रोज एक पुड़िया
नानकुन कहानी
" झन ठोनक"
"मस्त रहो बढ़िया रहो आनंद से जिओ l" रास बिहारी मंदिर म जाके भगवान के हाथ जोड़के
मोहनी पाँव परिस त आशीर्वाद मिलिस l
महराज के असिस बचन सुनके मोहनी के मन बदलगे l
" भज मन प्यारे,
हरि हरि बोल "l
मन उही डहर लोरघीयाये ल धर लीस मोहनी के l
मोहनी ला देख महाराज के भजन के बेरा अउ बाढ़ जाथे l
मोहनी के मन बाहिर अउ भीतरी ले भजन मा रमे ल धर लीस l संगत के रंगत चढ़थे l
नारी परानी काला जोर से दबका के कइही -"नियत ला बने राख l"
उमर पैतालिस के होगे l सगा आही सगा आही l बिहाव बर सगा आइस फेर नई जमींस l मड़वा काला कहिथे नई जानिस ?
माँ बाप का करही l
"अपन रद्दा म आये गेव l
मोहनी अपन पीरा ला गोठियायेस अस करिस गनेस करा l
गनेस बचपन ले जानत रहिस मोहनी ल l जात समाज के सेती कभू बात ल नई रखीस l नियत गड़े रहिस भाग संग नई दीस l आखिर एक दिन मौका पाके पूछ परिस -"मोहनी थोकिन सुन l अकेल्ला कतेक दिन ले रहिबे?"मोला अउ ठोनक झन गन्नू l"
"मोर भीतर म अब सँसो घलो नई हे l " सँसो रहिस तोर बर "तै मोला नौकरी लगन दे काहत -काहत उमर ला निकाल देस l तोर नौकरी घलो नई लगिस न बिहाव करे के मन बनाये जोगी जोगड़ा होगेस l
"अभी का बिगड़े हे तेमा? गनेस कहिस l "
" बिगड़ गे ? जिए के आस के रद्दा ल बदल देंव l" महाराज के गऊ गोठान म आगे हँव l
गाय बछरु के सेवा करहूँ l
"बिन असीस के धरम करम पूरा नई होवय l "
"उही बात ला अब एती झन ठोनक l "
" सुक्खा कुंआ ले पानी नई निकलय मया मर गे हे l "
आश्रम के मतलब आसा कर अउ शरम कर अतका कहिके गनेस चल दीस l
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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