Thursday, 25 January 2024

नानकुन कहानी " जी काल्कुत "

 नानकुन कहानी

   "   जी काल्कुत "

हफ़रत आके मुड़ के झिटी लकड़ी के बोझा ला पटकीस l गमछा म मुँह कान पोछत मांगिस -ला पानी दे वो l मुंगेसरी पानी देवत पुछिस -थोकिन थिरा नई लेतेव जी l

" काला थिराबे, बोझा उठाइय्या नई मिलय l"

मंगल साँस भरत कहिस l

नई बांचय अब जंगल ह मुंगेसरी l गाड़ी म जोर जोर के

डोहारत हे ट्रक टेक्टर के लाइन लगे हे l मशीन ऊपर मशीन आरा असन l देखते देखत खडे रुख धड़ धड गिरत हे l डारा थांगा छिनावत हे l पीड़ाउरा पोठ पोठ ला भरत हे मशीन म l "

जी काल्कुत होगे दाई कइसे रहिबो कइसे जीबो ते l मुंगेसरी के गोठ पूरा नई हो पाये रहिस मंगल कहिथे -" लकड़ी असन हमू मन ला जोर के  ले जतिस

तेने अच्छा हे l"

 "गाँव ल उजर ही कहिथे l "

"उजरगे बेंचागे भैरी, दूसर जघा जाये ला परही  l "

"गाय -बछरु,छेरी- पठरू ला --l"

"अपन जी ला देखबो कि --l"

मुंगेसरी कहिस कुछु हो जय अपन धन ला नई छोड़न l"

" जी के जंजाल नई करन जी काल्कुत म जियत हन अउ झंझट नई पालन l"

बछरु के चिल्लाये के अवाज आइस l मुंगेसरी  गाय बछरु ल दुलारत कहिस-

"तहीं चिल्ला गऊ माता, तोरे करलाई जादा लगत हे l "

 मुंगेसरी के आँखी ले आँसू चुहे ला धर लीस l


मुरारी लाल साव

कुम्हारी

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