मोर गांव के मड़ई
अगहन पूस के दांत किंकिनावत जाड़
जगह जगह म भुर्री तापत कान मा पगड़ी बांधे गांव के बबा मन गपशप मुड़ डोलावत हाथ के अंगरी ल सेकत
नवा टूरा टूरी मन के चारीखोदी के गोठ बात करत राहय इतवार के दिन भैंसी ल तरिया मा धोके लाने ओकर पडिया मेछराके बबा मन के भुर्री तरफ भागीस बबा मन डरा गए मोला घलो गाली दिन मै मुड़ी नवा के भुर्री तापे लगेव गोठ बात मा मोला मजाक मा बता इन आज हमर गांव के नजदीक के गांव मा मड़ई हे अतका गोठ ल सुन के दौड़त दौड़त आके अपन दाई ला बताएव अपन कुरता पैंठ ला माटी राख पावडर मा उजराये अऊ कपड़ा सुखाय के बाद
पीतल के पेंदयही लोटा मा जलत कोयला डाल के आयरन करके एक चौथिया धान ला बेच के पैसा के जुगाड करेव संझा बेरा बबा बइला गाड़ी तियार कर दिस हमर घर भर के लइका सियान गाड़ी मा बैठ के मड़ई गए न भीड़ मा गाड़ी के धुर्रा मा कुर्ता धुर्रे धूर्रा होगे परसा पान तोरके सबों ढुर्रा ला झरायेव मड़ई मै जिनिस जिनीस के दुकान ढेलुवा रायचूल ढेरी के ढेरी मौत कुवा तमाशा बताशा के दुकान चुरी चाकी के दूकान किसिम किसीम खोवा जलेबी भूरमुंग मुर्रा लाडू कुशियार के दूकान किसिम किसिम टूरी टूरा अतियावत घुमत राहय महु ह मुर्रा लाड़ू कुशीयार जलेबी अऊ लाल रंग के झिल्ली लगे चश्मा चेथी मा लटकाए बर पतला रबर खूब मड़ई मा मस्ती राउत मन रंग बिरंग के कुरता पहने मुड़ मा पागा कलगी कौड़ी के गुथना गड़वा बाजा मा कूदत राहय मड़ई देवता धुर्रा के उड़ावत चारो कोती गोल गोल घुमत रंग रंग के दोहा पारत मस्ती मा नाच य lये मड़ई संस्कार अभी भी गांव मा जिंदा हे किसान खेती बाड़ी के काम से फुरसत पा के एक जगह गांव मा इकठ्ठा होके खुशी मनाथे अब धीरे धीरे मड़ई के चलन
कम होवत हे काबर की कतको जगह मड़ई मा झगड़ा भी हो जाथे कतको जगह मेला के आड़ मा अवैध काम भी होथे एला युवा पीढ़ी ल सतर्क होना हे मेला मड़ई मा नशाखोरी के कारण झगरा लड़ाई भी हो जा थे पढ़े लिखे लोगन मन एकर रोक थाम करना चाहिए शालीनता से मड़ई के आयोजन करना चाहिए l
मोहन लाल डहरिया,, निर्दोष,,
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