"वैलेंटाइन डे अउ मातृ-पितृ दिवस"
वैलेंटाइन डे नाम ला सुन के आज के टूरा-टूरी अउ जवान मन एक दिन पहिली पुचपुचावत रहिथें अउ वैलेंटाइन मनाय बर किसम-किसम के उदिम करत मटर-मटर करत रहिथें। आजकल के लोग लइका मन वैलेंटाइन डे के दिन ला प्रेम दिवस के रूप मा मनाय जाथे कहिके आनी-बानी के चोचला करथें अपन मयारु मनला मनाय-पथाय बर लगे रहिथें। कोनों मन बाग बगीचा मा गुलाब के फूल देइक देवा होथें ता कोनों मन अपन मनसरवा बर आनी-बानी के उपहार लेथें। फेर-वैलेंटाइन डे के सही अर्थ काय हरे तेला भूला के वोकर गलत ढंग ले मतलब निकालथें। आज के हमर नौजवान लइका मनला वैलेंटाइन डे के सही ज्ञान होना जरूरी हे अउ ये ज्ञान लइका मनला घर के दाई-ददा परिवार के सदस्य मन बताहीं तभे वो मन ला सही दिशा मिलही। काबर के आज के लइका मन सिरिफ बहिरी रूप-रंग के सुन्दरई ला देख के एक दूसर मा मोहा जाथें अउ उही ला प्रेम मान बइठथें।
आज के नौजवान लइका, टूरा-टूरी मन अपन दिशा ले भटकत हावँय। वोमन ला जानना जरूरी हे कि "वैलेंटाइन डे:" के सही अर्थ का हे। ये हमर परंपरा मा नइ रहिस। फेर धीरे-धीरे विदेश के ये रिवाज हा आज के लोग लइका मन ला अपन तीर खींचत हावय। दूसर के रीति रिवाज ला अपनाय मा कोनो बुरई नइ हे फेर ये बात ला समझना जरूरी हे कि वो हमर बर सही हे कि नहीं।
वइसने वैलेंटाइन डे ला घलो जानना जरूरी हे कि वैलेंटाइन डे काबर मनाथें। वैलेंटाइन रोम के एक पादरी संत रहिस जेन हा रोम के सैनिक मन के प्रेम विवाह के समर्थन करे रहिस उनकर जीवन ला सँवारे बर। रोम के राजा सम्राट क्लॉडियस द्वितीय ला वैलेंटाइन के ये काम हा पसंद नइ आइस ता वोहा संत वैलेंटाइन ला मृत्युदंड के सजा सुना दिस। सैनिक मन के प्रेम विवाह रोम के राजा ला पसंद नइ रहिस। अउ ये खातिर पसंद नइ रहिस कि प्यार के चक्कर मा आके सैनिक मन के मन हा भटकत रहिस। वो मन अपन काम मा धियान नइ देत रहिन। तेकर सेती संत वैलेंटाइन ला मृत्यु दंड के सजा 14 फरवरी के दे गीस। वैलेंटाइन के मउत हा प्रेमी मन बर प्रेम बलिदान के प्रतीक बनगे। अइसे इतिहास मा पढ़े सुने ला मिलथे । संत वैलेंटाइन हा सच्चा प्रेम के समर्थन करे रहिस। आज के बेरा बखत मा प्रेम के वो जम्मो परिभाषा बदलत हे।
हमर आज के पीढ़ी मन वैलेंटाइन डे ला रोज डे, प्रामिस डे, प्रेमी जोड़ा डे, प्रपोज डे कहिके येला फैशन बनाके मान मर्यादा सबो ला भूलाके अनुचित बेवहार करथें जेन हा हमर संस्कृति के हिनमान आय। अइसन चोचला के मया पिरित हा बछर भर नइ होवन पाय अउ मुरझाय गुलाब के पंखुड़ी कस टूट के ऐती-ओती छरिया जाथे। कोनों-कोनों मन होही जेकरे वैलेंटाइन डे जिनगी भर निभत अउ निभात होही।
इही सब चीज ला देखत अउ नौजवान लइका टूरा-टूरी मनला बिगड़त देख के हमर देश राज मा 2007 ले "वैलेंटाइन डे" ला मातृ-पितृ दिवस के रूप मा मनाय के परम्परा शुरु होइस। अब 14 फरवरी ला "वैलेंटाइन डे" के संगे-संग दाई-ददा के पूजन दिवस के रूप मा मना के दाई-ददा मन ला सनमान करे के उदिम शुरू होय हे। अउ ये कार्यक्रम ला हर बछर ईस्कूल मन मा घलो मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप मा मनाय जाथे। जेकर ले लइका मन ला संस्कार के सीख मिलथे।
मातृ-पितृ दिवस मनाय के ये उदिम बड़ सुग्घर हे। फेर देखे मा मिलथे कि ये दिन मातृ-पितृ दिवस ले जादा वैलेंटाइन डे के धूम रहिथे। बीते कुछ बछर ले ये दिन हा हमर देश राज मा फैशन बरोबर होगे हे। हमन ला ऐला फैशन नइ बना के ये दिन ला सच्चा मया पिरित के दिन बनावन अउ पबरित मया के परिभाषा ला जानन अउ जिनगी ला सँवारन। मया पिरित के चिन्हारी मा सब एक दूसर ला अइसन गुलाब के फूल देवन जेन हा कभू झन मुरझावै अउ वोकर महक हा जिनगी के बगीचा मा महर-महर महकत राहय। अउ हमर मया हा दाई-ददा, भाई-बहिनी, संगी-संगवारी सब मन ले बने रहे सबके मान मर्यादा हा सुग्घर एक दूसर ले बँधे रहे। एकरे ले वैलेंटाइन डे अउ मातृ-पितृ दिवस हा सार्थक होही।
डॉ पद्मा साहू "पर्वणी"
खैरागढ़ छत्तीसगढ़ राज्य
धन्यवाद छंद के छ खजाना
ReplyDelete