संस्मरण
मोर देवारी ...ओमप्रकाश साहू अंकुर
हमर छत्तीसगढ़ मा किसम किसम के तिहार मनाय जाथे. इहां के सबो परब हा कृषि ले जुड़े हवय. वोमा कृषि संस्कृति के दर्शन होथे. चाहे वोहा अक्ती हरेली, पोरा राहय चाहे देवारी.
देवारी हा भगवान राम के चौदह बरस के बनवास के बाद अयोध्या लहुटे के खुशी मा मनाय जाथे. राम जी हा भारत वर्ष अउ हमर छत्तीसगढ़ के नर नारी मन के रग रग मा रचे बसे हवय. वोहा बुराई अउ अंधियारी ला भगा के समाज मा अच्छाई अउ अंजोर बगराय के काम करिस हे.
हमर भारत वर्ष अउ छत्तीसगढ़ मा देवारी तिहार गजब उछाह ले मनाय जाथे. ये समय धान हा पक के कटाय के लईक हो जाथे. हरुना धान ला कांट घलो डारथे. अउ कतको झन मन देवारी बुता मा भुलाय के सेति तिहार ला मनाय के बाद धान लुथे. माई धान
हा देवारी तिहार मनाय के बाद कांटे जाथे. जउन साल धान हा बने बने रहिथे वो साल किसान मन हा देवारी ला अब्बड़ उछाह ले मनाथे. अउ जउन साल पानी बादर हा कमजोरहा रहिथे वो बरस किसान मन के देवारी मा घलो दम नइ राहय. खेती किसानी ले सब बेपार हा घलो जुड़े रहिथे.
जिंहा तक ये साल के देवारी के बात करन ता कोरोना बिमारी के घलो असर देखे ला मिलिस. कतको लोगन मन भीड़ भाड़ मा जाय ले घलो बचिस.
जिहां तक मोर देवारी के बात हे ता सबले पहिली कपड़ा लत्ता खरीदेन. लईका मन बर उठवा कपड़ा बिसायेन. मेहा मोर कपड़ा
के नांप देवाय बर दर्जी कर गेंव तब देवारी तिहार हा पांचे दिन बांचे रिहिस. दर्जी हा साफ बोलिस कि तुंहर कपड़ा ला देवारी के बाद ही सील पाहूं !
लाल बहादुर नगर(पाथरी,डोंगरगढ़) ले सुरगी(राजनांदगाँव) पहुंचेव ता माटी के घर ला साबे बर थोर कुन माटी मतायेंव. मोर गोसईन हा एक झन बनिहार तियारिस अउ लईका मन के सहयोग ले घर अँगना के लिपई पुतई करिस. धन तेरस के दिन तेरह ढक अउ नरक चौदस के दिन चौदह ढक माटी के
दीया जलायेन.
सुरहोती के दिन सबले पहिली संझा कुन माटी के दीया बार के घर अँगना मा मढ़ायेन. फेर मेहा मोर भतीजा अउ बेटा के संग गाँव के देवता धामी करकाटोलिया, शीतला माता, शंकर भगवान, बजरंगबली, माता लक्ष्मी के मूर्ति के ठउर मा पहुंच के सुग्घर ढंग ले पूजा करके दीया , अगरबत्ती जला के हूम देके देवी देवता ला सुमरेन. बिनती करेन के हमर जिनगी के संगे संग गाँव मा घलो बने सुख शान्ति रहे. साकेत साहित्य भवन, माँ कर्मा सामुदायिक भवन अउ हाई स्कूल के दरवाजा मा घलो दियना के अँजोर बगरायेंव. फेर घर मा माता लक्ष्मी के पूजा करेन. वोकर बाद घर परिवार, अड़ोसी पड़ोसी मन घर प्रसाद पहुंचायेन. लईका मन हा फटाका फोड़िस. संगवारी अउ शुभ चिन्तक मन ला मोबाइल ले मेसेज कर देवारी तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई अउ शुभ कामना पठोयेंव.
गोवर्धन पूजा के दिन भाई मन घर खाय ला गेन अउ भाई मन हा सुग्घर ढंग ले खाय बर अईस. एक
दूसरा ले मिल के सुख दुख के बात करेन .संगे संग देवारी तिहार के बधाई अउ शुभकामना देवत गेन. भाई घर जाके गोवर्धन पूजा करेन. गाय, बैला ला सुग्घर ढंग ले खिचड़ी खिलायेन.
फेर संझा बेरा पुराना बस स्टेन्ड मा पहुंचेन. ऊँहा गाँव वाले मन ले मुलाकात होइस. संगवारी मन ले मिल के बने बने गोठियाय ला मिलिस. बाहर नौकरी करइया अउ खाय कमाय ला गेय संगवारी मन ले मिलके गजब खुशी होइस. रिश्ता नाता अउ उम्र के हिसाब ले
पायलागी अउ जय जोहार करेंव.
एकर बाद राऊत मन हा मड़ई ला सुग्घर लहरात ,दोहा पारत अउ बिधुन होके नाचत चउक मा पहुंचिस.
फेर महू हा संगवारी मन संग गोवर्धन चउक कोति आगू बढ़ेंव. राउत नाचा अउ मड़ई हा मन मा गजब उछाह भरिस. गाँव के लइका, सियान, जवान सबो मन मा अब्बड़ खुशी झलकत राहय. लईका, जवान मन हा रंग रंग के फटाका फोड़ के अपन खुशी ला देखात रिहिस. फटाका के आवाज ले पूरा गाँव हा गूँजगे.
फेर गौमाता ला गोवर्धन चउक मा ले जाके पूजा पाठ करके गोवरधन खुंदाय गिस. फेर लोगन मन हा गो धन ला एक दूसरा के माथ मा लगाके देवारी तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई अउ शुभ कामना देवत अपन अपन घर कोति जावत गिस. महू हा गोबर के टीका लगात, बधाई देवत अपन घर कोति पहुंचेंव अउ घर परिवार के संगे संग अड़ोस पड़ोस के लोगन मन के माथ मा गोबर के टीका लगा के आशीर्वाद प्राप्त करेंव.
तो ये प्रकार ले मेहा एसो के देवारी मनायेंव.
ओम प्रकाश साहू अंकुर
सुरगी, राजनांदगॉव
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