कहिनी *// सुमता के डोर //*
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करमडीह गाँव के सुमता सबो ले अलगेच चिन्हारी हावे।उहां के सुमता के सोर दुरिहा-दुरिहा ले सेमी नार असन फइले रहय।करमडीह डोंगरी के खाल्हे म बसे हावे।जिहां नरवा के धार खल-भल,खल-भल दूरिहा ले गीत गावत असन सुनावत रहिथे।नरवा के तीरे-तीर बारी बिरछा लगे रहिंथे।ओ गाँव के मनखे मन के मया ह *मुर्रा लाड़ू असन ढिंढ़याय* हावे।खेती-किसानी अउ जम्मो बूता-काम ल सबो जुरमिल के करंय।रीति-रिवाज अपन जुन्ना संस्कृति अउ पौनी-पसारी म रचे-बसे हावे अउ तीज तिहार ल घलो जूरमिल के बड़का उछाव ले मनावंय।
गाँव ओतका जादा बड़का नि हे फेर गाँव के *सुमता के डोर* बड़ दुरिहा ले सूरुज के जोत असन जगमगावत रहय।गाँव म सबो जाति के मनखे मन रहंय।गिनती लगाय म उंहा के जनसंख्या दू-अढ़ाई हजार रहिस होही।जेन अपन-अपन काम-बूता ल मगन होके करंय।सियान मन के गोठ *अमरीत* कस जनावय।इही अमरीत बानी के खातिर सबो मनखे मन एके *गुरलाटा* रहंय।गाँव म नानमून लड़ाई झगरा गाँवेच म निपट जावे कभू नालिस फिरयाद नि होइस अउ न तो कभू कोर्ट-कछेरी के फइरका के *सकरी हलाय* के जरुरत परिस।गाँव के सबो लोगन मन पढ़े लिखे रहिन ते पाय के पूर्ण साक्षर के ईनाम सरकार डहर ले पाय रहिन।
गाँव के सुमता ल देख के परोसी गाँव ह *ईरखा पोसे* के शुरू करे रहिन फेर उंकर इरादा कभू पूरा नि होय पाइस।कोनों मंथरा असन *मति ल थरे* ल धर लिन त कोनों शकुनि जइसन *पासा के चाल ल फेकें* के उदीम घलो करके देखिन।फेर बपुरा मन ल *मुँहूं लुकउल* होगिन।करमडीह गाँव के मनखे मन के मति ह *मया मंधरस म सनाय* रहिस ते पाय के काकरो इहाँ *दार नि गल* सकिस।
सुमता के डोरी ल टोरे के कतको झन मन उदीम खोझत रहिन।तइसनहे ठउका ग्राम पंचइत के चुनाव लकठियावत रहिस। सबो ल मउका के अगोरा रहिस कि गाँव ल कइसनहों करके सुमत के डहर ल *पांव तरी रउंदना* हे।सबो ल चुनाव ह बने मउका पाय हन कहिके मने-मन उछाव करत जोहत रहिन।काबर कि पंचइत चुनाव ह घर-घर अउ मनखे-मनखे म *बैरवासी के पीकी* उलहोय धरथे।
घासीराम गाँव के बने गुनिक सियान रहय।गाँव विकास बर उदीम करय,सबोझन ल सुमता के डहर म रेंगे बर जोगंय।ओहा गाँव म मंद-मउंहा,जुआ-चित्ती बुराई ल तीर म ओधकन नि देवै।काबर कि ये बुराई मन मनखे ल आघू बढ़े बर पनपन नि देवय,भलुक तरीच-तरी *मनखे ल खोखरा* कर देथे। येकर ले पूरा परिवार के *बेंदरों बिनाश* हो जाथे। ओहा बने नियाव पंचइती ल *दूध के दूध* अउ *पानी के पानी* कर देवय।ते पाय के गाँव के मनखे मन ओकर कहना मानें,आदर सन्मान करंय।
' का हालचाल हे ! घासी कका ' ?....फिरु पूछथे।' सबो तो बने-बने हावे फेर तैं कहाँ जावत हस ' ?.... मुसकावत घासी पूछथे।' कहाँ जाबे ! बस तोरेच करा तो आय हौं '.....फिरु कहिस।' बता का काम परगीस गाँव म सबो बने हावे न ' ?....घासी कहिस।' अब चुनाव लकठियावत हे कका '......फिरु बताइस।' त ओमा काय हे पाँच साल पुरगे चुनाव तो आबेच करही '...... घासी कहे लगिस।' ओ तो आबेच करही कका फेर मोला ये साल के चुनाव डर लागत हावे '....फिरु कहिस।' का के डर येमा पाछू बछर निर्विरोध चुनाव होय रहिस ओइसनेच येहू बछर होही '.....समझावत कहिस।
' हमर परोसी गाँव के चोखी नजर हमरे गाँव म गड़ियाय हावे '....फिरु फेरेच कहिस।' ले गड़ियाय हे तेमन ल गड़ियाय रहन दे '.......घासी कहिस।' गाँव के सबो समाज के मुखिया मन ल बलवाय बर घासी जोंगिस '।संझवाती बेरा सबो गाँव के गुड़ी म सकलाइन।' सुना भई हो चुनाव लकठिया गे हावे चुनाव बर अपन-अपन विचार अउ सुझाव दिहौ '......घासी समझावत पूछिस।' हमर गाँव म पन्दरा वार्ड हावे अउ पन्दरा समाज के घलो हावन सबो समाज ले एक-एक झन पंच बन जाबो '.........सीटू कहिस।' केवट समाज इहाँ जादा हावे त केवट समाज ले सरपंच बना देतेन कका '.....मोहित कहिस।' सबो के विचार ल सुनिस अउ ठीकेच कहत हौ '.....घासी कहिस।
भुरवा केवट जबर सामाजिक कारज म लगे रहय,अपन के जिनगी ल समाजिक सेवा म गुजार दिस हे,फेर अब ओहा ये दुनिया ले सरग सिधार गे हावे।ओकर बहुरिया फेकनी बाई हावे तेन ह बने पढ़े-लिखे के संगे-संग समाजिक सेवा म निसुवारथ भाव ले लगे रहिथे।ओहर *गउ जइसन* सिधवी अउ *सतवन्तिन* हावे। माईलोगन मन संग बने हिले-मिले रहिथे,अउ संगे-संग ओहा सुग्घर कारज घलो करत हावे।ओही ल सरपंच बना देतेन, गाँव के सबोझन कहे ल धर लिन।अउ फेर का सबोझन के सहमति म गाँव के सरपंच पद बर फेकनी बाई के नांव टिपा गिस।
गाँव करमडीह के ग्राम पंचायत के चुनाव म फेकनी बाई सरपंच पद के फारम भरिस अउ सबो जाति के मन एक-एकझन पंच पद के फारम भरिन।सरपंच अउ सबो पंच मन निर्विरोध निर्वाचित होगिन।गाँव म सुमता रहिस ते पाय के अइसन हो पाइस।गाँव के नांव सबो जघा सूरुज के अँजोर कस जग-जग ले बगर के अँजोर करे लागिस।गाँव छोटकून हावे फेर *सुमता के डोरी* जबर लम्बा लमे हावे।
गाँव के सियान घासीराम के नियाव,गुनिक गोठ अउ उहां के मनखे के सूझ-बूझ ले गाँव के विकास के धार बोहाय लागिस।मंथरा असन मति थरइया अउ शकुनि जइसन मन के पासा फेकइंया चाल घलो काम नि आइस।ओमन *माथा पिटत* थथमराय रहि गिन। सरकार डहर ले गाँव म निर्विरोध पंच सरपंच बने के इनाम घलो पाइन।ओ गाँव म गोसाईं तुलसीदास जी के बानी ह सहिच म देखे म मिल गिस।
*जिहां सुमति तिहां जिनिस सारी।*
*जिहां कुमति तिहां दुखेच हे भारी।।*
✍️ *डोरेलाल कैवर्त " हरसिंगार "*
*तिलकेजा, कोरबा (छ.ग.)*
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