कोरोना संकट अउ पर्यावरण
आज कोरोना वायरस ले जनमिस महामारी हा वैश्विक समाज अउ प्रशासन के जम्मो कमजोरी ला उजागर कर दिहिस हे अउ संगे संग ए खतरनाक संकट ले आधू बढ़े के डहर घलो देखाइस हे ।कोविड 19 के ये खतरनाक बीमारी जेन समय के पहिली मनखे के जिनगी मा हावी होगे हावै,अइसन संकट जेन मानव जाति ला क्षिन भर मा नष्ट कर सकत हे ये संकट मानव जिनगी ला आर्थिक विकास,सामाजिक,राजनीतिक जम्मो डहर ले प्रभावित करत जात हे।ते पाय लाकडाउन हा लंबा समय तक अइसनहे बने रहि त दुनिया मा निराशा,तनाव,चिंता जइसन गंभीर मानसिक बीमारी के बाढ़ आ जाही जेन व्यक्तिगत के साथ साथ दुनिया मा सामाजिक, आर्थिक विकास मा बाधा उत्पन्न हो जाही।कोरोना बीमारी के प्रभाव ले कम अउ आर्थिक समस्या के भार ले मानुष के मनोदशा बिगड़ जाही।
ये कोरोना काल विश्व बर एक अइसे संकट हे जेन भविष्य ला सोचे बर मजबूर कर दिये हे, कोरोना वायरस के संक्रमण ले पूरा दुनिया मानो थम से गये हे स्कूल-कॉलेज अउ यात्रा मा पाबंदी, मनखे के एक जगा इकट्ठा होय मा पाबंदी,ए जम्मो पाबंदी ले मनखे कोनो न कोनो रुप मा प्रभावित होत हे। एहा एक बीमारी के खिलाफ बेजोड़ वैश्विक प्रतिक्रिया हे। प्रश्न ये उठत हे के का लाकडाउन हा खतम हो जाही ओखर बाद भी मनखे हा का अपन पुराना दिनचर्या अउ कोरोना के डर ले साधारण जिनगी ला अपना पाही....?
का लाकडाउन ले जेन अर्थव्यवस्था आज मानो थम गये हे ओला भुलाके सुग्घर जिनगी जी पाही..?
दूसर पक्ष मा ए लंबा समय तक अइसे स्थिति बने रही अउ पाबंदी लगे रही त सामाजिक और आर्थिक नुकसान विध्वंसकारी हो जाही। प्रतिबंध समाप्त होय म घलो मानव जिनगी मा ये संकट बरोबर बने रही। संकट ले संक्रमित होय के कारण अनजान मनखे के रोग प्रतिरोधक शक्ति घलो बढ़ सकत हे फेर अइसन होय मा बहुत समय लग सकत हे। एखर लिए हमला सतर्कता के ध्यान रखके हमला दूसर के स्वास्थ्य मा घलो ध्यान देहे ला परही जेखर ले हम ए संकट ले लड़े बर कुछ भागीदारी निभा सकथन।
ये संकट हा अतका जल्दी समाप्त होय के कगार म नइ दिखत हे एखर लिए वैक्सीन बन जाही तभो ले हमला सावधानी अपनाये ल परही,सावधानी ले जिनगी बिताना परही। फेर दू साल तक ए लाकडाउन रही त देश के एक बड़े हिस्सा संक्रमित हो जाही।
विकास के अंधा दउड़ मा भुइँया अउ पर्यावरण के हमन जेन हाल करे हन ओ बीते चार दशक मा चिंता के विषय बने हुए हे फेर विकसित देश अपन जिम्मेदारी निभाये के अलावा विकासशील देश मन बर हावी होवत हे अउ विकासशील देश घलोक विकसित देश मन के डहर मा रेंगत हे अउ पर्यावरण ला नष्ट करत जात हे। पृथ्वी सम्मेलन के 28 साल बाद भी हालात जस के तस रहिस। अइसन लागथे फेर कोरोना महामारी ह विश्व के मनखे मन ला स्वस्थ होय के अवसर दे दिये हे।हवा के जहर कम होगे हावै अउ नदियाँ के जल निर्मल होगे हे।भारत मा जेन गंगा ला साफ करे के अभियान कई साल ले चलत आत हे बीते 5 साल मा लगभग 20000 करोड़ रुपया खर्च करिन हावै तभो ले साधारण सफलता तक नइ दिख पाइस हे। उही गंगा हा लॉकडाउन मा निर्मल बना दिहिस हे।वइसनहे चंडीगढ़ के हिमाचल मा हिमालय के चोटी घलोक दिखे लागे हे । औद्योगिक आय के दर हा जरूर सात फ़ीसदी ले दू फ़ीसदी मा आ गिरीस हे, अर्थव्यवस्था खतरा मा हे,लेकिन इही समय हे के पूरा दुनिया पर्यावरण अउ विकास के संतुलन बर उतके गंभीरता अउ गहराई ले सोचही जतका आज कोरोना संकट ले निपटे के सोचत हावै।
आलेख - आशा आजाद
मानिकपुर कोरबा छत्तीसगढ़
बहुत ही बढ़िया सार संक्षेप आलेख
ReplyDeleteआभार आपमन के🙏🙏
Deleteसही बात हे बहिनी। सुघ्घर आलेख
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी🙏
Deleteवाह
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर लिखे हव दीदी जी
अइसन आलेख लिखे बर
महू ला चुलूक लगा दियेव । कोनो बिषय मा झटकुन लिखे के प्रयास करत हँव दीदी जी
आपमन स्वयं लिख सकत हौ भैया,समसामयिक समस्या अउ ओखर ले क इसे मुक्ति पा सकत हन🙏
Deleteबहुते सुघ्घर शिक्षप्रद ज्वलन्त विषय मे लिखे हव बहिनी
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक चिंतन
आभार दीदी जी 🙏🙏
Deleteबहुत सुग्घर आलेख दीदी जी
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