Sunday, 25 February 2024

आदरणीय केशव शुक्ल जी, (बिलासपुर) वरिष्ठ रचनाकार, पत्रकार और समीक्षक हैं। श्री शुक्ल जी की समीक्षा सादर अवलोकनार्थ-------।

 आदरणीय केशव शुक्ल जी, (बिलासपुर) वरिष्ठ रचनाकार,  पत्रकार और समीक्षक हैं। श्री शुक्ल जी की समीक्षा सादर अवलोकनार्थ-------।


"बलदाऊ राम साहू अग्रिम पंक्ति के हैं

      बाल साहित्यकार "

------------------------●केशव शुक्ला●

बाल साहित्य लेखन की दिशा में जिन साहित्यकारों का नाम आता है उनमें अग्रिम पंक्ति के साहित्यकार बलदाऊ राम साहू जी हैं।आपके 7 हिंदी बाल गीत संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।

      हाल ही प्रकाशित बाल कहानी संग्रह  " उड़ान " में 24 कहानियां दर्ज हैं।सभी कहानियां बाल मनोविज्ञान पर आधारित प्रभावशाली एवं पठनीय हैं।ये कहानियां किशोर होते बच्चों के स्तर की हैं जिनमें संस्कार,शिक्षा,साहस आदि गुणों को पुष्पित-पल्लवित करती हैं।

   " मेरे मन की बात " में आप लिखते हैं-" कहानी की भी कहानी होती है।या यूँ कहें,कहानी का जन्म किसी न किसी घटना से होता है।जब कोई घटना हमारे मन को भा जाती है,तब कहानी का सृजन हो जाता है।जीवन में ऐसे बहुत से अवसर आते हैं जो मन को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं।इनमें कुछ सकारात्मक होते हैं कुछ नकारात्मक भी,किंतु कहानीकार उन्हीं को अपनी परिकल्पना से कुछ नए मोड़ देकर कहानियां बना देता है और ये कहानियां हमसे बहुत कुछ कहती हैं।"

        इस संग्रह के प्रकाशक कांकेर साहित्य संस्थान है।इसके प्रकाशक ने अपने प्रकाशकीय में लिखा है- "बलदाऊ राम साहू जी की रचित ' उड़ान ' हिंदी कहानियों का उत्कृष्ट रोचक संग्रह है जिसे राज्य के बाल एवं किशोर विद्यार्थी व हिंदी साहित्य के सुधी पाठकों के समक्ष रखते हुए हमारे प्रकाशन संस्था को असीम प्रसन्नता हो रही है। "

      कहानियों के शीर्षक उड़ान, सबक,इनाम के हकदार, न्याय, टी-शर्ट, जंगल में सावन,स्मृतियां, गिलहरी का बच्चा, जंगल में छब्बीस जनवरी,चटोरी बकरी,स्कूल में मेला, मेरी दादी,सौतेला बेटा,अहसास, नौसिखिये के नौ दिन,नन्हा कौआ,दुख का कारण,सुबह का भूला,ममता की जीत,पतंग, जुगत,छातिम का पेड़,झूठ का फल और पप्पू जीत गया है।

     कहानी की भाषा-शैली पर चर्चा के पूर्व उड़ान कहानी के अंश देखें-" बच्चों तुम अभी छोटे हो,जब तुम बड़े हो जाओगे तो अवश्य मेरे साथ चलना।देखो,तुम्हारे पंख अभी कितने छोटे हैं।" भाषा कितनी नपी-तुली और सधी हुई है इसका यह उदाहरण है।चिड़िया और चूजों के बीच का यह संवाद सरल , सहज रूप में अभिव्यक्त है।यह कहानीकार की सफलता है।

       कहानियों की शैली रोचक है जो बच्चों से लेकर किशोर मन को प्रभावित करते हैं।उनकी कहानी इनाम के हकदार का प्रसंग देखें- "भले ही मैं परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करता हूँ ,परन्तु उधो मुझसे किसी मायने में कमतर नहीं है।जितना समय मुझे पढ़ने के लिए मिलता है उतना समय उसे नहीं मिलता।"

       बलदाऊ राम जी ने अपनी कहानियों में लोक कहावतें ,मुहावरों का प्रयोग भी किया है यथा-" खरतरिहा ल तुतारी " अर्थात जो काम करता है उसे अधिक जोता जाता है," सौ भाखा और एक लिक्खा," हिंदी में सौ बक्का और एक लिक्खा प्रयोग किया जाता है।इस तरह हम यह भी कह सकते हैं कि वे प्रयोगवादी कहानीकार हैं।

     उड़ान की कहानियों में बलदाऊ राम जी ने बालगीतों को भी तरजीह दी है।दृष्टव्य है-

" हमें नहीं आता है कुछ भी,

कैसे गीत सुनाएं।

मूड़ मुड़ाते पड़ गए ओले

पीड़ा किसे बताएं।"

दूसरी रचना देखें-

" हम जंगल के वासी हैं

हिलमिल कर हम सब रहते हैं।

बाधाएं जो भी आए

कभी नहीं हम डरते हैं।"

       ये गीत भी उनकी ही अपनी रचना है।104 पृष्ठ की इस किताब का मूल्य मात्र 230 रुपये है।यह कहानी संग्रह न केवल पठनीय है वरन् संग्रहणीय भी है।मेरी उन्हें शुभकामनाएं हैं कि बाल साहित्य जगत में उनका नाम अग्रणीय रहे।

                             

                                                      पत्रकार कॉलोनी

                                                       हाउस नम्बर-37

                                                           गौरव पथ

                                                      रिंग रोड क्रमांक-2

                                                           नर्मदा नगर

                                                            बिलासपुर

                                                            छत्तीसगढ़

                                                         पिन-495001

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