रोज एक पुड़िया 😃
नानकुन कहानी-
" काठी "
"काठी परगे हो---l हमर गाँव के सियान धनऊ राम के स्वर्ग वास होगे हे हो --l" गाँव के कोटवार हाँका पारिस l कोनो सुनिस कोनो नई सुनिस मुनादी तो होगे l
पाँच -पाँच छेना लकड़ी चौरा म सकलाये ला धर लीस l
पूछा- पाछी के गोठ बात घलो शुरू होगे l कब होइस?कइसे होइस? इलाज बने नई करईस?
बने होगे सजा भोगत रहिस?
तरह तरह के गोठ सुने ला मिलगे l
धनऊ के मरे शरीर काठी म परे हे नवादसी कपड़ा (कफ़न )ओढ़े l
पार पांगर के अपन अलग नियम नीति जुन्ना लबादा ला ओढ़े l
एक झन परिहा कहिस - "काठी कइसे निकलही? अपन नाती के छट्टी के नेंग नई कराये हे l पार ले छूटे हे?
एखर नियाव पहिली होही? "
सकलाइस पार वाले मन l
पार मुखिया पूछिस - केदार ले बता का करना हे तोर ददा के काठी बर l "
अपन लइका के छट्ठी भात नई खवाए हस l ओकर दांड परही l
तूहीँ मन बताव गलती तो होगे हे मानबो l
निर्णय होइस पाँच हजार दांड
देये ला परही l कलेवा भोज पूरा परिहा मन ला खवाये ला परही l
बाप के मरनी बाप के करनी बेटा ला भुगते ला परही l
केदार हव कहिस l
पार वाले मन फेर धनऊ के काठी निकालिस l
चारो खुरा चार झन बोहे हे l छेना लकड़ी लेगिस मरघट्टी म l
"राम नाम सत हे
सबके इही गत हे " चिल्लावत गइन l
कठियारा बनके l
मुरारीलाल साव
कुम्हारी
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