ग्रामीण अर्थ शास्त्र मं छत्तीसगढ़ के नारी के भूमिका -सरला शर्मा
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अर्थ माने धन होथे त आम आदमी के भाषा मं अर्थ शास्त्र के मतलब तो धन कमाए के उदिम होइस न ? शहर मं रहिके पैसा कमाना सहज हे फेर गांव , गंवई मं साधन के कमी , आवा जाही के झंझट के चलते पैसा कमाना चिटिक दूभर तो होबे करथे ।
छत्तीसगढ़ के गांव किसानी ऊपर निर्भर होथे अइसन स्थिति मं जिहां चार महीना के किसानी के बाद पुरुष मन ठलहा हो जाथें त नारी मन के कमाई थोरकुन गुने बर पर जाथे ।
तभो ये बात तो माने च बर परही के आज के नारी मन भी चार पैसा कमा के आत्मनिर्भर होना चाहथें दूसर बात के सुरसा के मुंह कस बाढ़त महंगाई मं एक आदमी के कमाई से घर चलाना , लोग लइकन ल पढ़ाना लिखाना कठिन हो गए हे । आजादी के बाद सरकार महिला मन के शिक्षा , स्वावलम्बन ऊपर ध्यान देवत आवत हे अब एकर सुफल घलाय देखे बर मिलत हे । इही देखव न आजकाल गांव मं भी नोनी लइका मन ल कम से कम प्रायमरी स्कूल तक तो पढ़ाए जाथे , निरक्षर महिला बहुत कम देखे बर मिलथे । हमर सरकार भी कौशल केंद्र , आंगन बाड़ी , प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र , महिला स्वरोजगार योजना असन कई ठन योजना महिला सशक्तिकरण बर चलावत हे जेकर लाभ छत्तीसगढ़ के नारी मन ले सकत हें ।
कौशल केंद्र ले जुड़ के महिला मन सरकार के योजनानुसार मुफ्त सिलाई मशीन ले सकत हें , आंगन बाड़ी के दीदी मन से सम्पर्क करके सिलाई सीख सकथे ,आजकाल रेडीमेड कपड़ा के चलन बाढ़ गए हे खासकर लइकन मन के कपड़ा त घर बइठे कपड़ा सिल के शहर के दुकान मं बेंचे जा सकत हे । कपड़ा मं कढ़ाई के काम भी करे जाथे । सुम्मत , सहयोग से कोनो सिलाई करके त कोनो उही कपड़ा मं कढ़ाई करके रोजी रोजगार कर सकत हें । आजकाल सबो स्कूल मं तो यूनिफार्म होथे त स्कूल के कर्ता धर्ता मन सो भेंट करके यूनिफार्म सिले के काम करे जाही त धन कमाए के नवा रस्ता मिलही । ए काम बर महिला मन संगठन भी बना सकत हें काबर के कपड़ा काटना , सिलना , काज , बटन के अलावा शहर के दुकान संग बातचीत करना सब काम अपन अपन योग्यता अनुसार उनमन करहीं , उद्देश्य तो पैसा कमाना ही आय ।
अथान , पापड़ , बिजौरी संग आजकाल के चलन के मुताबिक टमाटर सॉस बनाना भी कठिन नइये । बारी बखरी मं टमाटर तो मिली जाथे ...दूसर फायदा एहू हर तो आय के ए सबो जिनिस के बाजार मं मांग भी तो दिनों दिन बाढ़त जात हे । गांव होय या शहर हरदी , मिर्ची के पाउडर , गरम मसाला तो सबो घर दूनों जुआर आठों काल बारहों महीना लागबे करथे । एकर बर महिला स्वरोजगार योजना के तहत बहुत कम किश्त मं घरेलू मशीन मिल जाथे जेला रखे बर बहुत बड़े जघा के जरूरत भी नइ पड़य ।
गति शक्ति योजना से जुर के गांव के महिला मन मशीन सुधारे , साइकिल , मोबाइल सुधारे के काम सीख सकत हें जेकर औजार खरीदे बर भी सरकारी ऋण कम ब्याज मं मिलथे दूसर बात एकर बर बहुत पढ़े लिखे होना भी जरूरी नइये माने कोनो डिग्री , डिप्लोमा के जरूरत नइये । मोमबत्ती , अगरबत्ती , बाती के जरूरत तो परबे करथे त आसान किश्त मं कम ब्याज मं ऋण ले के ये काम करे ले महिला मन घर बइठे कमाई कर सकत हें ।
सबले जरूरी बात के तरह छत्तीसगढ़ के नारी मन आत्मनिर्भर , स्वाभिमानी बनहीं त अपने भर नहीं ,अपन गांव के ही नहीं देश , राज , समाज के आर्थिक उन्नति मं सहयोग देहे सकहीं , सियान मन कहिथें न नारी के सामरथ होए ले परिवार सुधर जाथे ।
तभो एक जरुरी बात अउ सुरता राखे बर परही " एक जाय मरे त चार जायं करे " माने जुरमिल के काम करव , संगठन बनावव । चार झन मिल के जौन काम होही तेमा सबो झन के फायदा होही ।
सुनव , गुनव न ..लक्ष्मण मस्तूरिया गावत , गोहरावत हें .....
" नवा जोत ले नवा किरण संग , रस्ता नवा गढ़व रे ।
मोर संग चलव रे , मोर संग चलव गा ...। "
एतरह दीदी , बहिनी मन , छत्तीसगढ़ के नारी मन ग्रामीण विकास मं सशक्त भूमिका निभाए सकहीं ।
सरला शर्मा
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