Wednesday, 17 January 2024

रोज एक पुड़िया 😃 नानकुन कहानी- " काठी "

 रोज एक पुड़िया 😃

नानकुन कहानी-


     " काठी "


"काठी परगे हो---l हमर गाँव के सियान धनऊ राम के स्वर्ग वास होगे  हे हो --l"  गाँव के कोटवार हाँका पारिस l कोनो सुनिस कोनो नई सुनिस मुनादी तो होगे l

     पाँच -पाँच छेना  लकड़ी चौरा म सकलाये ला धर लीस l

पूछा- पाछी के गोठ बात घलो शुरू होगे l कब होइस?कइसे होइस? इलाज बने नई करईस?

बने होगे सजा भोगत रहिस?

तरह तरह के गोठ सुने ला मिलगे l 

 धनऊ के  मरे शरीर  काठी म परे हे नवादसी  कपड़ा (कफ़न )ओढ़े l 

पार पांगर के अपन  अलग नियम नीति जुन्ना लबादा ला ओढ़े l

एक झन परिहा कहिस - "काठी कइसे निकलही? अपन नाती के छट्टी के नेंग नई कराये हे  l पार ले छूटे हे?

एखर नियाव पहिली होही? "

सकलाइस पार वाले मन l

पार मुखिया पूछिस - केदार ले बता का करना हे तोर ददा के काठी बर l "

अपन लइका के छट्ठी भात नई खवाए हस l ओकर दांड परही l 

तूहीँ मन बताव गलती तो होगे हे मानबो l

निर्णय होइस पाँच हजार दांड

देये ला परही l कलेवा भोज पूरा परिहा मन ला  खवाये ला परही l

बाप के मरनी बाप के करनी बेटा ला भुगते ला परही l

केदार हव कहिस l

पार वाले मन फेर धनऊ के काठी निकालिस l

चारो खुरा चार झन बोहे हे l छेना लकड़ी लेगिस मरघट्टी म l

"राम नाम सत हे

सबके इही गत हे "  चिल्लावत गइन l 

कठियारा बनके l


मुरारीलाल साव

कुम्हारी

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