Saturday, 8 February 2025

बसंत ऋतु ठौर खोजत हे

 बसंत ऋतु ठौर खोजत हे


बसंत ऋतु सर्दी अउ गर्मी के मौसम के बीच के संक्रमण काल ​​आये। दिन बड़े हो जाथे अउ रात छोटे हो जाथे, तापमान कम हो जाथे, फूल खिले लग ले जथे। हवा में वसंत ऋतु के गर्म हवा शुरु हो होथे। वसंत मार्च ले शुरू होके  मई या जून तक रहिथे।

वसंत ऋतु हमर भारत देश क  छः: मुख्य ऋतु   में के एक ऋतु आये। ये करीब करीब  फरवरी के आखरी म या मार्च महिना के शुरुआत म शुरू होथे। ये ह  मई महिना तक चलथे। अइसे माने जाथे के माघ महीना क शुक्ल पंचमी ले वसंत ऋतु के शुरुआत होथे। फाल्गुन 

अउ चैत्र मास वसंत ऋतु के माने  गे हावय मतलब बसंत ह ये दू महिना प्रकृति म घूमत रहिथे। फाल्गुन बछर के आखरी महिना आये अउ चैत्र ह पहिला। ये प्रकार से हिंदू पंचांग के बछर के अंत अउ शुरुआत वसंत में ही होथे। ये ऋतु आथे त आसमान साफ अउ मौसम सुहावना हो जाथे। सर्दी के जूड़ जूड़  हवा ह  धीरे-धीरे हल्का गर्म होय ले रग जथे। मौसम म गर्माहट के मस्ती आ जथे। पक्षिमन के चहचहाहट चारोडाहर हवा म गूंजे ले लग जथे । प्रकृति घलो अपन नींद ले जागथे अउ पेड़-पौधे उपर नवा नवा पाना डारा अउ फूल आये ले लग जथे। सुप्तावस्था म परे जीव मन जागे ले लग जथें। सांप बिच्छू मेचका मन अटिवात बाहिर आथें। रंग-बिरंगा फूल खिलके चारो डाहर वातावरण ल महकाथे। चारो डाहर सरसों के फूल खिल जथे अउ खेत मन पींवरा लुगरा पहिर के सज जथें।

वसंत ऋतु के सबले महत्वपूर्ण तिहार आये  बसंत पंचमी के तिहार जेन ह  ज्ञान, कला अउ संगीत के देवी, सरस्वती माता के सम्मान म मनाये जाथे। ये दिन, लोगन पीला रंग के कपड़ा पहिरथेंं, काबर के ये ह सरसों के खेतों के खिल के महके के अउ वसंत के आये के प्रतीक आये। विद्यार्थीमन सरस्वती के पूजा करके प्रार्थना करथें अउ ओखर वेदी उपर अपन संगीत वाद्ययंत्र, किताब अउ कलम चढ़ाथें। अइसे माने जाथे के ये दिन देवी के आशीर्वाद लेय ले मनखे के ज्ञान अउ रचनात्मक क्षमता म वृद्धि होथे। नृत्य संगीत के कार्यक्रम होथे। जगह जगह उत्सव मनाये जाथे। चारो डाहर.पींवरा ही पींवरा रंग दिखाई देथे। किसान मन ये मौसम म अपन दूसर फसल के बोनी शुरू कर देथे, अनुकूल मौसम के कारण फसल के विकास तेजी से होथे। खेत ह हरियर.हरियर दिखे ले धर लेथे।बसंत ऋतु के आये ले लोगन के जीवन म ताजगी आ जथे। एक बेर फेर जाये के ईच्छा उठ जथे। ठंड अउ निराशाजनक जाड़ ल सहन करे के बाद, वसंत के गर्मी अउ सुंदरता ह आत्मा ल ऊपर उठाथे। मन म आशा के किरण जागृत होथे। मनखे मन ये सुहावना मौसम के अधिक से अधिक  लाभ उठाये.बर बाहिर घूमे बर जाथें। प्रकृति के सुंदरता के मजा लेय बर पिकनिक, क्रिकेट मैच के मजा लेथें। प्रकृति की सैर करे बर बाहिर घूमेबर जाथें।


 आज बसंत कब अइस पता नइ चलय। लोगन घर म टी वी म मस्त रहिथें। भइगे गमला के फूल दिखगे, मौसम म गरमाहट आ गे। समझ गें के मोसम बदल गे। आज न तो लइकामन तितली के पाछू भागंय अउ न पक्षी मन के आवाज के मजा लेवंय। बसंत घलो सोचथे के कोन मेर मैं रुकंव? गमला म कब तक रहिहुं, बड़े पेड़ हावय फेर रद्दा तीर म। फूल के पेड़ नंदावत हावय शो के पेड़ बाढ़त हावय। शहर म बसंत बस घूमत रहि जथे। एक ठऊर तो होना जिंहा रूक के मनखे मन के भाव ल देख सकय। डऊर खोजत खोजत कई बछर होगे। बंद करव पर्यवरण के नाश बलावव एक बेर फेर बसंत आये।

सुधा वर्मा, 2/2/2025 मड़ई

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