रोज एक पुड़िया
नानकुन कहानी -
"रिपोट लिख साहेब "
" क्या हुआ? "
थानेदार पूछिस
"बहुत मारपीट करथे साहब "
रमसिला कहिस l
"कौन करता है?"
मोर आदमी साहब "
"हम क्या कर सकते है?ये तुम्हारा आपस का मामला है l "
"कुछ करो साहब "
"किस कारण से?"
"कुछु कारन नई साहब
दारू पीके l"
ठीक है देखते है जाओ l
"रिपोट लिख ना साहेब? "
लिख लेंगे l थानेदार के हुकुमl अकड़ जादा l
रमसिला के अंतस रोवत रहिस l निरबुद्धि होये के बाद काया माया के मोह खतम हो जथे l हमेसा हमेसा के लिए ---l
बिहान दिन
उही थाना म एक आदमी
जी सर
"गलती होगे सर पता नई होइस अइसन करही के l
"क्या बक रहे हो? "
जी सरl
"मोर औरत मर गे साहब "
"मर गईं कि मार डाले?"
"मर गे साहव जहर खाके l "
"जहर तुमने दिया? "
"नहीं साहब जहर खाके l"
क्या नाम है? "
सुन्दर l
मरी उसका नाम?
जी सर रमसिला l
थानेदार थोकिन चौकीस हड़बड़ा गे उही तो नोहय रिपोट लिख ना साहेब काहत रहिस l
"क्या नाम बताया?"
रमसिला सर l
ओ तुम ही हो l
चलो बैठो गाड़ी मे l
आके देखिस
उही हरेl
"का होइस साहब? "
चुप रहो l सारा खेल तुम्हारा है लॉकअप म बंद कर दीस सुन्दर ला l
थानेदार भीतरी ले रमसिला के लॉकअप म बंद होगे
I रिपोट लिखें रहतेव त ए नौबत नई आतिस l
मुरारीलाल साव
कुम्हारी
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