Thursday, 25 January 2024

रोज एक पुड़िया नानकुन कहानी- " बईमान कोन ? "

 रोज एक पुड़िया 

 नानकुन कहानी-

  "   बईमान  कोन  ? "

प्रकृति म सब कुछ हे प्रकृति ले देवी देवता खुश हे, प्रकृति बिगड़ही त बाँच ही का?

तरिया के पार म पहिली बहुत बड़े बड़े रुख राई रहिस l अब नई रहिगे l कुंदरा झोपडी मकान बनगे l तरिया घलो सकलावत जात हे l तरिया के पानी मतलवत जात हे l न तरिया बांचत हे न परिया l

इही सँसो म पीपर अउ बर आपस म गोठियावत रहिस l

दूनो जुन्ना पेड़ बहुत कुछ कहानी ला जानत हे l

पीपर रुख कहिस - हमन ल पोथी पुरान  बंचाईस, नई ते कब के हमर सत्यानाश होगे रहिस l

बर रुख बताइस - भला हो भगवान के हमला शरण म राखे हे l फेर एक ठन अउ बात

भगवान के पूजा पाठ म हमर पान पत्ता ल नई चढ़ाय  l बने हे नई ते?

पीपर सोच के कहिस - परमान तो हमार पास हे l अंतर मंतर वाले मन जानत हे l सबला

 डरहवाके राखे हे l भूत परेत शैतान के वासा l

बर बात ला पुरोवत कहिस - बईमान कोन बनही  हमन ला काट के l इही बेरा चील कौवा मन आगे l तुंहर आसरा म हमू मन साँस लेवत हन l मैनखे मन जान डारे हे इंखर मांस खाना पाप हे l जेन दिन पीपर बर कटे ला धरही जान ले बिनास l 

धरम जाही चूल्हा म l हवा पानी बर लोगन तरस के मरही l पथरा माटी बँचही l

महल अटारी देखे बर के ताय

एक न दिन उकरों पिंडा दान इही मेऱ होही l

बने हे डोकरी दाई रखवारी करत सब ला बताथे l कतको पूजा पाठ कर लेव,दान पुन कर लेव भगवान प्रसन्न नई होय जब ओकर बनाये प्रकृति  ल बँचा के नई रख ही तब तक l


मुरारी लाल साव

कुम्हारी

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