Sunday, 25 February 2024

आखर के अरघ




 आखर के अरघ 

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        छत्तीसगढ़ी भाषा , साहित्य , संस्कृति , कला के बढ़ोतरी बर जनम भर लगे रहइया प्रदीप कुमार वर्मा 18 फरवरी 2024 के रात हमन ल छोड़ के चल दिन ...जाए बर तो सबला हे फेर अइसे बिन कुछु कहे सुने जवाई हर बने बात नोहय जी ....तभो बिधि के बिधान ल तो कोनो टारे नइ सकयं।

    प्रदीप कुमार वर्मा के जनम सरफोंगी गांव मं 3 जून 1945 के दिन होए रहिस फेर उंकर गांव तो अर्जुनी बलौदा बजार रहिस । भिलाई इस्पात संयंत्र मं नौकरी रहिस त भिलाई मं रहत रहिन । आजकल विद्युत नगर दुर्ग मं बेटा प्रशांत बहू किरण संग रहत रहिन । 

     उंकर साहित्यिक अवदान ल सुरता करबो त पहिली कृति 'दुवारी' काव्य संग्रह , दूसर हे 'प्रेमदीप ', तीसर हे  'भांवर'  कहानी संग्रह ।  

" सूरत " संस्मरण आय ज़ेहर प्रकाशनाधीन हे । " आँखी के काजर "  ऑडियो , वीडियो , सी डी के रचनाकार प्रदीप कुमार वर्मा जी रहिन । 

    छत्तीसगढ़ी कला अउ संस्कृति के बढ़ोतरी बर उन " दौनापान " के स्थापना करे रहिन जेमा लगभग चालीस झन योगदान देहे रहिन । 

छत्तीसगढ़ी भाषा के उन्नयन बर विमल कुमार पाठक , मुकुंद कौशल संग कई ठन कार्यक्रम मं सक्रिय रहिन । वीणापाणि साहित्य समिति के अध्यक्ष , दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति दुर्ग के कोषाध्यक्ष रहिन । कुर्मी छात्रावास के पूर्व अध्यक्ष रहिन । सबले बड़े बात के 78 साल के उमर मं घलाय स्वस्थ , सक्रिय रहिन । 14 फरवरी 2024 के पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के अध्यक्ष रहिन । 

           दुख के बात के जेन एम्बुलेंस हर मनसे के जीव बंचाये बर सरपट अस्पताल डहर दौड़थे उही हर प्रदीप कुमार वर्मा जी के जीव ले लिस ...। 

 19 फरवरी के मंझनिया देंह के अंतिम संस्कार हो गिस ...फेर हमन तो उनला कभू भुलाए नइ संकन तेइ पाय के मैं लोकाक्षर मं प्रदीप भैया ल आखर के अरघ देवत हौं । 


सरला शर्मा

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