Friday, 17 December 2021

आशा,निराशा अउ शांति

 आशा,निराशा अउ शांति


आशा,निराशा अउ शांति के बड़ महता हे।आशा के भरोसा, निराशा के दुखवा अउ शांति के गोसइयाँ संतोष ल केहे जाय त मँय सोचथों कि कोनों उपराहा बात नइ होही। काबर कि ककरो अंतरात्मा मा जब ये मन आथे त आशा,भरोसा के संग,निराशा,दुखवा के संग अउ शांति सदा संतोष के संग ही आथे।

         मनखे ल जब कुछ पाय के आशा होथे, तब 

भरोसा करके कोई काम ल सिरजाय के कोशिश करथे। जिहाँ आशा होथे, उहाँ भरोसा होथे, अउ जिहाँ भरोसा होथे, उहाँ आशा। बिना आशा अउ भरोसा के मनखे कोई काम के शुरुवात नइ करे। आशा परानी के जिनगी मा खुशी लाथे। कारज करे बर उत्सुकता जगाथे,अउ आघू बढ़े बर रद्दा घलो देखाथे। फेर अनुचित आशा, निराशा के कारण बनथे। 

       निराशा वो घुना आवय जेन परानी के जिनगी ल बरबाद कर देथे,जइसे लकड़ी ल लकड़ी के घुना। निराशा के जिनगी मा आय ले परानी आशा के ठीक उल्टा काम करथे। जब कभू ककरो जिनगी मा निराशा आथे,परानी ल भटकाथे। निराशा के कारण परानी ल अपन जिनगी मा अँधियार लगे ल लगथे। जेन परानी के जिनगी मा निराशा आथे, मनखे ल कोई कामकाज करे के इच्छा नइ होवय। मनखे ल बड़ दुख होथे। कोई मनखे तो अपन जिनगी ल घलो खो देथे। अपन काम ले जादा आशा रखना निराशा ल नेवता देना होथे। हम ला जादा आशा नइ करना चाही, न जादा निराश होना चाही।

            परानी के जिनगी मा शांति तब आथे,जब निराशा,चल देथे। जेन परानी के मन मा संतोष होथे, वो परानी अपन जिनगी मा शांति अनुभव करथे। बिना संतोष के शांति के अनुभव नइ होवय।

संतोष नइ करे ले ही जिनगी मा निराशा आथे।जेन ककरो हित मा नइ होवय।

     आशा,निराशा अउ शांति थोरिक दिन बर ही परानी के जिनगी मा आथे,अउ बहुत कुछ सीखा के जाथे। हम ला सबो स्थिति ल झेले बर सदा तियार रहना चाही।

       

     राम कुमार चन्द्रवंशी

     बेलरगोंदी (छुरिया)

     जिला-राजनांदगाँव

      9179798316

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