Friday, 14 May 2021

अक्ति तिहार - अशोक धीवर "जलक्षत्री"


 

अक्ति तिहार - अशोक धीवर "जलक्षत्री"


*।। अक्ति तिहार (अक्षय तृतीया) ।।*


वैशाख अँजोरी पाख के तीज तिथि ल अक्ति तिहार कहे जाथे। ये तिहार हमर छत्तीसगढ़ के प्रमुख मांगलिक तिहार में से एक आय। आज के दिन लईका मन पुतरी- पुतरा के बिहाव करथें। एकर पाछू धार्मिक कारण ये हे कि अक्ति के दिन जेन भी काम करे जाथे वोहा अक्षय हो जाथे। एकरे सेती ये ला अक्षय तृतीया घलो कहे जाथे। पुतरी- पुतरा के बिहाव मा पुतरी के कन्यादान घलो करथें। तब वो दानी ला कन्यादान के बरोबर पुन फल मिलथे। जतका झन मन टिकावन टिकथे उहूमन के पुन फल हा अक्षय हो जाथे। ये दिन हा स्वत: सिद्ध अउ शुभ योग होथे। बिना कोई मुहूर्त देखे कुछ भी शुभ काम करे जा सकथे। जैसे बिहाव, गृह -प्रवेश, कपड़ा -लत्ता लेना, जेवर, गहना- गूठा, घर, वाहन, जमीन आदि खरीदना, किसानी के काम शुरू करना आदि कईठन काम ला करे जाथे । जेकर फल शुभ अउ अक्षय होथे। येकरे  सेती किसान मन दोना मा धान भर के गाँव के ठाकुर देव, शीतला, महामाई अउ सांहड़ा देव मा चढ़ाथे। खेती करे बर शुरू करथे। कतको मन खेत मा खातू पालथे। कोनो मन अकरसहा जोतई करथे। कोनो मन खेत मा हूम -धूप जला के नरियर फोर के दू- चार कुदारी खन कोड़ के नेंग करथे।

कतको मन करसा -करसी के गुलाल- सिंदूर लगा के पूजा -पाठ करथे अउ  इही दिन ले करसी- करसा के ठंडा पानी पिये बर शुरू करथे। कतको मन पीपर, बर, लीम अउ बेल के पेड़ के घलो पूजा करथें,पानी डारथे। काबर कि ये पेड़ मन हा हमन ला जीये बर ऑक्सीजन देवत रहिथे। जिनगी के देवइया समझ के वोकर पूजा करके अक्षय पुन के भागी बनथे ।

अक्ति के दिन के पौराणिक महत्व अब्बड़ हे। जइसे

1. आजेच के दिन महर्षि परशुराम जी के जन्म होय रिहिस।

2. बद्रीनाथ भगवान के मंदिर के कपाट आजेच के दिन खोले जाथे।

3.  कुबेर जी ला आजेच के दिन देव खजाना के अधिपति बनाय गे रिहिस ।

4. कृष्ण अउ सुदामा के महा -मिलन घलो आजेच के दिन होय रिहिस।

5. महारानी दुरपती के चीरहरण घलो आजेच के दिन होय रिहिस।6. मांँ गंगा के घलो आज के दिन अवतरण होय रिहिस। 

7. सतयुग -त्रेता युग के शुरुआत आजेच के दिन होय रिहिस।

8. भगवान विष्णु के नर-नारायण, हयग्रीव अउ परशुराम जी के रूप मा अवतरण दिन घलो आय।

9. महाभारत के लड़ई आजेच के दिन खतम होय रिहिस ।


अउ कतको महत्व अउ विशेषता हवय। फेर मोला सुरता नइ आवत हे। वइसे ये दिन सर्व - सौभाग्य तिथी आय। 

आज के दिन कतको झन अपन पितर मन के तर्पण घलो करथे।करिया तिली अउ खड़ी चाऊँर (अक्षत) मा विष्णु भगवान अउ ब्रह्मा जी ला तत्व रूप मा आय बर मानसिक आवाहन करथे। तिली अउ चाऊंँर ला पानी मा मिला के दूनों हाथ उठाके पानी ला धीरे-धीरे गिराके सद्गति, शांति अउ मोक्ष बर प्रार्थना करथे। 

आज के दिन ला महा पुण्य समझ के विधि-विधान ले दिनचर्या बना के दैनिक क्रिया करे के बाद अपन शरीर में सप्तधान्य ( तिली, गहूं, चाऊँर, उरिद, मूंग, जवाँअउ चना)के उबटन लगाके नहाथे अउ  जप- तप -प्राणायाम करथे। त ओकर स्नान हा गंगा स्नान सहित सब्बो तीरथ करे के फल देते। ये दिन सत्पात्र ला करसी, पंखा, जूता-चप्पल, छतरी, कपड़ा- लत्ता, अन्न (भोजन) अउ गाय के दान करना चाही।

    भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण, पद्म पुराण, विष्णु धर्मोत्तर पुराण,

 अउ स्कंद पुराण में अक्ति तिथि के बनेच वर्णन मिलथे।


अक्ति तिहार के तात्विक संदेश इही है कि आज के दिन सबो करम के फल हा अक्षय (न मिटने वाला) हो जाथे त सब ला अच्छा करम करना चाही। अक्षय सुख, अक्षय शांति, अक्षय स्वास्थ्य, अक्षय शिक्षा, अक्षय समृद्धि, अक्षय सम्मान, अक्षय सद्बुद्धि, अक्षय शक्ति, अक्षय सुंदरता, अक्षय संपत्ति, अक्षय सुयश, अक्षय स्नेह, अक्षय सद्कर्म, अक्षय मंगल कामना करंय। ताकि अक्षय सुख, अक्षय आनंद अउ अक्षय सद्गति के प्राप्ति होवय।


रचनाकार-अशोक धीवर "जलक्षत्री"

 तुलसी (तिल्दा-नेवरा)

 जिला- रायपुर (छत्तीसगढ़)

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