नानकुन कहानी -
बाहिर -भीतरी
बबा कहिस - "बहू,बाहिर -भीतरी होवत हस lका बात ए?"
" नहीं,कुछु बात नइये l" बबा जोर देके पूछिस कुछ तो बात हे l
"हाँ बबा, तुंहर नाती रात भर बाहिर म हे अभी तक नई आये हे l" कुछु न बताये न चेताये हे l
बबा सुन के चुप होगे l राधा अब का बताय? उहू कुछु ल नई जानय l सक -सुभा घलो नहीं l
न सास हे न ससुर l बबा के बुढ़ापा अउ घरगिरहस्थी के सेवा l
कुंजू उही बेरा पटका म मुँह तोपत आइस l
बबा बलाईस तीर म - "तै कहाँ रहिथस रात भर?"
" बूता रहिस बबा l"
"एती बहू बाहिर -भीतिरी होवत हे, चिंता म lओती तै बाहिर -भीतरी खेलत हस l
नहीं बबा ओइसन जुवा -पत्ता ल नई जानव l
रजऊ कका के बेटी ला अस्पताल ले गे रहेव
बिचारी रात भर दरद के मारे बाहिर - भीतरी होवत रहिस l लइका पेट मा पानी पी डरे कहत रहिस डॉक्टर ह l बांचगे बपुरी ह l" भीतरी ले खींच के बाहिर निकालिस l
"नोनी होइस बबा l "
जानके बड़ ख़ुशी मनाइस बहू घलो l
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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