Monday, 18 December 2023

भाव पल्लवन-- चतुरा ल केकरा नइ चाबे।

 भाव पल्लवन--



चतुरा ल केकरा नइ चाबे।

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कोनो भी काम बुता ला सोच-समझ के थोकुन दिमाग लगा के करइया ला नुकसान उठाये ला नइ परय।ओहा अनचेतहा मा होवइया कष्ट ले तको बाँच जथे।केकरा ला चतुराई ले पकडे़ मा वो चाब नइ पावय।केकरा पकड़इहा हा वोकर धियान ला भटकाके अपन एक हाथ ला आगू कोती अइसे देखा के जना मना उही मा पकड़ही, दूसर हाथ ले पाछू कोती ले वोकर दूनो डाढ़ा ला चप ले चपक के पकड़ लेथे।केकरा बेचारा ये चतुराई ला समझ नइ पावय। कई झन तो केकरा ला पकड़े बर काड़ी ला वोकर आगू मा लाथें तहाँ ले केकरा हा कसके काड़ी ला दूनों डाढ़ा मा चाबत हँव कहिके जमिया लेथे।केकरा पकड़इहा मनखे हा समझ जथे के अब वो कामा चाबही तहाँ ले बिन खतरा के पकड लेथे। अब के जमाना मा तो केकरा पकड़े बर किसम-किसम के फाँदा उदगरित होगे हे।

  अइसनहें पहलवान मन, खेलाड़ी मन,राजनेता मन बुद्धि लगाके अइसे दाँव चलथें के विरोधी हा समझ झन पावय अउ वोला जीत मिल जवय। 

     कुछ मनखें अइसे चतुरा होथें के छल-कपट करत रथें। अपन उल्लू सीधा करे बर कोनो ल धोखा देवई ल अपन चतुराई समझथें। आनी-बानी के प्रपंच रचके सीधा-सादा मनखें मन ला मनमाड़े ठगत रहिथें। बाते-बात के अइसन जाल बुनथें के सीधा-सादा मनखें वोमा फँस जथें।अइसन चतुरा मन सहायता करत हँव कहिके उल्टा लूट लेथें। ये मन फ्राड होथें। फ्राडगिरी हा सँहराये के चतुराई नोहय भलुक बेइमानी के चिनहा अउ पाप करम आय।कतकोन नेता मन के वादा,व्यपारी मन के विज्ञापन अइसनहेच चतुराई होथे।

  कहे जाथे के --आदमी ला एकदमेच सीधा-सादा घलो नइ होना चाही ।अइसन जादा सिधई हा भोकवापन कहाये ला धर लेथे।सीधा पेड़ हा पहिली कटा जथे।तेकरे सेती सियान मन कहिथें-ये दुनिया के ठग-जग मन ले बाँचे बर समझदारी वाला  चतुरा होना जरूरी हे।जिनगी ला बने ठीक-ठाक चलाये बर,ठग-फुसारी ले बाँचे बर हुशियार होना चाही।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद,छत्तीसगढ़

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