Sunday, 25 February 2024

रोज एक पुड़िया

 [1/27, 6:23 AM] +91 98261 60613: रोज एक पुड़िया 😃

नानकुन कहानी -


"  बात तो बनगे  "


  साग -भात,रांधत -रांधत गोठ -बात घलो मोबाइल म हो जथे l

" तुंहर आदमी बने हे, तनखा लाके दे थे जउन खर्चा करना हे कर पूछय घलो नहीं बने l कतेक खर्चा करे हच ? हमला तो पूछथे कहाँ गे पूरा तनखा के पइसा? हमला तो इही टेंशन हे l" भउजी के गोठ पूरा नई हो पाइस ओती ले ओकर दीदी के -"का हिसाब वो, घर ला औरत मन चलाथे उही मन जानथे l आदमी जात का जानही l

अपन ला देख नवा सोना के डिजाइन वाले झुमका आये हे

मै तो लुहूँ मोला बने लागिस l"


"महूँ ला बताबे कब जाबे ते l"


"तोर करा तो पइसा नई होही "


"हो जही, ओइसने गोठियाये के हरे वो आदमी मन ला खर्चा के गोठ सुनावत रहिबे त बने कमा थे l  अपने च बर तो लेथव "


"देख ले, ले बताबे , का साग रांधत हस त "


"हत तो बही बताते नहीं,ले जर गे वो बरी आलू हरे l"


"खिसियाही तोला "


"का खिसियाही,तेल सिरागे रहिस पानी म भूंज के रांधे हव

कहि दुहूँ तोर तनखा के पइसा पूरय नहीं तो मै का करहूँ कहि दुहूँ l"

"बड़ चतुरा हस बहिनी, ले मोबाइल ला बंद कर l ले,मोर बूता परे ओ l "

 साग -भात,भले जरगे lबात तो बनगे l


मुरारी लाल साव

कुम्हारी

[1/29, 10:36 AM] +91 98261 60613: रोज एक पुड़िया 😃

नानकुन कहानी -


     "मन मरजी "


   बिचारा चल दीस l बने  रहिस गुरूजी ह l सबसे मेल -जोल हित -मीत  करे म आघू रहिस l  किसुन अपन समय के गाँव के पहिली गुरूजी l ओकर पढ़ाये लइका मन ऊंचहा नौकरी करत हे l

बने मान सम्मान मिलत रहिस

किसुन गुरूजी ल l फेर अपन बेटी के मन मरजी के आघू कुछु नई चलिस l इही गोठ गाँव म होवत रहिस l

      ओकर दू बेटा दू बेटी l सबके बिहाव होगे हे l बेटी बेटा मन बने संस्कार नई  सीख पाइस l मया दुलार म  उज्जड  निकलगे l कामनी  ओकर छोटे बेटी अलग सोच के l 

"मोर मर्जी ले पति चाही l अपन मन ले बिहाव करहूँ" l किसुन गुरूजी बने  घर घराना देख के ओकर बिहाव करे रहिस l बिहाव होये दू महीना बाद  कामनी मइके म बइठ गे l बैठक पंचाईत होइस कामनी मुड़ी पटक दीसl ससुराल नई जाना हे , नई जाना हे l मन मरजी के चलते रिस्ता टूट गे l ककरो बात ल नई मानिस l

कारन एके ठो  बताइस झूठ बोलके बिहाव करें हे -पीते खाथे l 

 दस साल पुरो दीस मइके मा बइठ के  कामनी ह l  एती ओती घुमाई फिरई म मटर मटर म l अउ दूसर लड़का छांटत -छांटत l

अभी के बेरा म ओला सब पीने खाना वाला दिखीस हे  लबारी अइसे लगय lकामनी ला घमंड घलो रहिस अपन रूप रंग के l पढ़ाई मेट्रिक पास फेर चटर पटर म हुशियार l

किसुन गुरूजी के मन म डर भीतरी  म समाये रहिस l भरे जवानी म कुछु काँही मत कर लय l घऱ ला छोड़ के भाग मत जाय l एखरे सेती ओकर हर बात ल मानय l


चिंता आथे त रपोट के जघा पोगराथे l मर जथे इही चिंता म का होही?l अपन बेटी ला समझाये  अउ कहे रहिस- अपन मर्जी ले रिस्ता ल टोरे हस बेटी,दूसर रिस्ता ल जोड़ना सरलअउ आसान नोहय  l चार के मर्जी सलाह अउ आशीर्वाद काम आथे lअपन मर्जी सब जघा नई चलय कुछ सुन समझ l" सुरता हे कामनी ल फेर समझ नहीं l

आखिर म  कामनी अपन मर्जी फेर चलाईस l

 कामनी  दूसर रिस्ता तो बना लीस  l  महीना दिन नई पुरिस इहु रिस्ता ला नई निभाईस अपन उज्जड पन देखा ना  नई छोड़िस l दूसरैया ससुराल म ओकर मन मरजी

नई चलिस l उहू रिस्ता ला टोर दीस  l

   किसुन बिचारा चल दीस फेर ओकर चिंता ठाड़े रहिगे l


मुरारी लाल साव

कुम्हारी

[1/31, 5:23 AM] +91 98261 60613: रोज एक पुड़िया

 " चिबरी भात "

मजा के दिन म खीर भात बिगड़े दिन म चिबरी भात l जगत सुरता करत बइठे -बइठे सोचत रहिस l अपन गोसाइन परेमीन के बारे म l

  परेमीन के मया  के खीर भात के सुरता कम, चिबरी भात खाये रहिस तेन जादा आवत रहिस l

एक दिन के बात ए l परेमीन मया म अपन मन से भोजन बना वत रहिस l बढ़िया सोच के  बने बने ख्वाहूँ त मया जादा करही l मोर मन के राजा खुश होही l कीमती ऊंचहा लुगरा लेवाहूँ l

उही दिन ओकर भाई सगा अस आगे l बड़ ख़ुशी होइस l फेर जगत ला अचरज होइस l आज ओकर भाई आये हे त कइसे मन लगाके भोजन बनाही lजगत सोचिस अइसने रोज सगा आवत रहय बने बने खाये पिए के ब्यवस्था होवत रहय l जगत घलो बने आव भगत म लग गे l आज तो खीर भात खाये ला मिलही l

बात निकल गे तीजा के लुगरा के l

परेमीन कहिस -"भाई लुगरा देनी लेनी के चीज ए l मन ला मढ़ाये के l फेर भउजी के आदत बने नई ए ओला सुधार दे l" ओकर भाई कहिस -"मोर बस के बात नोहय l ओकर मर्जी  ओकर हरे l"

परेमीन गुस्सा करके -"ले जा लुगरा ला ओकर मर्जी के ए l"

"बहिनी मोर डहर ले "जगत बीच म गोठिया परिस -"तुंहर भाई बहिनी म अतेक मया हे

त मोर बर का बाँचीस? ये गोठ परेमीन ला झार लगगे l जगत ला रोज कहय  "बने ऊंचहा लुगरा ले l " उही लुगरा बर मन नई मिलत रहिस l तीजा के लुगरा  रंग ढंग नहीं भाई के मन के नोहय l भाई के मन लुगरा म नहीं ब्यवहार म रहिस lगोठ गुंग्वावत रहिस तीनो के भीतरी l जइसन मन ओइसन अन l

देखते देखत मन बिगड़गे l बात बनिस नहीं l बात कुछु नई रहिस l बात संग भात चिबरी होगे l


मुरारी लाल साव

कुम्हारी

[2/1, 8:06 AM] +91 98261 60613: रोज एक पुड़िया 😃

नानकुन कहानी -

   "  सुध अउ बुध "


दूनो पक्का संगवारी सुध अउ बुध l रहिथे एके संग जाही एके संग l सुध भोला अउ भुलक्कड़ बुध अकड़ू अउ घमंडी l दूनो म एक दिन  खटपट होगे l एक दिन सुध जंगल गे रहिस l जंगल  के बिस्तार अउ सुंदरता ला देख सुध के मन रम जथे l उही जंगल म सुन्दर रंग रूप वाली मोहनी मिलगे l सुध ओला देख के अपन बुध ला भुलागे l ओकर रंग रूप म अपन सब सुध ल खो डरिस l

बुध अंकडू रहिस सोचिस -परबूधिया मन ला कोन समझाये दू दिन के जवानी अउ दू दिन के मया मा भुला जथे l भटकन दे,मरन दे l

बुध अकेल्ला  कुछ दिन रहिस l बुध आखिर सुध बिना अकेल्ला कइसे रह पाही?एक दिन सुध ला चिल्लाईस -

"कहाँ जात हस एती आव?"

सुध कहिस -मजा म हँव l तै कइसे हस? बुध कहिस -"तोर बिना अधूरा हँव l"

तै आना l "  बुध के तीर कोनो मोहनी नई आवय lउही बेरा  अकेल्ला के हथोड़ी फेका के बुध के मुड़ी म लाग जथे l बुध अपन बुध ल खो डरिस l सुध घलो नई रहिस l

बिना बुध के सुध मोहनी के मया म फँसे हे l एती बिन सुध के बुध  आफत म कल्हरत परे हे l

मोहनी एक दिन हेचकार के कहिस "-तोर बुध कहाँ हे कुछु अक्कल हे लोरघे परे हस  तीर म l " तब सुरता आथे बुध के l सुध पल्ला भागिस बुध करा l तभे संत मन कहिथे -" जउन जतके मया म लप टाये रही  सुध बुध खो के ओकर दुर्गति होही l जेकर सुध नई हे बइहा होथे l जेखर बुध नई हे भकला होथे l अकेला बुध बेसुध परे रहीथे l "

 मोहनी के माया सुध अउ बुध ला अलगा के रखथे lदूनो के बिना ककरो पार नई लगय l सुध बुध के संग जिनगी चलथे l


मुरारी लाल साव

कुम्हारी 

"

[2/2, 8:20 AM] +91 98261 60613: रोज एक पुड़िया

नानकुन कहानी -

    " अपन मान  बर "

सिरतोंन म  बेरा एती ले ओती होगे l गोठ नई सिरईस अउ लामत गे l उंगरी ले बीता अउ बीता ले पोरीस भर l माथा म टीका लगाही सोचत रहिस फेर ये तो उल्टा होगे l चुंदी ला धर के इंचत हे l संभलू के दिन रात एके होगे l मंगलीन के मन नई माढ़ीस गोठियाये के l पति के संग रति तभे नौ लखिया हार आँखी म झूलत हे ओकर l

संभलू कहत कहत थक गे -रात होगे चुप राह l

मंगलीन के चार मांग संभलू बर पहाड़  धकेले बरोबर l कइकेई के दू मांग दसरथ बर भारी होगे l संभलू  महाराजा बने हे l छोटकुन घर चार एककड़ खेत अकेला कोनो परिवार नहीं l धरम पत्नि चल बसीस l मंगलीन ला लानिस l

ले मंगलीन मांग -बता?

मंगलीन कहिस -"मोला  पत्नी बनाये हस ना त अतका करे ला परही l पहिली मोर नाम म घर बार खेत खार ला रख l

दूसर  मोर बर गहना गूंठा ले के दे l

तीसर बैंक मा मोर नाम के खाता खोल दस हजार महीना दे l तोला जिनगी भर साथ दुहूँ l "

संभलू कहिस -अउ बता? मंगलीन कहिस -

"अपन  लरा जरा मन के बात झन मान l"

संभलू अइसे सुनिस संभल के l मंगलीन ला शक सुभा होगे l

मंगलीन ला भरोसा नहीं होइस l मोला कइकेई अस समझे नई करिस lपरान भले चल दय वचन काबर दिही l

संभलू ठोस अउ एक जुबान म कहिस -" मै तोर कोन अँव

मोला अपन जान  -मोला अपन मान l अतेक हिन मान अपमान झन कर  जघा जघा l एला -ओला बताके l भाड़ा किराया अस रिश्ता बनाये ले जिनगी नई चलय l"

मंगलीन  के मंथरा के बुध काम नई आइस l  मंगलीन पारा भर किंजर किंजर के सब ला बतावत हे lमोर बुद्धि काम नई करत हे राँहाव कि छोड़ दव मोला कुछु नई सूझत हे का करंव?

अपन मान बर जोखा उदिम करिस l


मुरारी लाल साव

कुम्हारी

[2/3, 9:14 AM] +91 98261 60613: रोज एक पुड़िया 😃

नानकुन कहानी -

 " खा झन मोटा झन "


कुरिया म लगे परदा हालिस l

चल उठ, बिहनिया होगे l दाई चिल्लाईस -बेरा उगे हे अतेक

कतेक सूतहू ते l"

बेटा उही हरे नवा बहूआहे हे घऱ म l

बहू उठिस l

सास अपन जात ला देखाइस l

"बेटी,  तोपे ढांके नई अस ना

दूध म चांटी परगे हे देख?"

बहू -" चांटी अतलंग करत हे "

खा झन मोटा झन l पियत हन त पी डरेव कहिके कहिते l

चांटी ला पियन दे l "फेर कहिस -

"दाई तहूँ बहू बन आये रहे त दूध ला पियत रहे त चांटी मन

देखत रहिस होही ना!"

सास सुनिस अउ कहिस  - "हमर जमाना म कसेली कसेली दूध होवय l"

तभे मोटायेहस घोसघोस ले बड़बड़ावत बहू कुरिया म आगे परदा ला गिरा दीस l


मुरारी लाल साव

कुम्हारी

[2/9, 6:12 AM] +91 98261 60613: रोज एक पुड़िया 😃

नानकुन कहानी -

   " मुँहरन  "

जचकी अस्पताल म रेवती ला भर्ती करे रहिस l घात पीरा  सहत रहिस बिचारी l नर्स आके बताथे -"लड़की हुई है बधाई l" सब ला ख़ुशी होइस सुनके l

"कतका जोर देखाबे मेडम हमर नवा सगा ल l "

"देखेच देखेच के मन होवत हे नोनी ल l" समारीन पूछिस l

थोकिन  बाद नर्स लेके आथे l

"ये लो देखो l"

बुवा ददा दादी कका काकी सब देखिस नोनी ल, नोनी के मुँहरन ला l सबके मन गदगद रहीस l  "आपस म एक दूसर ला बधाई दीस बड़ सुगघर भगवान देहे l"अपन डहर ले कोनो चंदा असन कोनो पुतरी बरोबर त कोनो सास आये कोनो लछमी के मुँहरन म देखिस l पडोसी सुखिया कइथे -" बजरहिन असन लागिस l ओकर दाई हाट बजार बने घूमे हे  जुगर जुगर बने सबो देखत हे l" रेवती सुन पाइस l "मोर बेटी के मुँहरन ला भगवान गढ़े हे ,फेर उल्टा पुल्टा नाव झन धरव l"  "जाकी रही भावना जैसी तिन मुरत देखी तिन तैसी l"सुखिया सुने रहिस बजार म बोधी के दुकान म रेवती बैठय l ओकरे मुँहरन  तो --? 

नानूक नोनी घलो देखिस सब झन ला सबके मुँहरन ला जुगर -जुगर,दीया असन लिप -लिप

मिळखी मार के l

अतका ल सुन के सुखिया ल अच्छा नई लागिस l अपन देवी मन ला  घलो कहि देथन -         कँकलहीन,  फुरहीं, फुलेशरी l"

नर्स कहिस - "देख लिए ना मुँहरन l "

  सुखिया के मुँहरन बिगड़े रहिस l भरमहीन,तउला मुँह बनाये l 


मुरारी लाल साव

कुम्हारी

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