Thursday, 25 January 2024

रोज एक पुड़िया व्यंग्य किस्सा - " भगवान कइसे दिखही? "

 रोज एक पुड़िया 

व्यंग्य  किस्सा -

   " भगवान कइसे दिखही? "


तीन आदमी तीनो म मतभेद lतीनो के तीन तरीका l तीनो म तिरिकतीरा l  भगवान कइसे दिखही ?ज्ञान बघारे के उदिम करत रहीस l बिना ज्ञान -ध्यान के,, बिना समझे -बूझे भगवान ला देखे के सऊँख तीनो ल हे l  देख के तो बताय  सबूत के संग l गवाही साखी लेके l अभी तक कोनो नई कहे हे  l कहे हे तेला कोनो पतियाये नइये हे l सबूत चाही देखे हे l इही बहस होवत रहिस ओमा कहिस 

पहिली आदमी -

"भगवान ला देख के मै बताहूँ हाँ ,देख के मै बताहूँ दूनो झन आँखी ल मुँदव l" दू झन विरोध करत कहिस -" तै का बताबे बीता भर ज्ञान हे तोर करा l "

ए ए चलाकी झन चल l हमू ला आथे देखे बर l अकेल्ला तै काबर देखबे? झंझेट के बैठाऱ दीस l

दूसरा आदमी -

"भगवान ला हम दू झन देखबो एक गवाही रही l तभे तो सब पतियाही l"  पहिला आदमी दूनो के विरोध करिस -ए ए उहू गलत होही दूनो सांठ गांठ कर लुहू l दूनो मिलके  कुछ भी कर लुहू l 

लबारी मार दुहू तुंहर का हे l 

तीसर आदमी  दूनों ले डेढ़ हुसियार l उहू ला मौका दीस l अपन  बुद्धि  ले मात देवत 

तीसर आदमी  कहिस -" एक उपाय हे हम तीनो झन आँखी ल मुँद बो l कोनो अउ ला साखी गवाही बनाबो l"

 भगवान ला कोन देखिस 

उही ह बताही, उपाय खोजिस l एक झन कहिस - गवाही 

कुकुर ला बनाबो l कुकुर ल ईमानदार प्राणी हे l जानवर मन  भरोसा करथे,झूठ नई बोले l ककरो पक्ष नई लेवय l सही सही बताही l कुकुर  अपन आदत भूँकना  सूंघना अउ मूतना  ले  फरी फरी कर दीही l एखर ले पता हो जही l कोन देखिस? जेन देखही तौन कुछ तो बोलही ? 

आपस म मान लीस l  तीनो आदमी 

अलग अलग दिशा म आँखी मुँद के बइठ गे l मने मन कुकर ले बिनती करत हे मोला सूंघ दय,भूंक दय, नई ते ---l

एक झन मुंदे बइठे देख कुकुर सुंघिस  ले ओला कुछु नई होइस l दूसर के पीठ ला सुंघिस कुछु चिटपोट नई करिस l डोलिस भर l कुकुर अपन तीसर आदत ला छोड़िस एक टांग उठाके चुर्र --चुर्र --l

तीसर के मुड़ी म पडिस lचिल्लाके कहिस -भगवान  मोला दिख गे  l कुकुर भगागे l

सबूत दिखाके l

मुरारीलाल साव

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