Wednesday, 17 January 2024

आज 26 वीं पुण्यतिथि म विशेष चंदैनी गोंदा के सर्जक - दाऊ रामचंद्र देशमुख

 आज 26 वीं पुण्यतिथि म विशेष


चंदैनी गोंदा के सर्जक - दाऊ रामचंद्र देशमुख 



जनम : 25 अक्टूबर 1916

लोकगमन : 13 जनवरी 1998


हमर छत्तीसगढ के लोक साहित्य अउ लोक संस्कृति ह अब्बड़ समृद्ध हे. इंहा के पण्डवानी, पंथी नृत्य, कर्मा,सुआ, ददरिया,  भरथरी,रहस,नाचा, लोरिक -चंदा, ढोला-मारू के सुघ्घर सोर हे. लोक कला अउ सांस्कृतिक क्षेत्र में दाऊ रामचंद्र

देशमुख , देवदास बंजारे,  झाड़ू राम देवांगन,तीजन बाई, हबीब तनवीर,मदन निषाद,  लालू राम साहू,गोविंद राम निर्मलकर,  फिदा बाई मरकाम,माला बाई मरकाम, दाऊ दुलार सिंह साव मंदराजी, दाऊ महासिंह चंद्राकर, दीपक चंद्राकर, शिव कुमार दीपक,  नियाइक दास मानिकपुरी, झुमुक दास बघेल,भैया लाल हेड़ाऊ, ऋतु वर्मा, सुरूज बाई खांडे, शेख हुसैन, खुमान साव,लक्ष्मण मस्तुरिहा, केदार यादव,  बद्रीविशाल परमानंद,विमल कुमार पाठक, पूना राम निषाद, मिथलेश साहू, भूपेन्द्र साहू, दुष्यंत हरमुख, कुलेश्वर ताम्रकार, रामाधार साहू,ममता चंद्राकर,  डा. पीसी लाल यादव, धुरवा राम मरकाम,जयंती यादव,  अनुराग ठाकुर,साधना यादव, संगीता चौबे, कविता वासनिक, लक्ष्मी बंजारे, दुकालू राम यादव, सुनील सोनी, महादेव हिरवानी,मंजुला दास गुप्ता, आरू साहू जइसे  कतको कलाकार के नांव सामिल हे.


दाऊ रामचंद्र देशमुख कला के पारखी रिहिन हे. छत्तीसगढ़ के गरीब, मजदूर, किसान मन के शोषण ल देखके वोकर मन म अब्बड़ पीरा होय. ये पीरा ल  दूर करे खातिर वोहर कला अउ संस्कृति के रद्दा ल धरिस. छत्तीसगढ़ के संस्कृति के उज्जर पक्ष ल सामने लाके इहां के सोर बगराइस. कला के विकृति ले वोकर मन ल अब्बड़ ठेस पहुंचय तेकर सेति सांस्कृतिक पुनर्जागरण के उद्देश्य ल लेके गांव- गांव म जाके गुनी कलाकार मन के खोज करिस अउ चंदैनी गोंदा जइसे कालजयी सांस्कृतिक संस्था के गठन करिस. चंदैनी गोंदा ह अपन प्रस्तुति ले सांस्कृतिक क्षेत्र म छागे. शोषित-पीड़ित छत्तीसगढ़िया मन के हीन भावना दूर होइस अउ अपन स्वाभिमान बर जागिस.

 

जब मोर जनम होइस वोकर ले दू साल पहिली “चन्दैनी गोंदा “के जनम होगे रहिस हे. अउ जब येखर सर्जक श्रद्धेय दाऊ रामचंद्र देशमुख जी ह जब येला कोनो कारन ले आगू नइ चलइस त मात्र

आठ साल के रहेंव. मेहा दाउ राम चन्द्र देशमुख जी द्वारा संचालित” चन्दैनी गोंदा “ल कभू नइ देखेंव. दाउ जी ले घलो कभू आमने- सामने भेंट नइ कर पायेंव. मोर अइसन सौभाग्य नइ रीहिस हे. पर

मोर डायरी म दैनिक सबेरा संकेत

राजनांदगांव के “आपके पत्र “स्तंभ के पेपर कटिंग हे. वोखर मुताबिक मेहा दूरदर्शन केन्द्र रायपुर के कार्यक्रम “एक मुलाकात ” म 21 मार्च 1996 म जब  राम हृदय तिवारी जी ह दाऊ जी ले “गोठ बात “करे रीहिस हे वोला मेहा गजब रुचि लेके सुने रेहेंव. काबर कि मेहा कई ठक अखबार म श्रद्धेय दाऊ जी के जीवन परिचय, चन्दैनी गोंदा , देवार डेरा अउ “कारी” के बारे म पढ़े रेहेंव. उद्भट विद्वान डॉ. गणेश खरे जी के लेख के सँगे सँग कुछ अउ विद्वान मन के लेख ल पढ़े रेहेंव. जब दूरदर्शन केन्द्र रायपुर ले ये भेंटवार्ता ह शुरु होइस त मेहा आखिरी होत तक टस से मस नइ होयेंव. ये भेंटवार्ता ले मोला छत्तीसगढ़ लोक कला मंच के विकास यात्रा म दाऊ रामचंद्र देशमुख जी के योगदान के सुग्घर जानकारी मिले रीहिस हे. आदरणीय राम हृदय तिवारी जी ह दाऊ जी ल गजब अकन सवाल करिन कि “देहाती कला विकास मंडल “, “चन्दैनी गोंदा” के गठन अउ “कारी “के मंचन के का उद्देश्य रीहिस हे. चन्दैनी गोंदा के पहिली इहां के नाचा अउ लोक कला मंच के कइसन दशा अउ दिशा रीहिस हे .चन्दैनी गोंदा ल आप विसर्जित करे जइसे कठिन निर्णय काबर लेंव. अइसेझ का परीस्थिति अइस! ये सवाल जब आदरणीय तिवारी जी ह श्रद्धेय दाऊ जी ले करिस त एकदम भावुक घलो होगे. वर्तमान म लोक कला मंच के दशा अउ दिशा उपर जब चर्चा चलिस तब दाऊ जी ह गजब उदास होगे अउ कहिस कि हमर छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान ल जगाय बर काम नइ हो पावत हे. लोक कला मंच के नाम म सिनेमा संस्कृति ह हावी होगे हे. अइसे कहत -कहत दाउ जी ह भावुक अउ एकदम गंभीर होगे.


दाऊ रामचंद्र देशमुख जी के जनम 25 अक्टूबर 1916 म बालोद जिला के डौंडीलोहारा विकासखंड के गाँव पिनकापार म होय रीहिन हे. दाऊ जी ह अपन गाँव पिनकापार म राम लीला मंडली के गठन करके अपन संगठन शक्ति के परिचय दे रीहिन हे. बाद म गांव गांव म घूम के गुनी कलाकार म ल खोज के संगठित करिस. वोहा 1951 म देहाती कला विकास मंडल के गठन करिस. येमा लाला फूलचंद श्रीवास्तव जी चिकारावाला (रायगढ़), ठाकुर राम जी , बुलवा (रिंगनी साज), रवेली साज के मदन निषाद जी (गुंगेरी नवागाँव, डोंगरगॉव, राजनांदगांव) जइसे बड़का कलाकार शामिल होगे. दाऊ जी ह ये कलाकार मन ल लेके काली माटी, बंगाल का अकाल, सरग अउ नरक, राय साहब मि. भोंदू खान साहब नालायक अली खां, मिस मैरी का डांस जइसे प्रहसन खेल के मनोरंजन के सँगे सँग जनता म जन जागरण के संदेश घलो दिस.

अउ 7 नवंबर 1971 म अपन गाँव बघेरा (दुर्ग) मा सांस्कृतिक पुनर्जागरण के उद्देश्य लेके लोक सांस्कृतिक संस्था “चन्दैनी गोंदा “के गठन करिस. दाउ जी ह चन्दैनी गोंदा, कारी के माध्यम ले छत्तीसगढ़वासी मन के स्वाभिमान ल जगाइस. चन्दैनी गोंदा के माध्यम ले लक्ष्मण मस्तुरिया जी, केदार यादव, खुमान साव जी, केदार यादव जी, साधना यादव जी, भैया लाल हेड़ाऊ, कविता हिरकने (वासनिक ), राम रतन सारथी, शेख हुसैन, संगीता चौबे, साधना यादव, शैलजा ठाकुर, अनुराग ठाकुर, शिव कुमार दीपक, मुकुंद कौशल, महेश ठाकुर ,मदन चौहान, , संतोष झांझी, मंजूला बनर्जी, संतोष टांक, लाला फूल चंद, लालू राम, बसंत दीवान, रवि शंकर शुक्ल ,गिरिजा सिन्हा,सुरेश देशमुख उद्घोषक,  विजय श्रीवास्तव अमित,हीरा सिंह गौतम चित्रकार जइसे उम्दा कलाकार (गायक- गायिका /गीतकार /संगीतकार /अभिनेता) सामने आइन.

मेहा दाऊ जी द्वारा संचालित चन्दैनी गोंदा ल कभू नइ देखेंव पर

बाद म लोक संगीत सम्राट श्रद्धेय खुमान साव जी द्वारा संचालित चंदैनी गोंदा ल घलो मात्र दो बार देख पायेंव .पर श्रद्धेय खुमान साव जी ले भेंट नौ बार होइस हे. येखर संस्मरण घलो लिखे हवँ.

हमर छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के अग्रदूत ये महामानव ह 13 जनवरी 1998 म अपन नश्वर शरीर ल छोड़ के स्वर्ग लोक चले गिस. दाऊ जी ह अपन यश रुपी शरीर ले सदैव जीवित रहि.


चन्दैनी गोंदा के यात्रा अउ दाऊ जी के व्यक्तित्व अउ कृतित्व पर उंकर भतीजा अउ चंदैनी गोंदा के प्रथम उद्घोषक डॉ. सुरेश देशमुख जी के अथक प्रयास ले उंकर संपादन म अउ राजगामी संपदा न्यास राजनांदगांव के आर्थिक सहयोग ले सन 2021 म गजब सुग्घर किताब प्रकाशित होय हे. ये किताब ह चंदैनी गोंदा अउ दाऊ जी के बारे म एक अमूल्य दस्तावेज हे. प्रो. देशमुख जी ह किताब प्रकाशन म एक भागीरथ प्रयास करे हे जेकर जतकी प्रशंसा करन वोहा कम होही. येहा

छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति पर शोद्धार्थी छात्र अउ येकर ले लगाव

रखइया मन बर गजब अनमोल हे. ये सुघ्घर किताब खातिर डा. सुरेश देशमुख जी ल 14 जनवरी 2024 के दिन  छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन म सम्मानित करे जाही।येकर  बर डा. देशमुख जी ल गाड़ा गाड़ा बधाई अउ शुभ कामना हे. सांस्कृतिक पुनर्जागरण के अग्रदूत दाऊ रामचंद्र देशमुख जी ल उंकर 26 वीं जयंती म शत् शत् नमन हे. 

        

       ओमप्रकाश साहू" अंकुर"

       सुरगी, राजनांदगांव

No comments:

Post a Comment