Wednesday, 17 January 2024

नानकुन कहानी - खार के बुखार

 नानकुन कहानी -

  खार के बुखार 

 अपन चीज बर सबके मया होथे l बेकार होगे तभो खराब होगे तभो l अपन चीज बर पीरा  होही l

बखरी के भांडी फूट गे रहिस l रमऊ कका के बारी के परदा डहर ले  रोज एक ठन गाय आये के घुस जाय अउ बखरी म लगाये साग भाजी ल चर दय l बड़की दाई चिल्लावय खिसयावय - "अपन गाय ला काबर बांध के नई राखे? " बलदू  के गाय आय l गाय गरु ल कोनो सीखा  -पढ़ा के नई भेजय? 

"पइधे गाय कछारे जाय l'

बद्दी के ओखी हरे l बलदू खार खाये बइठे हे l "

"केजऊ के पूरा गरवा मन धान ला चर डरे हे l"

"अतेक भारी नसकान के भरपाई ले के रहूं  बलदू सोच के राखे हे l "

केजऊ आखिर बलदू ल जाके कहिस -"अपन गाय ला बांध के राख  अपन घर म l"

बलदू  ललियाये आँखी म -" हाँ अपन के नसकान होवत हे त जियानत हे मोर खेती के चरी -नुसकानी  म आँखी मुंदाये रहिस l नुकसानी ल कोन दिही? ला निकाल l"  दूनो रोसिया ल धर लीन l 

"तोर दाई ----l  तोला  अभी देखावत हँव ---l"झगरा ल झारा झारा नेवतत हे l गोठ के मांदी कलेवा खाये धर लीन l गारी -गल्ला,औखर -तौखर बकई  सुनके सब सकलागे मोहल्ला भर l गोठान का बंद होइस? शान्ति भंग होवत हे l

भीतरी के जलन बाहिर म भभकथे  l

दूनो ला का बोलबो -का समझाबो? हम सब आज ले बलदू से अउ केजऊ से बोल चाल बंद करबो l दाई दीदी के मान मरजाद l नई देखिन नान नान लइका मन सुनत हे l इंखर खार बुखार के इही इलाज l

ए हमर फैसला हे

मोहल्ला वाले के l  दूनो अपन गाय गरू ला अपने घर म राखव l दैहान बरदी म भेजे के जरूरत नई हे l खार  ल  झन देखाव l सरकार घलो गोठान बर हाथ झर्रा देहे l

     केजऊ अउ बलदू  के मुड़ी म लाठी परे अस लागिस  l बात बिगड़े हे थिरावन दे l



मुरारी लाल साव

कुम्हारी

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