छत्तीसगढ़ी भाषा ला जन जन के भाषा बनाए बर मोर सूझाव
कोनो भी चीज ह जब हमर द्वारा सरलग बउरे जाथे त ओ ह हमर बर घसेलहा असन हो जथे हम ओ चीज के आदी हो जथन अउ ओ ह हमर दिनचर्या म शामिल हो जथे। छत्तीसगढ़ी भाषा ला जन जन के भाषा बनाए बर ओखर बउरे के जतेक भी माध्यम हे उहाॅं उहॉं ओखर बउरे के उदीम करे जाना चाही, व्यवस्था म स्वेच्छा के संगे संग बाध्यता घलो राहय।सरकारी, सहकारी, अउ निजी क्षेत्र के सबे विभाग के नौकरी पाय बर छत्तीसगढ़ी विषय के साथ वाले अंकसूची अउ छत्तीसगढ़ी भाषा ल जाने समझे के अनिवार्यता होवय। नौकरी बर रिक्त पद मनके विज्ञापन हिन्दी अंग्रेजी के साथ साथ छत्तीसगढ़ी म घलो प्रकाशित होवय छत्तीसगढ़ी म भरे फार्म ल साथ म स्वीकारे जावय, कुल मिला के कहन त छत्तीसगढ़ी ल काम काज के भाषा बनाय जाय। मनोरंजन के जम्मो संसाधन के रूप म छत्तीसगढ़ी भाषा ह लोगन तक सरलग पहुॅंचत राहय। भाषा ल प्रायमरी स्तर तक शिक्षण के माध्यम बनाय जाय। मिडिल स्तर से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक छत्तीसगढ़ी ह एक अनिवार्य विषय राहय अउ स्नातक स्नातकोत्तर स्तर म वैकल्पिक विषय होवय। विधानसभा के कार्यवाही आदेश निर्देश आदि ह हिन्दी अंग्रेजी अउ छत्तीसगढ़ी तीनों भाषा म प्रकाशित होवय।कोर्ट के जजमेंट मन घला तीनों भाषा म प्रकाशित होवय। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के बजट ल बढ़ाय जाय।जादा से जादा धनराशि भाषा ल समृद्ध करइया साहित्यकार अउ साहित्यक गतिविधि मन ल प्रोत्साहित करब म खर्च होवय।प्रोत्साहन स्वरूप जे सम्मान दिए जाथे तेन मा फलनवा बॉंटय रेवड़ी अपने अपन ल देय वाले बात ह चरितार्थ झन होवय। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के महत्त्वपूर्ण पद मन म अपन चहेता अउ चापलूस मन ल बइठारे के मोह ह राजभाषा के उन्नति समृद्धि अउ विकास बर घातक अउ बाधक हे सरकारन ल अइसन कृत्य करे ले बॉंचना चाही बल्कि अइसन व्यक्ति के नियुक्ति ओखर द्वारा होवय जे हर जमीनी स्तर म भाषा बर दृश्य योगदान देवत हे जेन ल चार आदमी देखत हें अउ परखत घलो हें।
छत्तीसगढ़ी भाषा बर नेक नीयत होना अति जरूरी हे नेक नीयत बिना सब कहना सुनना जइसे अकारथ जान परथे।
-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''
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