Sunday, 25 February 2024

नाव दोष

 नाव दोष


          एक झन राजा रिहिस । राजा हा बिहाव नइ करे के परन कर डरे रिहिस । ओकर मन हा नियम धरम पोथी पतरा कोति जादा रहय .. राज काज म नइ लगय । देश कइसे चलही .. जम्मो झन के मन म फिकर हमागे रहय । विचारवान मन भविष्य म देश चलाये बर .. राजा ला .. एक झन बेटा गोद लेहे के सलाह दिन । राजा हा हव कहत एक झन बेटा गोद ले लिस । बेटा बड़ चंचल सुभाव के रिहिस .. ओहा राजा के नियंत्रण म नइ रहय । बेटा सम्हलत नइ रहय .. तेकर सेती .. बेटा ला अऊ देश ला सम्हाले बर .. प्रजा हा राजा ला बिहाव करे के सलाह दिस । हाँ ना करत राजा हा .. देश खातिर अपन परन ला तिलांजलि देवत .. बिहाव करे बर तैयार होगे । शुभ मुहूरत देख बहुत जोर शोर से राजा के बिहाव होगे । बिहाव होतेच साठ .. पूरा राज ला रानी हा कब्जिया डरिस .. । ओहा प्रजा के बीच म लोकप्रिय होय लगिस । सबो झन अपन आवश्यकता बर रानी कोति निहारत गिन । कुछ दिन म .. प्रजा ला राजा के आवश्यकता नइ रहिगे । राजा के बेटा कति किंजरत हे तेकर खोज खबर के कोनो जरूरत नइ रहिगे । रानी बहुत दुष्टिन रहय । ओहा एक कोति राजा के बारा हाल करय त दूसर कोति ओकर बेटा ला घेरी बेरी मारे के प्रयास घला करय । राजा हा बहुत दुखी रहय .. फेर कोन ला अपन दुखड़ा सुनावय .. । ओकर तो आँखी बिहाव होतेच साठ फूट चुके रहय .. कान म परदा नइ रहय .. जबान ला तो अतेक थुथरवा डरे रहय के .. बोले नइ सकय । राजा अऊ रानी के बीच कोनो अच्छा सम्बंध नइ रहय । रानी बहुतेच उच्छृंखल रहय । राजा के इशारा मानना तो धूर .. ओला देखय सुनय तको निही । जब पाये तब .. राजा ला अपन हिसाब से तैयार करत सुधार देवय । जे इच्छा रानी के रहय .. उही म राजा के हामी दिखय । राजा ला बने राखे हे कहिके सबो कहँय .. इही बताये देखाये बर .. रानी हा राजा के मुहुँ कान म .. आडम्बर छबड़ देवय । जब पाये तब .. ओकर जेला पाये तेला बदल देवय । बपरा राजा हा अतेक आतंक के बावजूद कुछ नइ कर सकय । ओहा कलेचुप रानी के सरी आतंक ला सहत रहय । 

          एक दिन रानी उपर .. राजा ला दुख दे के अऊ ओकर बेटा ला मार डरे के आरोप लगिस । चारों मुड़ा म हल्ला होय लगिस । अच्छा सम्बंध नइ होये के बावजूद .. राजा हा बदनामी के डर म ...  रानी ला खूब संरक्षण दिस अऊ ओकर उपर लगे सरी इल्जाम ले ओला बरी कराके दम लिस । अतका के बावजूद ... रानी हा .. राजा के उपर अत्याचार बंद नइ करिस । जब पाये तब ओला आहत करत रिहिस । एक दिन प्रजा ला असलियत पता लगिस .. राजा के उपर दया आ गिस । ओमन रानी ला बदले के उपाय खोज डरिस अऊ शुभ मुहुरत म .. ओकर जगा म दूसर रानी लान के खड़ा कर दिस । जुन्ना रानी हा बहुत हाथ गोड़ मारिस फेर प्रजा घला ... रानी बदले के कसम खा चुके रिहिस । 

          नावा रानी .. जुन्ना ले जादा खतरनाक रिहिस । ओहा आते साठ .. सउत बेटा के सीधा हत्या के प्रयास करे लगिस .. ओला घेरी बेरी आहत करे लगिस .. ओकर देंहें ला केऊ बेर आगी म दागे लगिस । अपन रहन सहन के हिसाब से राजा के रंगा ढंगा बदल दिस । ओला पेंट के जगा धोती पहिरा दिस । राजा बहुत आहत रहय ... । ओकर मुड़ से लेके गोड़ तक .. चोट के निशान बन चुके रिहिस । तभो ले बपरा हा आह नइ बोलय .. कोनो ला अपन अपन दुर्दशा देखा बता नइ सकय । 

          प्रजा जागरूक हो चुके रिहिस .. ओमन जान डरिन .. ये पइत तो ओकरो ले जादा निर्दयी रानी मिलगे ... फेर अब ओला बदले कइसे .. ? जब तक मुहुरत नइ आही तब तक ... बदल नइ सकय । तब तक ... जुन्ना अऊ नावा रानी हा .. प्रजा ला दू फाँकी कर डरे रिहिन । कुछ मन जुन्ना रानी ला गद्दी देवाये बर मुहुरत के अगोरा करय .. अऊ कुछ मन .. नावा रानी के उपकार म भीतर तक अतेक आल्हादित .. आच्छादित अऊ प्रभावित रहय के .. ओमन अलग रद्दा अख्तियार कर ले रहय । 

          एक दिन प्रजा के हिम्मत जोर मारिस । शुभ मुहुरत म अइसन उपकार पवइया के विरोध ला दरकिनार करत ... रानी ला बदल दिन ... जुन्ना रानी हा फेर आगे । ये पइत जुन्ना रानी हा जम्मो झन ला खमाखम आश्वासन दे के आये रहय के .. ओहा राजा के हिसाब से चलही ... ओकर बेटा ला सुखे सुख म राखही ... फेर रानी बनते साठ .. सरी आश्वासन ला कोंटा म त्याग .. राजा अऊ ओकर बेटा के बारा हाल करे लगिस । 

          देश विदेश के नामी पंडित मन .. राजा अऊ ओकर बेटा के उपर घेरी बेरी आवत संकट के निवारण बर ... बहुत विचार विमर्श खोजबीन करिन ... पोथी पतरा अऊ कुंडली के अध्ययन मनन ले पता लगिस .. सरी दोष हा नाव के आय । राजा के नाव संविधान रहय .. ओकर बेटा के नाव लोकतंत्र .. अऊ राजा संविधान के कुंडली म लिखाये रहय के ... उही हा ओकर पत्नि बनही .. जेकर नाव सरकार रइहि । नाव के सेती जिनगी भर .. न केवल ओकर घर म बल्कि देश म घला कलह माते रहय अऊ बपरा बाप संविधान अऊ बेटा लोकतंत्र हा .. दुख पाये बर मजबूर रहय .. अऊ सरकार नाव के रानी हा .. देश म राज करत मजा मारत रहय ..  ।  


हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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