*ग्रामीण अर्थशास्त्र मा छत्तीसगढ़ के नारी के भूमिका*
नारी कहे के मतलब संसार के जगमाता कहाथे फेर रुप मा महतारी बेटी भउजी काकी मामी ममादई कतक अकन नाता पुरखा मन सिरजाय हवय । जनम पात घानी कतको मनखे खून के आँसू रोथे कतको झन सुख के मारे गली मोहल्ला मा ढोल पिटथे कि मोर घर लक्ष्मी के अवतार आय हवय जेला परघे देखे आहूँ जेखर मन मा लक्ष्मी कहिस ओखर घर लक्ष्मी वास हो जथे धन धीरे धीरे धनहा कोठी मा माढ़त जथे ,जब ले पुरखा मन के असीस हे तब ले सिखौना मा नारी मन पाय हे पइसा, रुपया, धन, के कइसे उपयोग करैं।अइसे लगथे पेट भीतरी ले नारी के गुन हर लपटात रहे अउ बाहिर आय म सिखोय बर कछु कछु ल नी परय खुदे नोनीं मन बचाय के तरीका म काम बुता कर लेथें।साग बिसाय जही तव देखव धनिया मिरचा फोकट म दू डरा डार भैया कहिके बचा लेथे जेहर हम नारी मन के हक समझथन बिना चार पैसा छोडाय लेबे नइ करय चार ,चार पइसा बचाना ही नारी मन के अमीर बने के राज हे कतको गरीब घर मा बिहा होय रहय ओला मिहनत ले दिल के अमीर संग धन के अमीर घलो बना लेथें।पसिया मा ताकत अतका रथे कि साग बेच के अपन दम मा बारी भर भर फार्म हाउस तको बना लेथें। जिनगी के पुटु पैरा मा फुटथे जेला बाजार मा बेंचके आठ सौ रुपया किलो कमाथे ऐ ओखर बुद्धि मता के कमाल आय गोबर ला घोर घोर के गैस बनाके खाना बनाथें अउ बाचन ला शुद्ध खाद बनाथे जेखर चाउर अति मँहगा बेचाथे। उही गोबर खाद के उपज साग मन आठ गुना अतकहा मा बिकथे। येहर सब नारी मन के चालाकी बुद्धि मता आय जेन साडी ल शहरातीन नारी मन दस हजार मा खरीदथे वही साडी जसनहे अपन हाथ ले कढाई रेशमी मा बना के पहिरथे। सही कहे जाय ता जतका जाली धागा के सब काम ,चुनरी मीनाकारी, पथरा के मूर्ति गढना कोन करथे, गाँव के औरत ,शहर के नारी ओला खरीद के बिजनेस करथे मनखे, सही म गाँव के नारी रेशम ,कोसा के काम साडी, लकडी के, बाँस के, सुपा टुकना, कोन बनाथे सब ग्रामीण नारी मन करथे धान, लुवाई, मिसाई, कोन क्षेत्र म नारी के योगदान नी हे सबो मुका नारी के हाथ ओखर मिहनत ले सगरी महल अटारी सबो जगमगावत हे। नारी मन धनगोडा ल भरभर भरत हवय। ग्रमीण नारी मन पशुपालन एक चिया बिसा के पाँच रुपया ले पाँच सौ रुपया कमावत हे, मुर्गीपालन मत्स्यपालन,अउ कतको जिनिस अइसे हे जेला महिला मन अपन बुद्धिमानी ले दूध दही घी सबो व्यवसाय मा आघू हावय कभू कभू अइसे होथे खेती के मुअखरा याद रथे क इसे खेती करे जाय अब तो महिला मन वैज्ञानिक तरीका ले कमा के सर्वश्रेष्ठ किसान के खिताब लेवत हे स्वसहायता समूह हर तो वरदान बनके आय हे बरी बिजौरी पापड अचार सबके कीमत अपन हिसाब से पात हे नही तो शहर के मनखे चार आना मा लेगके चार रूपया म बेचत रहिन हे ,सहायता के कारण आज महिला मन अपन दुकान चलावत हे अउ अपन खर्चा ,जमा पूजी बनात हे सबले बढिया उच्च शिक्षा बेटी मन ल देवत हे महिला मन महिला ल आघू उठावत हे।
*धनेश्वरी सोनी गुल*✍️
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