पौनी पौसारी
लोक जीवन म पौनी पौसारी के अपन अलग जघा हे l हमर सामाजिक जीवन म खासा योगदान हे l कर्म के अनुसार वर्ग बनिस l वर्ग म अलग अलग जात के समाज l नाउ धोबी राउत मेहर बढ़ई एमन सब पौनी पसारी म आथे l पौनी पसारी के मतलब पनाह देके पसर भर देवन इही भाव हे l अपन संग जुड़े रहय l
सबो समाज अपन संरक्षण म राखे हे l हर धार्मिक काम काज म पौनी पौसारी के जघा हे l बिन नाउ धोबी के शुद्धिकरण नई होवय मरनी हरनी छट्टी म l जचकी हो या मरनी के काम म इंखर भूमिका आघू हे l मुड़ी ला मुड़वाये ला पड़थे lउंकर काम के पीछू कुछ अंशदान निकल के देथे l ये अंशदान सगुन के बतौर हे लेकिन सामाजिक व्यवस्था के तहत उंखर मान सम्मान खातिर हे l
सामाजिक भाई चारा ला जोड़े बर परिपाटी चलत हे l पूजा पाठ म तोरन दोना पतरी इही मन लाथे l स्वस्थ परम्परा ए मेऱ छुवा छूत भेदभाव नई मानय l उंखर उपस्थिति ला बने माने जथे l सेर के रूप म सूपा म चाउंर दार नून मिरचा आलू बरी कांदा सब भोजन के सामान देके बिदा करे जाथे l पौनी पसारी के प्रथा अब टूट गे या टूटत हे ओखरो कारण हे l
अब उहू नंदावत जावत हे l सेवा सहिष्णुता नई रही गे l हमर परम्परा हमर संस्कृति म औदार्य गुन हे l जेखर गुन गाथन l
कइसे बचाबो? गोठ म पदोंलीं
दुहू l
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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