नानकुन कथा -
सुवा का हुआ?
हमर गाँव नानकुन रहिस अब बड़े गाँव होगे l फेर रुख राई कम होगे l एके ठन रुख बाँच गे हे तरिया के पार म l उही रुख म सब सकलाके रहिथन l बांचे खोचे उड़य्या जीव मन l
उहू म छदर बदर l कऊंवा जेला कोनो नई पकड़य l बामहन चिरई लरे परे l कोकड़ा के आँखी आये हे आँखी म नई दिखय l सिलहाई,पड़की, परेवा,मैना नंदागे lसुवा अपने जी लुकाये रहिथे दू चार ठन l रहिथन मनभेद अउ मत भेद म l बिचारा बुढ़वा कऊंवा अपन गोठ ला बताइस l
मुश्किल म जियत हन मैनखे के राज म l क़ानून ऊपर क़ानून बने हे फेर हमरे बंस नष्ट होवत हे l जिए के लाइक नई रहिगे l दू चार कऊंवा काँव -काँव करे ल धर लीस l
एक ठन सुवा कहिस तुंहर काँव काँव ले सब हलाकान हे आदत नई सुधारत हव l अतका कहिके अलगियागे l
रुख के तरी म दाना बगरे देख परिस सुवा चारा चरे बर उतरगे l मिठ -मिठ करथे मिठ मिठ कहिथे उही ला सब पोटारथे l
कुछ बेरा बाद सुवा के टर्र टर्र अवाज सुनाइ दीस l
सियानहा पूछिस - सुवा का हुआ? जाल म फंस गेव l
अब का करबो? अपन रंग रूप ला देख के सम्भल के रखना चाही ना l बने बने ला सब छांट निमार लेथे जांसा फाँसा करके l मीठ -मी ठ करे मटकाये तै जान?
ओखरे सेती हमन काँव करथन कोनो पकड़य नही l
फेर करिया अन कोनो भावय नहीं l
सुवा तोला बहुत चेतायेन संघ म राह l करिया संग म रहिथेच मन जोर के अइसन नई होतिस lसुंदरी ऊपर सबके नजर रहिथे गेंग रेप असन l
तोर संग अच्छा नई हुआ
सुंदरी सुवा!!
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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