नानकुन कहानी -
खार के बुखार
अपन चीज बर सबके मया होथे l बेकार होगे तभो खराब होगे तभो l अपन चीज बर पीरा होही l
बखरी के भांडी फूट गे रहिस l रमऊ कका के बारी के परदा डहर ले रोज एक ठन गाय आये के घुस जाय अउ बखरी म लगाये साग भाजी ल चर दय l बड़की दाई चिल्लावय खिसयावय - "अपन गाय ला काबर बांध के नई राखे? " बलदू के गाय आय l गाय गरु ल कोनो सीखा -पढ़ा के नई भेजय?
"पइधे गाय कछारे जाय l'
बद्दी के ओखी हरे l बलदू खार खाये बइठे हे l "
"केजऊ के पूरा गरवा मन धान ला चर डरे हे l"
"अतेक भारी नसकान के भरपाई ले के रहूं बलदू सोच के राखे हे l "
केजऊ आखिर बलदू ल जाके कहिस -"अपन गाय ला बांध के राख अपन घर म l"
बलदू ललियाये आँखी म -" हाँ अपन के नसकान होवत हे त जियानत हे मोर खेती के चरी -नुसकानी म आँखी मुंदाये रहिस l नुकसानी ल कोन दिही? ला निकाल l" दूनो रोसिया ल धर लीन l
"तोर दाई ----l तोला अभी देखावत हँव ---l"झगरा ल झारा झारा नेवतत हे l गोठ के मांदी कलेवा खाये धर लीन l गारी -गल्ला,औखर -तौखर बकई सुनके सब सकलागे मोहल्ला भर l गोठान का बंद होइस? शान्ति भंग होवत हे l
भीतरी के जलन बाहिर म भभकथे l
दूनो ला का बोलबो -का समझाबो? हम सब आज ले बलदू से अउ केजऊ से बोल चाल बंद करबो l दाई दीदी के मान मरजाद l नई देखिन नान नान लइका मन सुनत हे l इंखर खार बुखार के इही इलाज l
ए हमर फैसला हे
मोहल्ला वाले के l दूनो अपन गाय गरू ला अपने घर म राखव l दैहान बरदी म भेजे के जरूरत नई हे l खार ल झन देखाव l सरकार घलो गोठान बर हाथ झर्रा देहे l
केजऊ अउ बलदू के मुड़ी म लाठी परे अस लागिस l बात बिगड़े हे थिरावन दे l
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
No comments:
Post a Comment