ले होथे एक मती
कोटिक लबरा ले बढ़ के होथे एक जती
सब दिन के पानी तब एक दिन के घाम
बाटुर उलकुहा ले बढके एक दिन के काम
खाँडी भर बदरा अऊ एक पोठ धान।
रस्ता बना लेथे अकेल्ला सुजान
सौ सोनार के तब लोहार के होथे एक
सौ भेंड़ी ला चरा लेथे गडरिया एक
एक एक बूँद सकला के भर जाथे तरिया
एकक हरिया जोत टूट जाथे परिया
एक मा गुन अनलेख भरे हे कतेल ला मैं गिनावँव
सूवा होय तेला रटन कराबे मनखे ला कतेक लखावँव
(रचनाकार - श्री केयूर भूषण)
आलेख - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग छत्तीसगढ़
03 मई 2020
एतिहासिक पृष्ठभूमि मा सुग्घर आलेख।
ReplyDeleteहमर पुरखा,हमर धरोहर। नमन
ReplyDeleteजबरदस्त पुरखा के सुरता ! हमर संस्कृति हमर धरोहर
ReplyDeleteपुरखा के धरोहर बहुत सुग्घर । सादर नमन गुरुदेव
ReplyDeleteपुरखा के सुरता करत
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लेख गुरुदेव
शत शत नमन
महेन्द्र देवांगन माटी
अब्बड़ सुग्घर पुरखा के सुरता करत सुग्घर जानकारी देव गुरुदेव जी सादर प्रणाम 🙏🙏
ReplyDeleteहमर पुरखा श्रेद्वय बाबा केयर भूषण जी ला शत शत नमन अउ जानकारी दे बर गुरुदेव ला प्रणाम ।
ReplyDeleteकेयूर भूषण जी के रचना अड़बड़ सुघ्घर हे,
ReplyDeleteछत्तीसगढ़ के साहित्य और समाज के प्रतिबिम्ब हरे ए दू ठन चिट्ठी हा। छत्तीसगढ़ के बड़े काबिल नाव मन एक साथ :डॉ खूबचंद बघेल, केयूरभूषण मिश्र अउ कोदूराम दलित जी । अनमोल धरोहर बन गे ये चिट्ठी हा । इतिहास के खास कालखंड मा इमन गजब प्रभावशाली रहिन। हमर स्वाभिमान के प्रतीक हें आज। समय अपन काम करके चल दे रहिन ।कोदूराम दलित जी के नाव मा, नवागढ़ के महाविद्यालय हे। वर्तमान भूले बिसराय ला धर ले रहिन, फेर जबर इतिहास हा काबर भुलावन दिही ।इही पाती अउ पत्र पत्रिका मन हमर पुरखा मन ला अमर बना दिन। तीनों नाव साहित्य बर मिल के पत्थर। वर्तमान हा आज खोज खोज के इतिहास ला पढ़े जाने के लगन करत हें। छत्तीसगढ़ी समाज हा अपन समृद्ध इतिहास ला बोध करे बर छटपटावत हे ।अउ गौरव गाथा के सिरजन बर हमर पुरखा मन के व्यक्तित्व अउ कृतित्व के अॅजोर ला जन जन मा बगराय बर उदीम मा हे ।छत्तीसगढ़ के अस्मिता बर माज बर ये निहायत जरूरी घलो हे । करको झन वर्तमान पीढ़ी बर निराशावादी किसम किसम के बात घलो लिखथे फेर मयँ थोरको निराश नइ हवॅ । बने लिखइया पढ़इया मन के कमी अभो नइ हे। समय बदल गे हे ।ब्यवस्था बदल गे हे ।पुराना पीढ़ी मन बहुत मुश्किल परिस्थिति मा घलो साहित्य ला समाज बर जोत बनाय के लगन करिन ।उंकरे लगाय बिरवा के छइहाँ मा आज हम सुरता सुरता के सुंदर भविष्य के निर्माण बर जुरियाय के नव सिरजन मा लगे हवन।
ReplyDeleteहमर पुरखा मन के आसीस नित नित हमर संग रहै। इही विश्वास मा -
बलराम चंद्राकर गीतकार भिलाई नगर
समय के संग सुग्घर ऐतिहासिक उदाहरण बनही आलेख गुरुदेव प्रणाम ।
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर ऐतिहासिक जानकारी गुरुदेव छत्तीसगढ़ी भाखा के बिकास बर ,, जेन हमर सियान मन करिन... जेकर छाँव में हमन पलत बढ़त हन ।।।।सादर प्रणाम
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