Sunday, 9 June 2024

परलोभन पत्र"

 "परलोभन पत्र"

         कतनो बेरा लेड़गा ल लेड़गा कहना घलो उटपुटांग लगथे।काबर कि लेड़गा दूं किसम के होथे, एक दिमाग ले दूसर नाम के।हमी ल हमर काकी मन कोंदा काहय भले हमर मुहूं आज ले चलत हे।कतको बेरा लेड़गा मन के हाजिर जवाबी देवई बड़ मुश्किल रहिथे। दिमाग ले लेड़गा पूछ परिस आज आजादी के अमृत महोत्सव मनाय के बाद घलो नेता मन सड़क, बिजली, पानी बर चुनाव लड़त हे भईया ।इही ह त ऊंखर बुता (धंधा) आय रे लेड़गा।अऊ ये हर ऊंखर जनम सिद्ध अधिकार आय।अऊ विकास के डोंगा हर ऊपरे ऊपर तंउरथे ।कतरो जगा सड़क घलो बनथे फेर चांटी के रेंगे ले उखड़ जथे त बिचारा मन के का दोष हाबे,वो तो चांटी ल चाही न नवा सड़क ले दूरिहा घूंच के रेंगय।हमन तो इक्कीसवीं सदी म हन रे लेड़गा इंजिनियर मन डामर गिट्टी के मात्रा ल पूरा 'क्वालिटी 'के संग नाप तउल के डलवाथे,एको कन करिया आईल कस नी लगे।लईका राहन त डामर गिट्टी चप्पल म लटके त काड़ी म कोचके म कतिक मजा आय। 

         बिजली पानी के घलो उही किस्सा आय रेंगत हे पैदल यात्री कस।यहू मन हिता (रुक)जथे रद्दा म रेंगत- रेंगत डोंगरगढ़ के उड़नखटोला कस।ये मन ल जनता के दुख पीरा देखे नइ जाय।थोकिन गरेरा म घलो बिजली आंखी मुंद लेथे।कहईया मन तो काहत रहिथे बिजली के बिल हाबे हाफ युनिट के पईसा ल बड़हादे रद्दा हाबे साफ।

   लेड़गा काहय सुने हंव नेता मन मन प्रेम -पत्र (पाती)घलो लिखथे? नही रे लेड़गा वो हर प्रेम पत्र नो आय, वो हर "परलोभन पत्र "आय।जईसे कुकर मन ल रोटी के कुटका फेंक के लालच देखाथन।समे के संगे संग इंखरो नाम मन बदलत रहिथे।पहिली येला घोषणा पत्र काहय अब, संकल्प पत्र, न्याय पत्र, गारंटी पत्र होंगे।यहू ल रोजगार गारंटी मत समझबे।जेमा चार इंच कोड़ अऊ दांत ल निपोर।ये मन जस जस चुनाव आथे जनता ल ललचाथे।ये मन तो अईसे गोठियाथे जईसे बवासीर वाले डाक्टर मन परची म छपवाय रहिथे "बवासीर का ईलाज किया जाता है गारंटी के साथ "-वैधराज फलाना -फलाना।

          प्रेम- पत्र पहिली के जमाना म चले रे लेड़गा। अब तो मोबाइल के आय वहू नंदागे।

मोर प्रिय फलानी तै कब आबे, तोर सुरता म सुररत हंव। 'शोले' हर मोर एक ठन सहारा हे।

        तोर फलाना।

       समाचार म पढ़ें रेहेंव रे लेड़गा कोनो काहत हे हमर सरकार आही त गरिबी ल एक झटका म दूर कर देबो तो का अतिक दिन ले राम मंदिर के उद्घाटन ल देखत रिहिस?अतिक अकन रोजगार देबो ताहन बांकी मन भजिया तलही?वईसे चाय वाला मन घलो जब्बर परसिध (फेमस)हे।चाहे वो डाली चाय वाला राहय,या एम• बी •ए चाय वाला।इही चाय के दम म देश बिदेश घुमत हे। वईसे चाय बेचना कोनो गिनहा बुता ( काम )नो आय।ऐकर बर कोनो डिगरी घलो नी लगे।"हर्रा लगे न फिटकरी रंग लगे चोखा "।

          त कईसे बर बिहाव नी करते रे लेड़गा?ये गारंटी के साढ़े साते सनी चलत हे भईया बाई नी मिले। अब उंखरो मन के भाव बाढ़ गेहे।किसम -किसम योजना म महिना पुट पईसा मिलत हे त भाव बढ़नच हे। कोनो काहत हे हजार देबो, कोनो काहत हे लाख देबो तो भाव बाढ़नाच हे। सरकार ल बनाय म इंकरे मन के हाथ बात हे।कहिथे न "नारी ले दुनियां हारी "।हमू ल मिलतिस त कमाय धमाय ल नी लागतिस।कभू के दिन ले यहू हर जिव के काल झन बन जाय।अइसने रही त कभू के दिन ले मरद जात मन ल झाड़ू पोंछा,चौंका बरतन करे के सौभाग्य घलो मिल सकत हे।

              फकीर प्रसाद साहू 

                "फक्कड़ "

               ग्राम -सुरगी

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