(यात्रा वृतांत)
देख रे आँखी,सुन रे कान
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जब ले नवाँ साल 2025 आइस तब ले समाचार पत्र,टी० वी० अउ सोशल मिडिया मा प्रयागराज मा आयोजित होवइया महाकुंभ जेकर महिमा मा बताये गेइस के अइसन ज्योतिषीय संयोग 144साल बाद आये हे अउ त्रिवेणी संगम मा स्नान मोक्षदायिनी हे तब ले थोड़-बहुत धार्मिक स्वभाव होये के सेती उहाँ जाये बर मन मचले ला धर लेइस।मोर धर्मपत्नी जी के आग्रह अउ भारी इच्छा हा तको ये विचार ला हवा देये मा कोनो कमी नइ करिच। तहाँ ले ट्रेन मा रिजर्वेशन टिकट बर प्रयास शुरु होगे फेर कन्फर्म टिकट मिलबे नइ करिस।
आज से लगभग 15 दिन पहिली भागवताचार्य पं० प्रदीप चौबे जी ,जेकर संग नेपाल यात्रा मा गे रहेंन तेकर संदेश मिलिस के बसंत पंचमी के शुभ अवसर(2फरवरी,3फरवरी 2025) मा महाकुंभ प्रयागराज मा जे मन ला आस्था के डूबकी लगाये बर जाना हे ते मन तुरंत सम्पर्क करव--बस मा कुछ सीट बाँचे हे। मैं तुरंत सम्पर्क करके दू सीट रिजर्व करवा लेंव।अँधवा ला का चाही--दू आँखी।
यात्रा के तिथि शनिवार1फरवरी 2025 ,दोपहर 12बजे तिल्दा ले रहिसे। इही बीच 29 जनवरी के मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ प्रयागराज मा बड़का दुर्घटना घटगे जेमा कतको यात्री मरगें--कतको घायल होगें। टी०वी० मा,पेपर मा समाचार देख- सुनके उहाँ जाये बर मन डाँवाडोल होये ला धरलिस।बेटा-बहू,परिवार जन अउ ईस्ट मित्र मन तकों मना करे ला धरलिन। पाँच-दस झन जे मन हमरे संग बुकिंग करवाय राहयँ ते मन कैंसिल करवा लेइन। जीव के डर सबले जादा होथे।मोरो मन डाँवाडोल होये ला धर लेइस।अपन धर्मपत्नि ला पूछेंव ता वो कहिस-- कोनो कुछु काहय, कुछु करय हमन जाबोच।लेगही राम ता राखही कोन--राखही राम ता लेगही कोन।वोकर बात मोर मन ला भागे।
जइसे 31जनवरी आइस ता यात्रा के नेतृत्व करइया आचार्य पं० प्रदीप चौबे जी से सम्पर्क करेंव के हो सकथे परस्थितिवश यात्रा स्थगित होगे होही? वो कहिस-- वर्मा जी 1तारीख के तइयार रहिबे।तुमन ला हथबंद से ले लेबो।बस हा हथबंद- भाटापारा--बिलासपुर--अम्बिकापुर होवत प्रयाग राज निकलही। मैं कहेंव--ठीक हे महराज जी फेर सुने होहू उहाँ करोड़ों मनखे मन के भींड़ अउ माते भगदड़ मा बँहुतेच मनखें मर गेहें।लोगन बतावत हें के शासन प्रशासन हा बस मन ला बीस-पच्चीस किलोमीटर दूरिहा मा रोंक देवत हे।उहाँ ले पैदल चलके संगम तक जाये बर परथे।हम भला वोतेक कहाँ रेंगे सकबो? दू-चार किलोमीटर के बात अलग हे।अभी यात्रा ला स्थगित करके डेट ला आगू खिसका दे रहितेव।वो कहिस-- बसंत पंचमी के डेट बँधा गेहे।ये तिथि दूबारा नइ आवय। जेन होही तेन देखे जाही। महूँ हा अपन 75 साल के महतारी अउ पूरा परिवार ला लेके जावत हँव।राम अउ माया एक संग नइ मिलय। यात्रा मा जेन कष्ट उठाये जाथे या मिलथे तेने हा व्रत ये-- उही हा तपस्या ये। वो एक ठन भजन के चार पंक्ति ला सुनाइस--
*इतना तो करना स्वामी,जब प्राण तन से निकले*
*श्री गंगा जी का तट हो, जमुना का वंशी वट हो,मेरा साँवरा निकट हो*
*जब प्राण तन से निकले*
विद्वान पंडित चौबे जी हा बात ला फोरियावत कहिस-- हमन भजन ला सुनथन-- गाथन भर अउ जब अवसर आथे ता पालन नइ करन। वो कहिस- वर्मा जी अब तुमन देखलव, जाहू धन नहीं तेला।हथबंद के दू झन मन अपन यात्रा ला कैंसिल कर दे हें।
मोर साहित्य अनुरागी मन हा वो भजन के मर्म ला समझगे।वास्तव मा कहे भर ले कुछु नइ होवय,कोई बात ला अमल मा लाना हा असली होथे।मैं तुरंत निर्णय लेवत कहेंव-- हम जबो।आप आवव।
1फरवरी के दोपहर 12बजे लगभग 50 यात्री ला लेके बस आगे।हम तो तइयारे रहेन।बहुत कम समान-- छोटे छोटे दू ठीन बेग ला धरके हम दूनों परानी तको बस मा चढ़गेंन।हँसी -खुशी लगभग 850 कि०मी० के यात्रा प्रारंभ होगे।बस मा यात्रा के लाभ ये रहिस के यात्री मन के चाय-पानी पिये बर या फ्रैश होये बर जेन मेर चाहयँ-जब चाहयँ बस हा रुक जावत रहिसे,भले समय कुछ जादा लगिस।
2 फरवरी के सुबह-सुबह 8-9 बजे प्रयाग राज ले लगभग 90 किलोमीटर दूरिहा मिर्जापुर मा बस पहुँचिस तहाँ ले उत्तर प्रदेश शासन के मेला प्रबंधन के प्रभाव दिखे ला धरलिस।जगा-जगा यातायात पुलिस के बेरियर। येती मत जाव-वोती ले जाव --अइसे करत करत लगभग 400
कि० मी० उपराहा घुमके लगभग 12 बजे बस हा नैनी (प्रयागराज) पहुँचिस।संगम ले लगभग 20 कि०मी० दूरिहा अरेल क्षेत्र मा यात्री मन के निवास अउ वाहन स्टेंड बने हवै।उँहे सेक्टर 6 मा छत्तीसगढ़ शासन के तको हावय। थोकुन तीर के उहाँ बने स्टेंड मा बस खड़ा होगे। विचार विमर्श के बाद तय होइस के आज बसंत पंचमी आय जेन 3फरवरी के सुबह 7बजे ले रइही।जादा भींड़ ले बँचे बर आजे रात-बिकाल ले संगम मा स्नान करे जाय।सबो समान ला बसे मा छोंड़ के सिरिफ पूजा पाठ अउ स्नान के बाद बदले बर कपड़ा ला धर के संगम कोती रेंगना चालू करेन। व्यवस्था ये बनाये गेइस के हमर दल के पहिचान के एक झंडा आगू मा रइही अउ एक झंडा पाछू मा रइही।सब झन ला एक लाइन मा ही एकर बीच मा चलना हे।सबके जेब मा अपन अता-पता अउ आधार कार्ड अनिवार्य रूप ले राहय।एक दूसर ला छोंड़ना नइये।
मन मा बीस किलोमीटर रेंगइ अउ भींड के भारी डर के बीच पैदल चलना चालू होइस।ठंड मिले तेज धूप हा अपन असर बताये ला धरलिस।सबके स्वेटर साल गुमटाके झोला मा धरागे।
पैदल चले के डर कुछ समे के बाद सिरागे जब ये पता चलिस के प्रशासन हा यात्री मन के परेशानी ला देख के मेला क्षेत्र मा वाहन मन के प्रवेश मा 30जनवरी ले जेन प्रतिबंध लगाये रहिसे तेमा ढिलाई देवत दूपहिया-चार पहिया छोटे वाहन मन ला संगम मेला क्षेत्र ले चार- पाँच कि०मी० दूरिहा तक पहुँचे के छूट देये हे।जान के अइसे लागिस के गंगा- मइया के कृपा बरसे ला धरलिस।
जम्मों झन टेक्सी मा बइठ के (एक झन के 50/किराया) संगम कोती चलेन।उहाँ फोर्स के बेरियर लगे राहय। आगू वाहन प्रवेश निषेध रहिसे।सब झन उतर के जयकारा लगावत पैदल चलना चालू करेन।रस्ता मा गजब के व्यवस्था रहिसे।जगा-जगा वाशरूम,पिये के पानी, शांति वयवस्था, कोनो रेल-पेल,धक्का-मुक्की नहीं,बस आनंद अउ खुशी। मन के बाँचे-खुचे जम्मों डर सिरागे। रस्ता मा वो हैलीपैड तको मिलिस जिहाँ 1300/प्रति व्यक्ति किराया लेके मेला क्षेत्र के आसमान ले दर्शन कराये जावत रहिसे।मोरो मन होइस फेर समूह धर्म के पालन करना जरूरी रहिसे।
लगभग 4कि०मी० पैदल चलके हम संगम घाट मा पहुँच गेन। हमर सौभाग्य रहिसे के जेती ले आयेन तेती ले संगम लकठा मा रहिसे।
दिन के लगभग 3/4बजे संगम मा पूजा-पाठ अउ पवित्र डूबकी लगायेन।कोनो भींड़-भाड़ नइ रहिसे।हजारों मनखे डूबकी लगावत रहिन हें।
आस्था के पवित्र डूबकी सम्पन
होगे।यात्रा के थकावट दूर होगे।अइसे लागिस के ये सफल तीर्थ यात्रा ले जीवन धन्य होगे।
स्नान के पाछू वापसी के पहिली मेला क्षेत्र ला घूमे बर निकलगेन। बहुत जादा भींड़ कोनो जगा नइ रहिसे। भींड़ नइ रहिसे तेकर कारण समझ मा ये आइस हे के 29 जनवरी के घटना के बाद शासन प्रशासन के सख्त अउ चुस्त दुरुस्त तैयारी। यात्री मन ला एक जगा जुरियाके बइठन अउ सोवन नइ देना। चलते राहव कहना। 14 फरवरी तक मेला क्षेत्र मा वी आई पास ला रद्द करे के सेती बाहरी वाहन मन के नइ चलना।जम्मों पीपा सड़क मन ला आवाजाही बर खोल देना।वन वे ट्रेफिक। साधू संन्यासी मन बर एक अलग रस्ता अउ घाट।बड़े बड़े मंदिर मन मा दर्शन ला रोंक देना। एक दिन आके चार पाँच दिन ले मेला क्षेत्र मा जमे करोड़ो मनखे मन ला हटा देना आदि।
50/60 किलोमीटर क्षेत्र मा फइले मेला क्षेत्र ला जादा नइ घूम पायेन।घूमत घामत रात के अपन बस तीर सकुशल वापस आगेन अउ रातों-रात घर वापसी बर निकलगेन। रास्ता मा जगत प्रसिद्व *विंध्यवासिनी मंदिर* के दर्शन करेन जेन हा विश्व के 51शक्ति पीठ मा एकमात्र आय जिंहा *आदि शक्ति* हा अपन पूरा शरीर के साथ बिराजे हे।मंदिर मा बहुत भींड़ रहिसे फेर दर्शन होगे। 3 फरवरी के देर रात घर पहुँच के चिरस्मरणीय यात्रा निर्विघ्न सम्पन्न होगे।आँखी मा जेन उहाँ देखेन अउ कान मा अफवाह के रूप मा जेन कई बात सुने रहेन तेमा जमीन आसमान के फरक मिलिस। हाँ ट्रेन मा मनमाड़े भीड़ अउ परेशानी अउ प्रयाग ले अयोध्या ,प्रयाग ले काशी जवइया सड़क मा घंटो जाम अउ भारी भींड़ के जानकारी मिलिस।
धन्य हे महान भारत देश के सांस्कृतिक-धार्मिक विरासत।धन्य हे महाकुंभ प्रयागराज जिंहा देश विदेश के लोगन संग इहाँ के हर जिला-,हर क्षेत्र के मनखे आस्था के डूबकी लगावत हें।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद,छत्तीसगढ़
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