Sunday, 25 February 2024

बसन्त ऋतु :- जम्मों ऋतु मन मा बसंत ऋतु ला ऋतु मन के राजा माने जाथे एखर सेती एला ऋतुराज बसंत घलो कहिथे।

 बसन्त ऋतु :-


        जम्मों ऋतु मन मा बसंत ऋतु ला ऋतु मन के राजा माने जाथे एखर सेती एला ऋतुराज बसंत घलो कहिथे। 


          जाड़ के मौसम के बाद जब मार्च महिना आथे तब बसंत ऋतु के आगमन होथे। ये हा कड़ाके के ठण्ड ले राहत दिलाथे अउ ये मौसम मा न तो जादा ठण्ड होथे अउ न ही जादा गर्मी। ए ऋतु मा पेड़-पौधा मन मा नवा-नवा पाना - पतउवा आ जाथे, चारो कोती चिरई चुरगुन मन के मनमोहक आवाज सुनाई देथे। बसंत ऋतु मा प्रकृति के खूबसूरती बाढ़ जथे तेखर सेती एला जम्मों ऋतु मन के राजा कहे जाथे।


बंसत ऋतु के आगमन के दिन बंसत पंचमी के तिहार मनाए जाथे। बंसत पंचमी के दिन ज्ञान के देवी माता सरस्वती के जन्म दिवस घलो होथे। महाशिवरात्रि, होली, बैसाखी जइसे तिहार घलो इही ऋतु मा आथे अउ बड़े धूमधाम ले मनाए जाथे। बसंत ऋतु हा जम्मों प्राणी जगत मा एक नवा उर्जा के संचार घलो करथे अउ ये ऋतु हर सब ला पसंद हे।


    हमर देश मा फरवरी और मार्च महिना मा बसंत ऋतु हा आथे। बसंत ऋतु ला सब ऋतु मन के राजा या ऋतुराज बसंत घलो कहिथे। ये ऋतु के आय ले प्रकृति मा कई किसम के बदलाव देखे बर मिलथे। वृक्ष मन मा नवा पाना घलो आ जाथे  आमा के पेड़ मन मा बौर घलो लग जाथे, सरसों के खेत मन मा पींयर-पींयर सुग्घर फूल खिल उठथे। कोयली के कुहू-कुहू बोली बड़ सुग्घर लगथे। ये दिन मा आसमान एकदम साफ सुथरा दिखाई देथे अउ दिन मा चिरई चुरगुन सुग्घर उड़त दिखाई देथे अउ रात मा चंदा के चंदैनी मन घात सुग्घर दिखाई देथे।


   बसंत ऋतु के आय ले किसान मन के फसल घलो पके बर लग जथे। पेड़-पौधा जम्मों जीव-जंतु अउ मनुष्य ये मौसम मा जोश अउ उल्लास से भरे होथे। बसंत ऋतु बड़ सुग्घर सुहावना होथे। ये स्वास्थ्य बर घलो एक सुग्घर मौसम होथे काबर कि ये महिना मा वातावरण के तापमान सामान्य हो जथे। न जादा ठण्ड अउ न जादा गर्मी।


चारों कोती हरियाली छा जथे :- 


हरियाली कोन ला पसंद नइ हे अउ बसंत ऋतु तो एक अइसे ऋतु आय जउन खासतौर मा एखरे लिए जाने जाथे। ये मौसम मा रंग बिरंगा फूल प्रकृति के शोभा बढ़ाथे अउ हरा-भरा डार पान शाखा मन एक नवा जान भर देथे जेखर ले एखर सुंदरता सुग्घर बढ़ जाथे। ये मौसम मा चिरई मन खूब चहचहाथे, कोयली गुनगुनाथे अउ आसमान सुग्घर साफ सुथरा दिखाई देथे।


ये मौसम किसान मन बर बहुत उम्मीद ले भरे होथे काबर कि ये समय उँखर मन के फसल पके बर लग जथे अउ ओखर कटाई लुवाई के बेरा घलो हो जाथे। खेत मन मा लगे सरसो के फूल देखब मा बहुत सुंदर प्रतीत होथे। बाग- उपवन मन के सुघराई देखे के लायक होथे। पशु पक्षि मन बर बसंत अब्बड़ उपहार लेके आथे। इँखर मन बर पेड़ मन मा लगे हरियर हरियर पाना अउ स्वादिष्ट फल मन ला खाए के कतको विकल्प होथे। ये प्रकार वोमन ये मौसम के भरपूर आनन्द उठाथे।


सुहावना हो जाथे ये दिन :-


 हम सब  लोगन मन ला घलो ये बसंत ऋतु बहुत प्रिय होथे काबर कि शीत ऋतु के जाड़ भरे साँझ ला बिताय के बाद ये सुग्घर दिन आथे। अपन मन पसन्द हल्का कपड़ा पहन सकत हन अउ राहत भरे हवा के मजा उठा सकत हन। बसंत ऋतु के हर दिन सुग्घर सुहावना रहिथे, चारों कोती सुग्घराई दिखाई देथे। बाग बगीचा मन मा सुग्घर फूल खिल  के अपन पूर्ण आकार ले चुके होथे अउ ये दिन नवा उमंग ले भरे होथे।


     बसंत ऋतु हा कवि मन ला बड़ सुग्घर अनुभूति करथे जेखर ले प्रभावित होके वो मन एक ले बढ़के एक कविता मन के रचना करथे है। उँखर मस्तिष्क ये बखत जादा सृजनात्मक हो जथे काबर कि बसंत ऋतु के मौसम मा तन अउ मन दूनों ला बहुत सुग्घर अनुभूति होथे। जेखर ले दिमाग मा सुग्घर विचार मन के उत्पति होथे। 


एक रोला छंद देखव -


(बसंत बहार)-

देखौ छाय  बहार, आय  हे  गावत  गाना।

मन होगे खुश आज,देख के परसा पाना।।

फूले परसा  लाल, कोयली  बोलय  बानी।

गुरतुर लागे बोल,करौं का मँय अब रानी।।


एक जलहरण घनाक्षरी देखव -


(बसंत बहार)-

मन मोर  झुमें  नाचे, पड़की  परेवा बाचे,

लागथे  लगन  अब, शोर   बगराय बर।

परसा के फूल लाली,गोरी होगे मतवाली,

कुहके कोयलिया हा,जिवरा जलाय बर।।

आमा मउँर महके, जिवरा  घलो  बहके,

सरसो  पिँयर  सोहे, मन  ललचाय  बर।

हरियर     रुखराई,    चलतहे     पुरवाई,

आस ला बँधावत हे,मया ला जगाय बर।।


माता सरस्वती के जन्मदिन :- 


        बसंत ऋतु के बात हो अउ माता सरस्वती के सुरता न हो, बसंत पंचमी तो हम सब मनाथन काबर कि ये दिन माता सरस्वती के जन्म दिवस के रूप मा माने जाथे। जेला हर भारतीय एक पर्व के रूप मा मनाथे अउ विद्या के देवी माता सरस्वती ले स्वास्थ्य अउ अच्छा मस्तिष्क अउ ज्ञान के कामना करथे।


        ये दिन जघा-जघा  सरस्वती माता के मूर्ति घलो स्थापित करे जाथे। जेला बहुत ही पूरी आस्था के साथ सजाए जाथे अउ एखर 2 या 3 दिन बाद सुग्घर हर्ष अउ उल्लास ले लोगन मन के एक टोली नाचत कूदत गावत मूर्ति विसर्जन खातिर जाथे। ताकि माता अगले साल फिर आवय अउ हम सब ला आशीर्वाद देवय। बसंत पंचमी वाले दिन स्कूल अउ कॉलेज जवैया वाले विद्यार्थी मन पूरे भक्ति भाव ले माता सरस्वती के विशेष पूजा करथे ताकि माता सदैव उँखर ऊपर अपन कृपा दृष्टि बनाये रहै। ये दिन हिंदू धर्म मन बर बहुत महत्वपूर्ण होथे, पीला रंग सरस्वती माता के पसन्दीदा रंग आय एखर सेती बहुत से लोगन मन ये दिन पीला रंग के कपड़ा घलो धारण करथे।


       इही दिन होली के डाँड़ घलो गड़ाय जाथे। बसंत ऋतु मा होली के तिहार देश भर मा बड़ धूमधाम ले मनाय जाथे।



आलेख :-

बोधन राम निषादराज"विनायक"

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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