रोज एक पुड़िया
नानकुन कहानी-
" बईमान कोन ? "
प्रकृति म सब कुछ हे प्रकृति ले देवी देवता खुश हे, प्रकृति बिगड़ही त बाँच ही का?
तरिया के पार म पहिली बहुत बड़े बड़े रुख राई रहिस l अब नई रहिगे l कुंदरा झोपडी मकान बनगे l तरिया घलो सकलावत जात हे l तरिया के पानी मतलवत जात हे l न तरिया बांचत हे न परिया l
इही सँसो म पीपर अउ बर आपस म गोठियावत रहिस l
दूनो जुन्ना पेड़ बहुत कुछ कहानी ला जानत हे l
पीपर रुख कहिस - हमन ल पोथी पुरान बंचाईस, नई ते कब के हमर सत्यानाश होगे रहिस l
बर रुख बताइस - भला हो भगवान के हमला शरण म राखे हे l फेर एक ठन अउ बात
भगवान के पूजा पाठ म हमर पान पत्ता ल नई चढ़ाय l बने हे नई ते?
पीपर सोच के कहिस - परमान तो हमार पास हे l अंतर मंतर वाले मन जानत हे l सबला
डरहवाके राखे हे l भूत परेत शैतान के वासा l
बर बात ला पुरोवत कहिस - बईमान कोन बनही हमन ला काट के l इही बेरा चील कौवा मन आगे l तुंहर आसरा म हमू मन साँस लेवत हन l मैनखे मन जान डारे हे इंखर मांस खाना पाप हे l जेन दिन पीपर बर कटे ला धरही जान ले बिनास l
धरम जाही चूल्हा म l हवा पानी बर लोगन तरस के मरही l पथरा माटी बँचही l
महल अटारी देखे बर के ताय
एक न दिन उकरों पिंडा दान इही मेऱ होही l
बने हे डोकरी दाई रखवारी करत सब ला बताथे l कतको पूजा पाठ कर लेव,दान पुन कर लेव भगवान प्रसन्न नई होय जब ओकर बनाये प्रकृति ल बँचा के नई रख ही तब तक l
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
No comments:
Post a Comment