रोज एक पुड़िया
व्यंग्य किस्सा -
" भगवान कइसे दिखही? "
तीन आदमी तीनो म मतभेद lतीनो के तीन तरीका l तीनो म तिरिकतीरा l भगवान कइसे दिखही ?ज्ञान बघारे के उदिम करत रहीस l बिना ज्ञान -ध्यान के,, बिना समझे -बूझे भगवान ला देखे के सऊँख तीनो ल हे l देख के तो बताय सबूत के संग l गवाही साखी लेके l अभी तक कोनो नई कहे हे l कहे हे तेला कोनो पतियाये नइये हे l सबूत चाही देखे हे l इही बहस होवत रहिस ओमा कहिस
पहिली आदमी -
"भगवान ला देख के मै बताहूँ हाँ ,देख के मै बताहूँ दूनो झन आँखी ल मुँदव l" दू झन विरोध करत कहिस -" तै का बताबे बीता भर ज्ञान हे तोर करा l "
ए ए चलाकी झन चल l हमू ला आथे देखे बर l अकेल्ला तै काबर देखबे? झंझेट के बैठाऱ दीस l
दूसरा आदमी -
"भगवान ला हम दू झन देखबो एक गवाही रही l तभे तो सब पतियाही l" पहिला आदमी दूनो के विरोध करिस -ए ए उहू गलत होही दूनो सांठ गांठ कर लुहू l दूनो मिलके कुछ भी कर लुहू l
लबारी मार दुहू तुंहर का हे l
तीसर आदमी दूनों ले डेढ़ हुसियार l उहू ला मौका दीस l अपन बुद्धि ले मात देवत
तीसर आदमी कहिस -" एक उपाय हे हम तीनो झन आँखी ल मुँद बो l कोनो अउ ला साखी गवाही बनाबो l"
भगवान ला कोन देखिस
उही ह बताही, उपाय खोजिस l एक झन कहिस - गवाही
कुकुर ला बनाबो l कुकुर ल ईमानदार प्राणी हे l जानवर मन भरोसा करथे,झूठ नई बोले l ककरो पक्ष नई लेवय l सही सही बताही l कुकुर अपन आदत भूँकना सूंघना अउ मूतना ले फरी फरी कर दीही l एखर ले पता हो जही l कोन देखिस? जेन देखही तौन कुछ तो बोलही ?
आपस म मान लीस l तीनो आदमी
अलग अलग दिशा म आँखी मुँद के बइठ गे l मने मन कुकर ले बिनती करत हे मोला सूंघ दय,भूंक दय, नई ते ---l
एक झन मुंदे बइठे देख कुकुर सुंघिस ले ओला कुछु नई होइस l दूसर के पीठ ला सुंघिस कुछु चिटपोट नई करिस l डोलिस भर l कुकुर अपन तीसर आदत ला छोड़िस एक टांग उठाके चुर्र --चुर्र --l
तीसर के मुड़ी म पडिस lचिल्लाके कहिस -भगवान मोला दिख गे l कुकुर भगागे l
सबूत दिखाके l
मुरारीलाल साव
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