मुँहु चिक्कन खबड़ा के
भगवान कृष्ण के दुनिया ले विदा लेहे के सूचना चारों मुड़ा म जंगल म लगे आगी कस बगरगे । एला सुन ... गोकुल के जुन्ना संगवारी मन लकर धकर द्वारका कोति मसक दिन । भगवान हा ओमन ला देखिस त ओकर आँखी म आँसू आ गिस । भगवान हा केहे लगिस – तूमन ला मेहा कोन्हो सुख नइ देय पायेंव । अब तो जाय के बेर आगे हे ... अवइया युग म मिलबो त तुँहरों मन बर कुछ अच्छा करहूँ । ग्वाल सखा मन केहे लगिस – तोर दिये आशीष अभू तक चलत हे भगवान फेर तोर जाय के पाछू ... को जनि ओकर प्रभाव रइहि या सिरा जहि तेमा शंका हे .. तेकर सेती हमू मन अभू चल देबो । फेर आगू जनम म हमन मिलबो तेकर गारंटी देय बर लागही भगवान । तुँहर कृपा ले हमन ला अइसने खाय बर मिलत रहय तहू ला सुनिश्चित करे बर लागही भगवान ।
भगवान किथे – तुम फिकर झन करव । तूमन ला खाय पिये बर लाला थापा करे बर नइ लागय । तुमला खाय बर भरपूर मिलही । ग्वाला मन किथे – एक बात अऊ हे भगवान ... पूरा युग निकलगे हमन ला सत्ता के बागडोर नइ मिलिस । हमन तरस गेन । का अवइया युग म घला अइसने रहिबो अऊ खाये बर तुँहर मुँहु ताकबो ... । भगवान थोकिन सोंच म परगे अऊ केहे लगिस – तूमन मोर बहुत संग साथ दे हव .. तुँहर भारी उपकार हे मोर उपर ... तेकर सेती ब्रम्हाजी ला कहि देथँव ... ओहा अवइया युग म बाजी पलट दिही । तुँहर उपर मय आश्रित रइहूँ ... तुँहर ले बाँच जहि तभे मोला मिलहि ।
ग्वाला मन किथे – हमन राजा होके खाबो तहन हमन ला .... सब खावथे खावथे कहिके बदनाम करहि । तिंहीं केहे बर धर लेबे । भगवान किथे – तुँहरे संगवारी तुँही मनला बदनाम करही । तुम ओमन ला साध लेना । मे राम राम नइ कहँव ... मोर वचन हे । तूमन अभू घला खाथव तेकर कोन्हो प्रमाण रहिथे का । अरे भई ... उहू समय ... सरबस खाके मोर मुँहु म चुपर देहु ... सब अभू कस ... मुही ला खाये हे समझही ... । चाहे कतको खावव ... तुँहर मुँहु एक कनिक नइ छड़बड़ाय ... चिक्कन रहि । भगवान सब ला भरोसा देवा के चल दिस ।
कलयुग आ चुके रहय । सबके अगले इनिंग के तैयारी होवत रहय । ब्रम्हाजी हा भगवान कृष्ण के दिये वचन ला पूरा करे बर उपाय खोजत पस्त हो चुके रहय । ब्रम्हाजी के माथ म पछीना के धार बोहावत रहय । ओकर स्टेनो चित्रगुप्त किथे – का होगे भगवान ... भारी फिकर म बुड़े हस । सियनहा एकदमेच थकथकागे रहय । ओकर गमछा हा पछीना पोंछत निचोड़े लइक होगे रहय । चित्रगुप्त समझगे । ओला हार्ट अटेक फटेक झन आ जाय सोंच तुरते कारण खोज ... निवारण के उपाय रच डरिस । जम्मो झन ला भारत म जनम ले के व्यवस्था कर दिस ।
कुछ दिन पाछू ... भगवान हा अपन दिये वचन के पालन सही साट होवत हे के निही ... तेकर सचाई जाने बर निकलिस । इहाँ अइस तब सत्यता जानिस । चित्रगुप्त हा जनता ला भगवान बना दे रिहिस । जेला खाय बर नइ मिलय फेर ओकरे मुहुँ म जे पाये तेहा कुछु कहीं ला चुपर देथे । ग्वाल सखा मन देश म कर्णधार बन चुके रिहिस ... जेमन खावय तो बहुत फेर दिखय निही । भगवान पूछिस – मोला समझ नइ आवत हे चित्रगुप्त । चित्रगुप्त बतइस – इहाँ लोकतंत्र के स्थापना कर दे हँव भगवान ... जेला समझ सकना तोर बस के बात नइहे ... तेकरे सेती तोला जनता के रूप दे देंव । जे मन समझ गिन तेमन ला कर्णधार बना देंव । तुँहरे दिये वचन के पालन होवत हे भगवान । भगवान ला बड़े बड़े पेट धरे कुछ बिगन खाये मनखे दिखगे ... जेमन खाये बर मरत रहय ... । भगवान पूछिस – येकर मन के पेट तो बड़े दिखत हे फेर येमन कभू खाय नइहे तइसे ... पोट पोट करत हे । चित्रगुप्त बतइस – इँकर धोंध भर चुके हे फेर खाय के इच्छा शक्ति कमतियावत नइहे तेकर सेती पोट पोट करत दिखत हे ... वाजिम म येमन खाये बर पोट पोट नइ करत हे भगवान ... बल्कि जनता के मुहुँ म खाये के सामान चुपरे के अवसर पाय बर पोट पोट करत हे । भगवान किहिस – फेर कलेचुप खवइया मन तो बिगन हुँके भुँके आराम से बइठे दिखत हे ... येमा का राज हे । चित्रगुप्त बतइस – वास्तव म इही मन सरकार आय ... अऊ पोट पोट करइया मन विपक्ष ... । भगवान पूछिस – मोर एक आखरी सवाल अऊ हे चित्रगुप्त .. येमन खाथे कहिथस ... त खाये के निशान तो एको कनिक नइ दिखत हे । चित्रगुप्त किहिस – तैं भुलागे हस भगवान । सब तोरे वचन के पालन करे के उदिम आय भगवान । जे जतका खाही ... ओतके ओकर मुँहु चिक्कन रइहि ।
भगवान भुखाये हाबे कहिके चारों मुड़ा म हल्ला माते रहय । ओला खवाये के होड़ लगे के ढिंढोरा पिटागे । खाये के सरी सामान जनता भगवान के आघू म आके माढ़गे । फेर ओला कोन्हो खाये बर नइ दिन ... । ओकर हाथ म झुनझुना धरा दिन । जनता भगवान हा झुनझुना हलावत बइठे रहिगे । खाये के सरी सामान ... अपने अपन सिरागे । जनता के मुँहु म खाये के सामान म छबड़ दिन । बिगन खाये जनता के मुँहु छबड़ाये देख ... भगवान तिर पछताये के अलावा कुछ नइ बाँचिस ।
सरग पहुँचके .... भगवान हा चित्रगुप्त ला तलब करिस । मोला तैं मारे के बनेच उदिम जमा डरे हस चित्रगुप्त । दू चार दिन धरती म अऊ रहि जतेंव ते भूख के मारे मर जतेंव । चित्रगुप्त किथे – तेकर सेती तो जनता बना के तोला राखे हँव ताकि तोला जादा दिन रेहे बर झन परय । ओकर जुम्मेवार घला तिंही तास । काँही जानस न सुनस ... जइसे पाय तइसे वचन देके लहुँट जथस । पालन करे बर कतका उपाय करे बर लागथे तेला हमीं मन जानबो । भगवान किथे – ओ तो ठीक हे चित्रगुप्त ... फेर मोला तोर संरचना म एक बात समझ नइ अइस । कोन्हो खावत दिखय निही तभो ले ... खाय के सामान हा अपने अपन कइसे सिरा जात रिहिस । चित्रगुप्त बतइस – तोला के बेर उही उही बात ला बताहूँ ... अभू उहाँ लोकतंत्र हे भगवान । उहाँ राज चलइया मन खुर्सी म बइठथे । उही खुर्सी म अइसे यंत्र फिट करदे हाँबो भगवान ... जेमा बइठे के पाछू कतको खा ... दिखबे नइ करय । सामान सिरा जथे फेर खुर्सी म बइठइया हा खइस तेला प्रमाणित करना सम्भव नइ रहय । खुर्सी ले उतरे के पाछू ... कतका खइस ... तेहा दिखथे जरूर फेर प्रमाणित नइ होय सकय ... । भगवान हा प्रश्नवाचक मुँहु बनाके देखिस । चित्रगुप्त समझगे के भगवान काये पूछना चाहत हे । ओहा बताये लगिस – मुँहु चिक्कन खबड़ा के ... तोरे वचन के पालन करे बर नियम बनगे भगवान ... । भगवान हा उही दिन ले कोन्हो भी मनखे ला वचन नइ देय के कसम खा डरिस ।
हरिशंकर गजानंद देवांगन .. छुरा .
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