नानकुन कहानी
" जी काल्कुत "
हफ़रत आके मुड़ के झिटी लकड़ी के बोझा ला पटकीस l गमछा म मुँह कान पोछत मांगिस -ला पानी दे वो l मुंगेसरी पानी देवत पुछिस -थोकिन थिरा नई लेतेव जी l
" काला थिराबे, बोझा उठाइय्या नई मिलय l"
मंगल साँस भरत कहिस l
नई बांचय अब जंगल ह मुंगेसरी l गाड़ी म जोर जोर के
डोहारत हे ट्रक टेक्टर के लाइन लगे हे l मशीन ऊपर मशीन आरा असन l देखते देखत खडे रुख धड़ धड गिरत हे l डारा थांगा छिनावत हे l पीड़ाउरा पोठ पोठ ला भरत हे मशीन म l "
जी काल्कुत होगे दाई कइसे रहिबो कइसे जीबो ते l मुंगेसरी के गोठ पूरा नई हो पाये रहिस मंगल कहिथे -" लकड़ी असन हमू मन ला जोर के ले जतिस
तेने अच्छा हे l"
"गाँव ल उजर ही कहिथे l "
"उजरगे बेंचागे भैरी, दूसर जघा जाये ला परही l "
"गाय -बछरु,छेरी- पठरू ला --l"
"अपन जी ला देखबो कि --l"
मुंगेसरी कहिस कुछु हो जय अपन धन ला नई छोड़न l"
" जी के जंजाल नई करन जी काल्कुत म जियत हन अउ झंझट नई पालन l"
बछरु के चिल्लाये के अवाज आइस l मुंगेसरी गाय बछरु ल दुलारत कहिस-
"तहीं चिल्ला गऊ माता, तोरे करलाई जादा लगत हे l "
मुंगेसरी के आँखी ले आँसू चुहे ला धर लीस l
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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