बाल कहानी
एकदंत
बड़ दिन के गोठ आय। एक बेर परशुराम जी ह कार्तवीर्य अर्जुन (सहस्त्रअर्जुन) ल मार के बड़ खुश होके ये बात के खुशखबरी देय बर कैलाश मा भोले बबा ले मिले बर गीस। जइसनेच परशुराम जी हा कैलाश मा पहुंँचीस त घर के दुवारी मा चौकीदार कस रखवारी करत, पहरा देवत गणेश जी ह खड़े रहिस।
परशुराम जी ह भगवान गणेश जी ल कहिथे–" मोला भोले बबा ले मिलना हे त भीतरी मा जावन दे।"
गणेश जी ह कहिथे –"अभी आप भीतरी मा नइ जा सकव।"
परशुराम जी ह घेरी-भेरी कहिथे–" मोला भीतरी मा जावन दे। मोला भोले बबा ले मिलना हे।"
भगवान गणेश हा घलो सहज होके हाथ जोरके कहिथे –"में अपन दाई-ददा के आज्ञा के पालन करत हों। आप मोर राहत ले भीतरी मा नइ जा सकव।"
अतका ल सुन के परशुराम जी ह एकदम घुसिया के गणेश जी ल कहिथे–" में कोन हरवँ तेला तैं नइ जानस? जानतेस त मोला भीतरी जाय ले नइ रोकतेस।"
गणेश जी कहिथे –"आप कोन हरव येकर ले मोला कोनो मतलब नइ हे।"
अतका ल सुन के परशुराम जी ह फेर तमतमाके कहिथे –" रे मुरख लइका! तोला बड़ देर ले सहन करत हों अब तोला मोरसन लड़ई करे बर पड़ही अउ में कोनो लड़ई मा जीत जाहूँ त भोले बबा ले मिले बर मोला कोनों नइ रोक सकय।"
चतुर, बलशाली, बुद्धिशाली, आज्ञाकारी गणेश जी लड़ई बर तियार हो जथे। परशुराम जी अउ गणेश जी के बीच मा जब्बर लड़ई होथे। गणेश ऊपर परशुराम जी के वार ह सबों बखत निष्फल हो जाथे। एक बेर तो गणेश जी परशुराम जी ल अपन सूंड मा लपेट के चारों कोती ल घूमाके भुइयाँ मा भर्रस ले पटक देथे। जेमा परशुराम जी मूर्छा हो जथे। जब मूर्छा ले उठथे त भगवान शिव के देय फरसा (जे फरसा के सेती परशुराम नाम पड़े हे) ले भगवान गणेश जी ऊपर वार कर देथे।
परशुराम ल देय ददा भोले के फरसा ल अपन तीर आवत देख के भगवान गणेश ह वोला प्रनाम करथे। परशुराम के फरसा के वार ले गणेश जी के डेरी दांत ह टूट के भुइयाँ मा गिर जथे। पीरा मा कराहवत गणेश जी दाई वो कहिके गोहराथे। गणेश जी के पीरा ल सुनके दाई पार्वती ह भीतरी ले "बेटा गणेश! बेटा गणेश!" कहिके भागत दुवारी मा आथे।
दाई पार्वती ह गणेश के टूटे दांत ल देखके पीरा मा कराहवत अपन लइका ल गोदी मा उठा लेथे अउ परशुराम ऊपर गुस्सा होवत चंडी दुर्गा के रुप मा आके कहिथे –"आप जइसन शिव भक्त ज्ञानी पुरुष मोर नानकुन लइका ले लड़ई करे हो ये काम आप ल नइ फभे। येकर परिनाम आप ल भुगते ल परही परशुराम जी।"
परशुराम जी चंडी दुर्गा के बगियाय रूप ला देखके शांत करेबर बाल गणेश जी के विनम्रता के बखान करत कहिथे –"ये बाल गणेश बड़ चतुर, बलशाली अउ बुद्धिमान हे। में येला अपन तेजबल, ज्ञान, कौशल ल आशीष के रुप मा देवत हौं। मोर फरसा ले गणेश जी के दांत टूटे हे त आज ले संसार मा गणेश जी हा एकदंत के नाम ले जाने जाही ये मोर आशीर्वाद हे।"
अतका ल सुनके दाई पार्वती के क्रोध हा शांत हो जथे अउ भगवान गणेश परशुराम जी ल प्रनाम करथे। भोले बबा हा परशुराम ल अपन दर्शन देथे। सब देवता मन चारो कोती एकदंत की जय, एकदंत की जय कहिके जयकारा बुलाथे।
डॉ. पदमा साहू "पर्वणी"
खैरागढ़ छत्तीसगढ़ राज्य
No comments:
Post a Comment