Monday, 18 December 2023

सुरता// जब गोरसी तापत अंगाकर दमोरन..

 सुरता//

जब गोरसी तापत अंगाकर दमोरन.. 

    तब जाड़ ह हमर मन बर तिहार बरोबर जनावय. अघ्घन-पूस दू महीना तो गजबे निक जनावय. हमर गाँव-गंवई म ए बेरा ह धान मिंजई के बेरा होथे. धान मिंजई माने बेलन खेदना अउ बीच-बीच म बेलन ले उतर के चारों मुड़ा बगरे पैर म उलानबाटी खेलना. 

    गाँव म किसान-किसानीन, बनिहार-कमईया सबोच के दिनचर्या बियारा म पैर बगराना, बेलन फॉंदना, कलारी म खोभा मारना, धान के दाना मन झरझें, त पैरा ल झर्रावत हेरना अउ पैरावंट म गॉंजत जाना, पैर के झरे जम्मो धान मनला सकेल के एक तीर म रास मढ़ाना, फूल-पान नरियर चघा के हूम-धूप देना. तेकर पाछू फेर वोला काठा म राम ले लेके सरा (1 ले 20) तक के गिनती गिनत नापना. एक सरा माने एक खॉंड़ी पूर जाय त फेर एक बाजू म वोकर खातिर एक मुठा धान के कुढ़ेना मढ़ा देना. अइसने एकक मुठा करत बीस मुठा हो जावय, त फेर एक गाड़ा (बीस खॉंड़ी) के वो सबो कुढ़ेना ल एक तीर सकेल दिए जाय.

    घर के सियान- सियानीन मन तो अतकेच म चिथियाय राहंय, फेर हमन कूद-फॉंद अउ एती-वोती धूम-धड़ाका म राहन. सूत के उठन तहाँ ले बियारा के आगू म गड्ढा खान के बनाए कौड़ा म आगी तापना. थोकिन चरचराए असन लागिस तहाँ ले मुखारी चगलत तरिया जाना, फेर उहाँ नहाए के पहिली घठौंदा म बगरे चिरी मनला सकेल के भुर्री बारना. भुर्री के दगत ले धरारपटा तरिया म कूद के निकलना अउ झटपट कपड़ा पहिर के फेर भुर्री तापना.

   घर म आवन त घीव चुपरे अंगाकर रोटी बर झपेट्टा मारन. अउ देखन त अंगाकर के फोकला अतका मन हमर बॉंटा म राहय अउ वोकर जम्मो गुदा मनला हमर बिन दॉंत के भोभला बबा खातिर अलगिया दे राहय. हमन बस गोरसी तापत फोकला अतका ल झड़कन तहाँ फेर स्कूल के बेरा हो जावय.

    संझा स्कूल ले लहुटे के पाछू फेर बियारा म धान मिंजाय बर बगरे पैर म चलत बेलन म चढ़ना, बीच-बीच म उलानबाटी खेलना चालू हो जावय. कभू-कभू बियारा म गाड़ा ल पैरा म तोप के रतिहा के रखवारी करइया मन बर बनाए कुंदरा म खुसरना, उहाँ माढ़े जिनिस मनला देखना-हुदरना बस अतकेच म बेरा पहा जावय.

    मुंधियार अस जनावय त फेर घर कोती जाना, चिमनी अंजोर म गुरुजी मन घर म लिखे-पढ़े बर कुछू अढ़ोय राहय तेला सिध पारन. फेर रतिहा बियारी के पाछू डोकरी दाई जगा कहानी सुनना. सबो भाई-बहिनी गोरसी के आंवर-भांवर बइठ के कहानी सुनन. एक झन कोनो ह हुंकारू देवय. हमर तो कहानी सुनत ही नींद पर जावय, कतका जुवर कोन ह हमला खटिया म ढनगा दिस तेकरो गम नइ मिलय.

   इतवार के छुट्टी के दिन के दिनचर्या ह थोरिक अलगे राहय.  ए दिन बिहनिया गोरसी तापत अंगाकर रोटी दमोरे के पाछू खेत डहार जावन. कोनो मिठहूं असन बोइर के पेड़ म चढ़ना, कोनो पाके असन दिखत बोइर वाले डारा ल हलाना, फेर खाल्हे म उतर के पेंठ के दूनों खीसा म खसखस के बोइर ल भरना तहाँ ले खेत म उल्होए तिंवरा भाजी ल सुरर-सुरर के हकन के कोल्हान नरवा कोती बढ़ जावन. कभू कभू तो सबो संगी तिंवरा भाजी ल रॉंध के खाए खातिर तेल-फूल जइसे जम्मो जिनिस मनला अपन-अपन घर ले धर ले राहन अउ नरवा खंड़ म आगी सिपचा के वोला रॉंध के खावन. ए किसम वो छुट्टी के दिन हमर मन के तिंवरा भाजी अउ बटकर के पिकनिक पार्टी हो जावय.

-सुशील भोले

संजय नगर, रायपुर

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