*छत्तीसगढ़ के भीम-- दाऊ चिंताराम टिकरिहा जी*
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छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा मा अनेक महा मानव मन खेले-कूदे हें अउ वोकर अँचरा के छँइहा पाके सरी दुनिया मा जस बगराये हें।
उही विभूति मन मा शामिल हें छत्तीसगढ़ के भीम, बहुतेच बलवान- पहलवान,कर्मठ कृषक दाऊ चिंता राम जी।
दाऊ चिंता राम के जनम ब्रिटिश शासनकाल मा मध्यप्रांत वर्त्तमान मा छत्तीसगढ़ के रायपुर जिला,तहसील-तिल्दा के छोटे से गाँव कुम्हारी(कठिया) मा ईस्वी सन् लगभग 1880 मा माता श्रीमती सुखिया बाई अउ पिता दाऊ दौवाराम टिकरिहा जी के घर होये रहिसे।दाऊ जी के चार बेटा अउ चार बेटी मा चिंता राम हा सबले बड़े रहिस हे।
कहे गे हे के- " पूत के पाँव पालना मा देखे ला मिल जथे। बालक चिंता राम फुंडा-फुंडा गाल के मजबूत शरीर के पैदाइसी ले रहिसे।आन लइका मन के तुलना मा वो जल्दी मढ़ियाये अउ रेंगे-दँउड़े ला धरलिस।बचपने मा कोनो भारी जिनिस ला उठा लेवय जेला देख के लोगन भारी अचरज करयँ।
श्री दौवाराम टिकरिहा जी हा तीन गाँव कुम्हारी, मुसवाडीह अउ बुड़गहन के हजारों एकड़ के खेती वाला बड़का दाऊ रहिसे फेर वोमा बिल्कुल अहंकार नइ रहिसे।उन बहुत मृदुभाषी, मिलनसार अउ धार्मिक प्रवृत्ति के रहिन हे ।पूरा परिवार बहुतेच संस्कार वान अउ धार्मिक रहिस हे जेकर प्रभाव बालक चिंताराम मा बहुते परे रहिस।
बालक के शिक्षा-दीक्षा नजदीक के गाँव कठिया(कुम्हारी) मा शुरु होइस।लोहा जइसे मजबूत शरीर वाला ये बालक पढ़ई-लिखई के संगे संग खेल-कूद मा तको तेज रहिसे। कबड्डी मा तो विरोधी टीम के जम्मों झन ला अकेल्ला ईंचत माई डाँड़ मा ले आवय।रस्सा खींच मा पूरा कक्षा भर के लइका एक तरफ ता वो अकेल्ला एक कोती भारी परय।कुश्ती मा तो वोकर सो कोनो लड़े बर तइयारे नइ होंवयँ। धीरे- धीरे स्कूल के लइका मन वोकर संग खेले बर छोंड़ देइन।बालक चिंताराम एक जगा बइठे टुकुर-टुकुर देखत राहय। ये बात के पता गुरुजी मन ला चलिस ता वोमन वोकर बल के कई प्रकार ले जाँच करिन ता दंग रहिगें।
पढ़ाई-लिखाई पूरा होइस तहाँ ले महाबली युवा चिंता राम हा अपन पिताजी के खेती-बारी ला सम्हाले ला धर लेइस। वोकर दादा दाऊ श्री गंगा राम जी ला गौपालन के बहुते चाह रहिसे। युवा चिंता राम वोमा अपन दादा के बहुत जादा सहयोग करे ला धर लेइस।दूनो झन गउ माता के सेवा मा लगे राहयँ। नाती-बबा के जोड़ी तको जोरदार जमय।
जब चिंता राम जी के उमर बिहाव के लाइक होइस ता वोकर मँगनी-जँचनी एक झन नोनी सो होइस फेर दुर्भाग्य ले बिहाव के पहिली वोकर इंतकाल होगे।परिवार के मन कुछ दिन पाछू युवा चिंता राम के शादी सिरवे के दाऊ रामेश्वर सिंह के सुपुत्री विक्टोरिया बाई ले कर देइन।दूनों के गृहस्थी के गाड़ी सुग्घर चले ला धर लेइस अउ ये दम्पति ला दू पुत्र अउ तीन कन्या रत्न के प्राप्ति होइस।
सही बात ये - "समे अबड़ बलवान " होथे।विधि के विधान समझ मा नइ आवय। भगवान हा अच्छा इंसान ला मनमाड़े कस के देखथे। श्रीमती विक्टोरिया बाई के असमय इंतकाल होगे।पूरा परिवार मा दुख के पहाड़ टूटगे। धीर-ज्ञानी दाऊ चिंताराम हा बैरागी बरोबर होगे।खाना-पीना छोड़के दूबी के रस पीके जीये ला धरलिस।
परिवार के बड़े बुजुर्ग मन समझाइन के-- 'दाऊ बेटा! तैं धीर धर।तहीं दुखी रहिबे त लोग लइका अउ हमर का होही? पूरा परिवार तहस-नहस हो जही। पाँच झन लइका अउ बड़का परिवार के जिनगी के खियाल करके दाऊ चिंता राम हा धीरे-धीरे थिरबाँव होइस अउ लोगन से मिले जुले ला धरलिस अउ दुबारा खेती- किसानी मा रमगे।
कुछ साल पाछू परिवार के मन समझा बुझाके वोकर एक अउ बिहाव सेजा के दाऊ हरीराम पैकरा जी के बेटी बतिबाई से कर देइन।ये खुशहाल जोड़ी ले 2 पुत्र अउ 9 पुत्री के रूप मा संतान प्राप्त होइस।
मनखे के जिनगी मा उतार-चढ़ाव,सुख-दुख तो आते-जाते रहिथे।दाऊ चिंताराम के परिवार मा भाई बँटवारा के मौका आगे।बँटवारा होइस फेर मया के डोरी कभू नइ टूटिस।बड़े भाई के अपन निस्वार्थ धरम ला निभावत वो हा अपन दूनों भाई ला गद खेतवार वाला गाँव मुसवाडीह अउ कुम्हारी ला दे देइस अउ अपन हा बलौदाबाजार ले लगभग 15 कि० मी० दूरिहा,जमनइया के खँड़,टापू मा बसे गाँव बुड़गहन ला जिहाँ वो जमाना मा आये जाये बर चिखला माते गाड़ा रवान धरसा के अलावा कोनो सड़क नइ रहिसे,जेन गाँव ले चउमास के चार महिना बाहिर निकलना मुश्किल राहय तेला मंजूर कर लेइस। बाद मा दाऊ चिंताराम हा अपन अथक मिहनत ले इहाँ ला सरग बना देइस।नौ सौ एकड़ के खेती जेला देखे बर अतराफ के लोगन आँवय। आजू बाजू 25कि०मी० के बनिहार-भूतिहार मन के दाऊ जी हा काम देके अपन परिवार कस पालन पोसन करय।वोकर किसानी उन्नत खेती के नमूना राहय।वो अँचल मा वोकरे सो रूस के बने टेक्टर युनिवर्सल 650 रहिसे जेला देखे बर मेला कस लोगन जुरिया जवयँ। वो जमाना मा अँचल मा रोपा पद्धति ले धान लगाये के शुरुआत उही हा करे रहिसे। वोकर सो जूहा मतलब अइसे नाँगर रहिसे जेमा 15--20 नास राहय अउ एक संग 15- 20 भँइसा या बइला फँदावय।येला वो खुदे जोंतय या फेर वो नौकर-चाकर मन जेला उन ट्रेनिंग दे राहय।
दाऊ जी हा बहुते पशु प्रेमी रहिसे।भँइसा मन घाम मत पावय कहिके ऊँकर ले सुबे 10 बजे तक अउ बइला मन ले सुबे 10 ले 1 बजे तक काम लेवय तहाँ ले ढिलवा देवय।वोहा कुशल घुड़सवार तको रहिसे।वोकर बाँड़ा मा कोठा भर गाय के सेवा होवत राहय।गाय,बइला ,भँइसा, घोड़ा, 25-30 ठो पोंसवा कुकुर मन ला राउत-पहाटिया मन दवा-पानी अउ ऊँकर पौष्टिक खुराक देवत राहयँ।बेरा-बेरा मा अलसी,सोंठ अउ गुड़ के बने लाड़ू खवावयँ।
धनी-मानी होये के बावजूद दाऊ जी ला चिटको अंहकार नइ रहिसे।मेहनती अतका के लुंहगी या फेर पटकू-पंछा पहिन के खुला बदन खेत मा बूड़े राहय। वोकर ये वेषभूषा हा तभे बदलय जब वोहा पँचहत्थी धोती अउ सलुखा पहिन के सगा-सोदर घर या कहूँ अन्ते जावय।
ब्रह्ममुहूर्त मा उठके नहाँ धोके हनुमान जी के पूजा पाठ करके, कम से कम एक हजार डंड बइठक लगाके,अउ सैकड़ो पइत बड़ भारी दूनों हाथ मा मोदगर ला घुमाके,व्यायाम करके खेत पहुँच जावव अउ बनिहार मन के आये के पहिली दसों झन के पुरता अकेल्ला काम कर डरे राहय।वोकर एके ठा खेत हा 15--20 एकड़ के एकदम पट भाँठा कस समतल राहय।दाऊ जी हा अपन खेत मा रसायनिक खातू के उपयोग नइ करके सिरिफ घुरवा खातू(आर्गेनिक खाद) डारय।
दाऊ चिंता राम जी हा धार्मिक,समाज सेवी अउ महादानी रहिस हे।हनुमान के परम भक्त दाऊ जी हा प्राचीन तुरतुरिया मंदिर के जीर्णोद्धार मा तन मन धन ले योगदान देइस। 80- 85 साल के उमर मा डेड़ दू कुंटल के पथरा मन ला अपन बगल मा दबा के पहाड़ मा चढ़ावय वो पथरा मन आजो उहाँ माढ़े हें। अपन खाँध मा काँवर बोह के समान पहुँचावय।सन् 1969 ले सन्1974 तक वोकर कठिन मेहनत,त्याग-तपस्या ले मंदिर के जीर्णोद्धार सम्पन्न होइस।वोकर जलाये अखंड जोत मंदिर मा आजो जलत हे।अपन गाँव मा खुद स्कूल बनवाके देइस।बुड़गहन ले करमदा तक सड़क बनवाये बर अपन जमीन ला दान करिस। सरकारी नहर जेन अंते ले जावत रहिसे तेला बुड़गहन कोती लाइस।अपन गाँव अउ आजू-बाजू गाँव के गरीब, मजदूर मन के कोनो भी सुख-दुख मा आगू राहय।छट्ठी, छेवारी,शादी-बिहाव अउ मरनी-हरनी मा अन्न-धन ले सहायता करै।
100 किलो वजन के गठीला शरीर वाले दाऊ जी के बल अउ भोजन अति रहिसे।ये मामला मा वो समे बीसवीं सदी मा पूरा भारत देश मा दुये झन-- छत्तीसगढ़ ले दाऊ चिंताराम अऊ आंध्रप्रदेश के कोडी राममूर्ति नायडू हा श्रेष्ठ गिने जावयँ।
चाय अउ माँस-मदिरा,लसून-प्याज ले दूर दाऊ जी के शुद्ध सात्विक भोजन भारी भरकम राहय। एक पइत मा 4 से 6 किलो तक भोजन वो करय जेमा35 ले 40 ठो रोटी,2 किलो चाँउर के भात,लगभग 2 किलो साग-भाजी ,सलाद,1 किलो दार,1पाव घी या मक्खन ,लगभग 2 किलो दूध शामिल राहय। वोकर थारी ,लोटा,गिलास मन बड़का-बड़का राहय।आन घर जातिच त जानकर मन बड़े कोपरा मा भोजन परोसयँ। दाऊ जी हा नल के पानी कभू नइ पियत रहिसे वोहा कुँआ के साफ पानी पियय। वो हा मीठा खाये के बड़ शौकीन रहिस हे। 3--4 किलो जलेबी ला अइसने झड़क दय।100-200 गुलाब जामुन ला वोकर चासनी सहित गटक दय।एक पइत एक झन पहलवान ले शर्त लगिस ता अस्सी ठो पूड़ी ला खाके डकार तको नइ मारिस।
दाऊ चिंता राम हा अति बलशाली रहिसे। धनहा मा बोजहा भराये कोनो गाड़ा सटक जावय(धँस जय) अउ कोनो उपाय करे मा नइ निकलय तब उहाँ दाऊ जी पहुँच जवय अउ एक कोती जुड़ा मा खुद फँदा के जोर लगाके खींच के गाड़ा ला निकाल देवय। 2-3 कुंटल वजनी लकड़ी ला देखते-देखत उठाके तिरिया देवय-- बोह के कहूँ ले जावय। सन् 1940 मा जब मुसुवाडीह गाँव के ऊँकर घर बनत रहिसे ता फीट 22 के बहुतेच गरू लगभग 15 ले 20 कुंटल पथरा ला एक कोती 10-15 आदमी ता एक कोती अकेल्ला बोह के डोहार देइस। वो पथरा आजो हे। वो हा70-80 किलो धान भराये दू दी बोरा ला अपन अगल- बगल मा दबा के डोहार लेवय।बड़े -बड़े वजनी सील-लोढ़ा ला तो वोहा अइसने मुठा मा धरके एती ले वोती पहुँचा देवय। एक पइत कुर्रा-बंगोली जावत समे वोकर बइला गाड़ी(इही गाड़ी मा या घुड़सवारी करके वो यात्रा करय) हा माड़ी भर चिखला मा धँसगे।वोकर हट्टा-कट्टा हजरिया बइला मन नइ इँचे सकिच ता वो हा बइला मन ला ढिलके खुदे इँच के निकाल देइच।एक दिन वो हा जमनइया घाट मा दतवँन करत रहिसे ता एक झन मजाक मा कहि देइच-- 'का दाऊ नान नान बम्हरी डारा के दतवँन करथव '? दाऊ कहिच--'अच्छा ये बात हे।' ले भई कहिके गेइस अउ जाँघ असन मोट्ठा बम्हरी के पेंड़ ला जर सहित उखाड़ देइस जबकि वो पेंड़ ला पचासोंआदमी
मिलके नइ उखाड़े सकतिन। एक पइत दू ठन भँइसा मन गली मा मनमाड़े लहूलुहान के होवत ले लड़त राहँय।भँइसा बैर तो जग जाहिर हे।उन हटबे नइ करयँ। एक ठन पटकाय अउ एक ठन हुबेलत राहय।लोगन दाऊ जी ला जाके बताइन।वो हा आके हुबेलत भँइसा के पूछी ला धरके इँचीस अउ फेंक दिच।
एक पइत दाऊ जी हा लगभग सन् 1935-36 मा चित्रकूट के यात्रा मा गेइस ता का देखथे के परिक्रमा के रसता मा बड़े जान पथरा माढ़े हे।लोगन ला बड़ परेशानी होवत हे।पुजेरी हा पूछे मा बताइस के ये पहाड़ ले गिरके आये हे। येला रसता ले टारे के अबड़ कोशिश करे गेहे फेर ये हटाये नइ जा सकिच।दाऊ चिंताराम हा वोला उठाके अंते हटा दिच।वो पथरा मा पुजेरी हा ' श्री चिंता राम टिकरिहा, ग्राम-बुड़गहन(छत्तीसगढ़)' लिखवाये रहिसे जेन हा सन् 1994 तक रहिसे।
दाऊ चिंता राम के बल के जतका जादा बखान करे जाय वो कमतीच होही।बड़े-बड़े पहलवान मन वोकर बल के थाह पाये बर आवयँ अउ मात खा जावयँ।
सादा जीवन- उच्च विचार वाले चिंता राम जी कभू गंभीर रूप ले बीमार नइ परिच।वो आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के जानकर रहिस। अपन बनाये दवाई ले लोगन के सेवा करत राहय।
ये मृत्युलोक मा मौत हा अटल सत्य ये।वो हा कोनो ला नइ छोड़य।कोनो न कोनो बहाना बनाके आ धमकथे। सन 1980 के बात होही।दाऊ चिंता राम ला साँस लेये मा दिक्कत आगे।परिवार के मन इलाज करवाये बर रायपुर ले गेइन। डाक्टर मन के अथक प्रयास करे के बावजूद दाऊ जी ला नइ बँचाये जा सकिच। परिवार के उपर दुख के पहाड़ गिरगे।दाऊ के मृत शरीर ला बुड़गहन लाये गेइस। अंतिम यात्रा मा रोवत गावत हजारों नर-नारी के रेला लगगे। दशगात्र के दिन गाँव मा अतका लोगन सकलाइन के पाँव रखे के जगा नइ बाँचिस।
आज दाऊ जी के निशानी के रूप मा वोकर पुश्तैनी घर के मंदिर मा वो मोद्गर माढ़े हे जेला वो चालय, वोकर आराध्य श्री हनुमान जी के मूर्ति हे जेकर दर्शन करे बर लोगन जाथें।
ग्राम बुड़गहन अब तो साधन सम्पन्न होगे हे जिंहा छत्तीसगढ़ के भीम दाऊ चिंता राम जी के यशस्वी सुपुत्र स्व०श्री झाड़ू राम टिकरिहा,श्री दुर्गा टिकरिहा, श्री दौलत टिकरिहा अउ श्री धनेश टिकरिहा जी के परिवार जन निवास करथें।
धन्य हे छत्तीसगढ़ महतारी अउ धन्य हे वोकर माटीपुत्र छत्तीसगढ़ के भीम स्व० दाऊ चिंता राम टिकरिहा जी।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद,छत्तीसगढ़
[2/13, 12:41 PM] कवि बादल: 👆विशेष--- दाऊ चिंता राम जी के संबंध मा एक उर्जावान विद्वान नवयुवक श्री एस०अंशु धुरंधर जी हा, 9वर्ष के अथक मेहनत ले शोध ग्रंथ अउ डाक्यूमेंट्री फिल्म के निर्माण करे हे जेकर भव्य विमोचन समारोह 6जनवरी 2025 ग्राम बुड़गहन मा आयोजित रहिसे। जेमा भाग लेये के सौभाग्य मिले रहिसे।डाक्यूमेंट्री में वो क्षेत्र के सामाजिक सेवक होये के नाते वक्तव्य देये के सौभाग्य मिले हे।
ये डाक्यूमेंट्री ला "रायपुर आर्ट, फिल्म एवं लिटरेचर फेस्टिवल मा हजारों प्रविष्टि मा चयनित करके 8 फरवरी 2025 के पं दीनदयाल आटोडोरियम रायपुर मा देखाये गेइस।
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