*बसंत पंचमी*
माघ महिना के उज्जर पाख के पंचमी के दिन ला बसंत पंचमी कहे जाथे ।इही दिन ले ऋतु मन के राजा बसंत के राज हा प्रकृति मा सौहत दिखथे।बगीचा मा कोयली कुहू कुहू कुहके लागथे।ओखर बोली कान मा रस घोरथे।खेत खार मा परसा फूले ला धर लेथे जेहा अइसे दिखथे जइसे दरपन देखत माँघ भरे के बेर कोखरो हाथ ले बंदन हा छिटक गय हे।
सेम्हर के फूल हा दहकत अँगरा कस लागथे। मौरे आमा खुलखुल ले हाँसत नवा बहूरिया कस दिखथे।पींयर सरसों
ला देख मन घलौ बासंती हो जाथे।कचनार, गुलाब के फूल मन ला मोहथे अउ मन कहिथे अब आगे बसंत।
ये दिन हा सरस्वती देवी के प्रगटे के दिन घलौ आय।सरस्वती देवी ला बुद्धि ,ज्ञान, कला ,साहित्य ,संगीत के अधिष्ठात्री देवी माने गय हे। येही कारण आय की कला साहित्य ,सूर ,संगीत के साधक मन आज के दिन माँ शारदा के कृपा पाये बर ऊँखर आराधना करथें।विद्यार्थी मन बर घलौ आज के दिन के अबड़े महत्तम हावे ज्ञान के देवी ले ज्ञान के वरदान माँगे के दिन।जब हम स्कूल मे पढ़न तब बड़ धूमधाम ले स्कूल मा सरस्वती दाई के पूजा पाठ करन। कोंडागाँव मा तो बसंत पंचमी के दिन हा तिहार कस लागय काबर की उँहा स्कूल कॉलेज के सब छोटे बड़े नोनी लइकन मन लुगरा पहिर के जावन ।कई दिन पहिली ले बसंत पंचमी आवत हे कहिके मन हा कूहके लागय। मानव चेतना के तीन गुण सत ,रज अउ तम माने गय हे जेमा सतोगुण के देवी ये माँ शारदा। शीतल ,सौम्य जगत ला वाणी के वरदान देवइया।
हम मनखे मन के आम जीवन मा ज्ञान
के जरूरत हर क्षेत्र मा हावे। बिना ज्ञान के मनखे कुछु काम ला नई करे सकय।विषयगत ज्ञान ,कम्प्यूटर ज्ञान,सामान्य ज्ञान,कार्यक्षेत्र के ज्ञान सब मा तो ज्ञान के जरूरत हे।विज्ञान घलौ मा तो ज्ञान छुपे हावय बिना ज्ञान के विज्ञान कइसे हो सकत हे।
*या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमो नमः।।
चित्रा श्रीवास
बिलासपुर छत्तीसगढ़
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