Sunday, 23 October 2022

धान भारा के किसिम-किसिम के डोरी......

 



धान भारा के किसिम-किसिम के डोरी......


समे के संगे संग भइगे सबो जिनिस ल घलो बदल जथे। हमर छत्तीसगढ़ में किसानी काम मे धान, कोदो, कुटकी,तीली,अमारी पटवा,रहेर म बांधे बर जेन पैरा अउ छिंदी डोरी के उपयोग करत रेहेंन वहु अब जमाना के संग बदल गे। अब तो रंग-रंग के डोरी आगे। मशीन के डोरी,पुराना नेवार के डोरी,चुंगड़ी के डोरी अब जादा छा गेहे।


ये डोरी बनाय के तैयारी किसान भाई मन धान लुये के महीना भर पहिली ले शुरू कर डारे रथे। चौक मे बैठ के गप मारत, कोई लइका राखत,कोई टीवी देखत,कोई पान ठेला होटल मेर बैठके बनात दिख जाथे। 


1.छिंदी के डोरी--- 

ये डोरी बनाय बर जंगल ल छिंदी के पाना सुद्धा लुके के घर मे लाय ल पड़थे। बाद में जड़ डहन के कांटा मन ल हंसिया ले काट के निकाले ल लगथे। फेर उही मेर ल पखरा, लकड़ी ले कुचर के नरम बनाके बांध देथे। जेला हमर गांव डहन जुमा के डोरी घलो केहे जाथे। ये ह अब्बड़ मजबूत होथे अउ साल भर के भारा लाय तक काम देथे। एक किसान के घर के काम होय के बाद दूसर किसान भाई मांग के घलो ले जाथे। जुमा डोरी म मया के डोरी सही गांव के मनखे मन के गांठ बंधाय रथे।


2.पैरा के डोरी--- 

पैरा के डोरी अब्बड़ मजबूत होथे, ये कई साल ले चलथे। येला एक साल पहिली के मिजाई के समे भारा सहित धान ल लवठी म पीट के रख दे रथे। फेर महीना भर पहिली पानी मे नरम करके रात-रात के जेवन के पहिली ले घर के सबो झन मन बर के बनाये जाथे। फेर भारा भांधे के पहिली अउ पानी में  नरम करके भारा बांधे जाथे।


3.मशीन के डोरी---

अब समे के संग डोरी घलो बदल गे। छिंदी अउ पैरा के बाद अब मशीन ले घलो डोरी बनत हे। ये डोरी घलो अब्बड़ मजबूत होथे। मशीन में आंट चघाय जाथे जेकर ले जादा मजबूती हो जाथे। येला चुंगड़ी ले नान-नान चिरके रंगीन-रंगीन कपड़ा के चिन्द्री ल मिला के बनाये जाथे, जेहर देखे मे घलो अब्बड़ सुंदर लगथे। ये डोरी कई साल ले काम देथे। 


4.चुंगड़ी के डोरी---

सीमेंट बोरी,शक्कर बोरी,खातू बोरी ल पातर-पातर चिरके घलो भारा बांधे के काम बनथे। ये सबले सस्ता डोरी हरे जेला बनाये बर जादा मेहनत के घलो जरूरत नई होय। चातर राज के मन येकर जादा उपयोग करथे।


5.जुन्ना नेवार के डोरी--- 

कई-कई झन मन जादा झंझट म नई पड़के अपन घर के जुन्ना सूती के नेवार जेहर टूट जाये रथे, ओला नान-नान काट के भारा बांधे के लाइक बना के बांध डारथे। यहु अच्छा काम देथे अउ मजबूत घलो रथे।


6.जुन्ना कपड़ा के डोरी---

गांव में जुन्ना-जुन्ना कपड़ा ल पातर-पातर चिर-चिर के आँट चघा के बरके बनाये जाथे। ये अलग-अलग रंग के होथे,जेकर ले अब्बड़ सुंदर दिखथे। कपड़ा के डोरी अब्बड़ दिन ले पुरथे, येहा बिना खर्चा के डोरी हरे, बनाये में जादा मेहनत घलो नई लगे।


अब दिनों दिन समय बदलत हे अउ अपन संग सबो जिनिस ल घलो बदल डरिस। अब धान लुवे-मिंझे के मशीन हार्वेस्टर-थ्रेसर गांव-गांव में पहुँच गेहे तेकर सेती किसान मन मशीन म लुवाये के शुरू कर देहे। जेमे भारा-भुसाड़ा,डोरी-दांवा के काम घलो नई परत हे। सबो काम एकट्ठा होवत हे। किसान मन अब पुराना ढंग ले खेती किसानी के बुता ल तियागे ल धर लेहे। काबर के समे अउ आदमी के जादा जरूरत नई पड़े। फेर आज घलो कई झन लोगन मन मशीन ल छोड़ अपन चलत आत रीति ले काम करत हे। डोरी के काम आज घलो एकदम कम नई होय हे। छोटे किसान भाई मन आज घलो बैलागाडी में डोरी म भारा बांध के लावत हे अउ गाड़ी-बैला बेलन म मिजत हे।


अब डोरी ले काम छोटे किसान, जेकर खेत म मशीन नई जाय, जेहा मशीन नई लगा सके,जेकर घर अभी तक बैलागाडी हावे वोमन डोरी ले ही धान,कोदो,कुटकी,आमारी पटवा,तीली,रहेर, ल बांध के अभी घलो लाथे। जेकर खेती काम उरक गेहे वोमन ल डोरी मांग के दूसर किसान मन बिना कुछु देय सिरफ आपसी प्रेम-भाव,सहयोग के कारण लेत-देत हावे।


                     हेमलाल सहारे

                   मोहगांव(छुरिया)

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