*पुरखा के सुरता- मिनेश साहू
*प्रकृत कवि बद्री विशाल परमानंद*
अनाविल प्राण सिंगार सौंदर्य अउ भक्ति के प्रकृत कवि स्व.श्री बद्री विशाल परमानंद जी के जनम ग्राम छतौना (मंदिर हसौद) जिला रायपुर म ०३ जुलाई १९१७ होइस हे। आदरणीय श्री परमानंद जी के रचना मन जीत्ते जीयत लोकगीत के प्रसिद्धि पा गइन। उन सौकड़ो भजन अउ लोकगीत के रचना करे रहिन।जेमन ८० ठन मंडली म प्रचलित रहिन आदरणीय परमानंद जी के नाव ले। छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के अध्यक्ष श्री सुशील यदु के संपादन में उंकर पहिली संकलन *पिंवरी लिखे तोर भाग* प्रकाशित होइस जेन हा आज भी चर्चा के विषय हे। छत्तीसगढ़ी भाषा अउ साहित्य बर ये हर बड़ संजोग के बात आय कि ओला ओकर दूसर चरण म बद्री विशाल परमानंद जइसे रससिद्ध लोककवि मिलिस,जेमा ईसुरी के फाग जइसन रजकंता तो हे फेर भदेस पन नइये,जेमा रीतिकालीन सिंगार तो हे फेर रीति के आग्रह नइहे, फूहड़ता नइये।उंकर गीत मन छत्तीसगढ़ी साहित्य के धरोहर आय। ८६ वर्ष के उमर मा ११ मई सन् १९९३ म रायपुर म हो गीस।आवव ऊखर लिखे कुछ लोक गीत अउ कविता ल आप मन बीच मा रखत हंव।
*लोक गीत* ०१
परगे किनारी मा चिन्हारी,
ये लुगरा तोर मन के नोहे।
लागे हावै नैना मा कटारी,
ये कजरा तोर मन के नोहे।।
लउका ह लउकत हे दांतन मा तोर,
मीठ बोलना बजा देते मांदर ल तोर।
अइसे लागे तोर खोपा मा गोई,
गुंजियागे हे करिया बादर ह वो।।
इंद्र राजा आगे धनुषधारी,
ये फुंदरा तोर मन के नोहे।
कोन बन बंसरी बजाये मोहना,
सुरता समागे सुरसूधिया।
जकर-बकर होगे रे लकर-धकर होगे रे,
कइसे परावत हे रधिया।।
जइसे भगेली कोनो नारी,
ये झगरा तोर मन के नोहे....
नाचत हे रधिया नचाये मोहना,
झूमर-झूमर बंसरी बजाये मोहना।
महर-महर ममहागे रितुवा बसंती,
वृन्दावन मुसकाये मोहना।।
मोर मन के फुलगे फुलवारी,
ये भंवरा तोर मन के नोहे।।
०२
का तैं मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल..२
रुपे के रुखवा मा चढ़ गिये तैं हा।
मोर मन के मंदरस ला झार दिए गोंदाफूल..
का तैं मोला मोहनी डार दिये ना..
ऊल्हवा पाना कस कंवल करेजा।
भूंज डारे तेला बघार दिये गोंदा फूल....
तोर होगे आती अउ मोर होगे जाती।
रेंगते रेंगत आंखी मार दिये गोंदा फूल....
०३
तैं हा पिरित लगाके घलो छोड़ देबे का रे,
मझधार मा डोंगा,मोला बोर देबे का ?
मैं हा फोरके करेजा ला,देखावंव तोला का वो
बिसवासी के मया जोर देबे का ?
टूरा के जात कहिथे भंवरा के जात रे,
दिन के गुलाब फूल कंवला फूल रात रे,
दूहापाही में लुल्हार के बिल्होर देबे का रे,
मझधार मा डोंगा मोला बोर देबे का रे...
गांव मा गोहार परही तोर मोर नाव रे,
ददा के दुवारी छुटही छूट जाही गांव रे,
मोला जुवानी के झोंका मा झंकोर देबे का रे,
मझधार मा डोंगा मोला बोर देबे का रे.......
*कविता* ०१
कुहू कुहू कुहकथे कारी रे कोयलिया,
पिंवरी लिखे तोर भाग,आमा मउर।
फूले फूले गोंदा फूल,
झूले झूले मउहा फूल।
लाली लेबे परसा के फूल,
आमा मउर।।
टिहके नगारा राजा,
माते हे मदनपुर।
छतिया ला मारे,
फूल बान आमा मउर।।
बिरहा के बंसरी,
बजाये मनमोहना।
रधिया ला सुसकी,
भराय आमा मउर।।
०२
*पेट मा आगी सुलगे हे*
तोर हीरा के पीरा ला,
पीरा के हीरा ला।
कइसे भंजावव रे!
पिरोहिल काला बतावंव रे।
झांवा के लांवा जुवालामुखी हा उलगे हे,
भीतरे भीतर पेट मा आगी सुलगे हे,
भूख सेंकावय तावा मा रोटी कइसे खवांवव रे।
तोर हीरा के पीरा......
लहू खवावय लहू पियावय रक्सा मन,
बनगे पेटहा पेट लहू के पइसा मन,
जबरा मारे रोवन न देवय कइसे थेम्हाववं रे।
तोर हीरा के पीरा ला.....
दया मया के दुवार देवागे ठगई आगे,
दंवघतिया मनखर खाये खातिर मिठई आगे,
सच के रद्दा चिकनी पइसा कइसे चलाववं रे।
तोर हीरा के पीरा ला......
पुरखा के सुरता
सादर नमन जोहार
मिनेश कुमार साहू
बहुत सुग्घर सर जी पुरखा के सुरता
ReplyDeleteसादर आभार, जोहार पहुंचे आदरणीय सर जी 🙏💓
Deleteजोरदार,,,, इंकर गीत ल हम बचपना ले आकाशवाणी ले सुनत आत हन,,,,
ReplyDeleteसादर नमन परमानंद जी ल 💐💐
सादर आभार पयलगी पहुंचे आदरणीय बड़े भइया जी 🙏💓
Deleteवाह बहुत बढ़िया भाई 👏👏
ReplyDeleteसादर आभार, जोहार पहुंचे आदरणीय बड़े भइया जी 🙏🙏
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