Monday, 18 December 2023

भाव पल्लवन-- तेल न तेलई, बरा-बरा नरियई

 भाव पल्लवन--


तेल न तेलई, बरा-बरा नरियई

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बरा खाना हे त उरिद दार के पीठी भर ले काम नइ चलय ।वोला बनाये बर तेल अउ तेलई(कड़ाही),चुल्हा-आगी के तको जरूरत होथे। समान अउ इंतजाम अधूरा हे त बरा खाहूँ---बरा खाहूँ--झटकुन बरा चाही --चिल्लाये भर ले नइ मिल जवय।कतेक झन अइसने बिना मतलब के चिल्ल पों मचावत रहिथें। 

  कोनो चीज के साध करना बुरा नोहय फेर साध तभे पूरा होथे जब वोकर लइक सराजाम होथे--बढ़िया तैयारी होथे।

  जे मन बिना तइयारी के कोनो प्रतियोगी परीक्षा म बइठहीं वो मन ला भला सफलता कइसे मिलही? टूटहा--अधमरहा मन ले, आधा-अधूरा  तइयारी करे ले सफलता मिलबेच नइ करय।कतेक झन तो दसों साल ले तको अइसनहे तइयारी करत रथें अउ बार-बार असफल होके निराश हो जथें।ये मन ला तो शांत मन ले कारण ला खोजके निवारण के उपाय करना चाही। 

                    किसान हा बिना बिजहा, खातू-माटी अउ बिना पानी के खेती करही त फसल कहाँ ले लूही? जमीने रहे भर ले कुछु नइ होवय ।फसल बर माटी म माटी मिलके,पसीना ओगारे बर परथे।

  अइसने कोनो आयोजन के सफलता बर वोकर हर पहलू मा ध्यान देके मुकम्मल तइयारी करे बर लागथे।छोटे-छोटे जिनिस मन के चेत रखे बर लागथे नहीं ते कभू-कभू अइसे देखे म आथे के उद्घाटन के समे, दिया बारेच के बेरा छिहीं-छिहीं माचिस खोजे ल पर जथे।कार्यक्रम म बाधा आये ले हल्ला-गुल्ला तो होबे करथे अतिथि मन के आगू म आयोजक मन ला मूँड़ी गड़ियाये  ल पर जथे।

   मनखे के जिनगी ल संग्राम कहे जाथे। ये युद्ध म कई प्रकार के बाधा-बिपत्ति ले लड़े बर लागथे।लड़ना हे त साहस अउ हथियार दूनों चाही। सैनिक ह युद्ध के मैदान म बिना हथियार के लड़े बर जाही त मरही धन बाँचही तेन ह गुने के बात आय।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद छत्तीसगढ़

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