Saturday, 20 January 2024

रोज एक पुड़िया नानकुन कहानी -

 रोज एक पुड़िया 

नानकुन कहानी -


"रिपोट लिख साहेब "


" क्या हुआ? "

थानेदार पूछिस

"बहुत मारपीट करथे साहब "

रमसिला कहिस l

"कौन करता है?"

मोर आदमी साहब "

"हम क्या कर सकते है?ये तुम्हारा आपस का मामला है l "

"कुछ करो साहब  "

"किस कारण से?"

"कुछु कारन नई साहब

दारू पीके l"

ठीक है देखते है जाओ l

 "रिपोट लिख  ना साहेब? "

लिख लेंगे l थानेदार के हुकुमl अकड़ जादा l

रमसिला  के अंतस रोवत रहिस  l निरबुद्धि  होये के बाद काया माया के मोह खतम हो जथे l हमेसा हमेसा के लिए  ---l


बिहान दिन

उही थाना म एक आदमी

जी सर

 "गलती होगे सर पता नई होइस अइसन करही के l

"क्या बक रहे हो? "

जी सरl 

"मोर औरत मर गे साहब "

"मर गईं कि मार डाले?"

"मर गे साहव जहर खाके l "

"जहर तुमने दिया? "

"नहीं साहब जहर खाके l"

क्या नाम है? "

सुन्दर l

मरी उसका नाम?

जी सर रमसिला l

थानेदार थोकिन चौकीस हड़बड़ा गे उही तो नोहय रिपोट लिख ना साहेब काहत रहिस l

"क्या नाम बताया?"

रमसिला सर l

ओ  तुम ही हो l

चलो बैठो गाड़ी मे l

आके देखिस

उही हरेl

"का होइस साहब? "

चुप रहो l सारा खेल तुम्हारा है लॉकअप म बंद कर दीस सुन्दर ला l

थानेदार भीतरी ले रमसिला के लॉकअप म बंद होगे

I रिपोट लिखें  रहतेव त ए नौबत नई आतिस l 


मुरारीलाल साव

कुम्हारी

No comments:

Post a Comment