Wednesday, 17 January 2024

नानकुन कहानी - बाहिर -भीतरी

 नानकुन कहानी -


      बाहिर -भीतरी


बबा कहिस - "बहू,बाहिर -भीतरी होवत हस lका बात ए?"

" नहीं,कुछु बात नइये l" बबा जोर देके पूछिस कुछ तो बात हे l

"हाँ बबा, तुंहर नाती रात भर बाहिर म हे अभी तक नई आये हे l" कुछु न बताये न चेताये हे l 

बबा सुन के  चुप होगे l राधा अब का बताय? उहू कुछु ल नई जानय l सक -सुभा घलो नहीं l

न सास हे न ससुर l बबा के बुढ़ापा अउ घरगिरहस्थी के सेवा l

कुंजू उही बेरा पटका म मुँह तोपत आइस l

बबा बलाईस तीर म - "तै कहाँ रहिथस रात भर?"

" बूता रहिस बबा l"

"एती बहू बाहिर -भीतिरी होवत हे, चिंता म lओती तै बाहिर -भीतरी खेलत हस l

 नहीं बबा ओइसन जुवा -पत्ता ल नई जानव l

रजऊ कका के बेटी ला अस्पताल ले गे रहेव

बिचारी रात भर दरद के मारे बाहिर - भीतरी होवत रहिस l लइका पेट मा पानी पी डरे कहत रहिस डॉक्टर ह l बांचगे बपुरी ह l"  भीतरी ले खींच के बाहिर निकालिस l

"नोनी होइस बबा l "

जानके बड़ ख़ुशी मनाइस बहू घलो l


मुरारी लाल साव

कुम्हारी

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