Wednesday, 20 March 2024

मे लल्लू राम ब़ोलथव"

 " मे लल्लू राम ब़ोलथव"

        गांव के लल्लू राम पुछत  रिहिस ये गठबंधन काय होथे भाई,मै कहेव तैं कुवारा हस जी तैं नई जानस।जब बर बिहाव होथे त भांवर परे के बेरा दुल्हा के खांध के धोती ल दुल्हीन के लुगरा के छोर ल बांध देथे तेला गठबंधन कहिथे।इही असली गठबंधन आय।अऊ कहिबे त रस्सी के बंधना ल घलो गठबंधन कही सकथन। फेर एकर कोनो गारंटी नी राहय कोनो ह खोल सकत हे। एक ठन अऊ गठबंधन होथे जेमा मनखे मन एके संग जुरमिल के कोनो काम कारज ल करबो खांध म खांध मिलाके चलबो कहिके बनाथे।ए हर लव मैरिज टाईप के होथे।के दिन टिकही तेकर कोनो गारंटी नी राहय।अइसन मन अपन आप ल सही जताय बर घर, परिवार, समाज ले घलो लड़ झगड़ डारथे।कभू कभू अइसन मन ले दू परिवार, समाज , गांव म फूट घलो पड़ जथे।अइसन मन के हाल धोबी के कुकुर घर के न घाट कस घला हो जथे। लल्लू राम ल पूछेंव का सोंचत हस जी,कथे गाना सुरता आगे ,ये बंधन तो प्यार का बंधन है जन्मों का ये संगम है,मे केहेंव फेर ते ये मत गुनबे के करन अर्जुन आही अऊ आ घलो जही त रामायण नी होय महाभारत होही।

            लल्लू राम पुछथे अच्छा येला बता भईया "गाय हमारी माता है इसका चारा कौन खाता है"। लल्लू राम खवईया मन तो हाड़ा -गोड़ा ल तक खा जथे त ये चारा आय। आज कल के मनखे मन जादा हरही ,हरहा हो गेहे।वोईसे चारा जानवर मन खाथे।जब हमन चांद म जा सकत हन त दुपहिया जानवर घलो हो सकत हे।वईसे गाय एक ठन लक्ष्मी के अवतार आय ।अऊ लक्ष्मी कोनो डाहर ले आना चाहि। चाहे गौठान म गाय मरे, चाहे नीलामी होय?

      भईया आजकल के लईका मन फिलिम देख के हुशियार होगे तईसे लागथे जगा जगा नारा लगात रहिथे जय जवान -जय किसान।देश ल जाने बर का फिलिम देखना जरूरी हे?ये मन तो मोरो ले बड़े वाले लल्लू राम कस लागथे।जेन पढ़े लिखे मन ल देश के राहन रद्दा फिलिम देख के समझ आवत हे छी। असली जवान रेलगाड़ी,बस म खड़े रही तेला सीठ नई दे सके तेन मन ह जय जवान काहत हे।दाई ददा संग मुहीपार नई देखे तेन मन जय किसान काहत हे।उही खेती किसानी ल करतिस त अतिक बेरोजगारी काबर बाड़तीस।थोकिन पढ़ लिख लिस ताहन काहत हे 'हम बेरोजगार हैं हमको रोजगार दो'। जाने माने रोजगार कोनो आमा, अमली के रुख म फरे हे।अतिक जनसंख्या बर कोनो सरकार रोजगार नई दे सके। ये सब राजनीतिक हथकंडा आय। मतलब तहूं ह लल्लू राम पेपर- सेपर, समाचार देखथस पड़थस। देश म इही महंगाई, बेरोजगारी के सेती फिलिम मन करोड़ों कमात हे,अऊ टाकिज मन भक्कम भींड़ चलत हे।अतिक सुझबुझ वाले फिलिम ल फीरी म काबर नी देखाय भईया?ए महंगाई के असर ह विश्व कप मघलो देखे बर मिलही भईया स्टेडियम उन्ना उन्ना दिखही।

एक ठन डयलाग महूं सुनात हों भईया "हम वो डांन है जो जेल जाने से पहले चश्मदीदों को मिट्टी में मिला देते हैं और ये इंसाफ पैसों वालों के यहां मुजरा करती है।

           लल्लू राम कहिथे एक ठन बात बतांव फेर मोला सरम घलो लागथे, एक झन हिरो ह टमाटर ल बड़ महंगा हे काहत राहय।ए महंगाई ह टमाटर,पियाज, गैस ऊपर काबर भारी पड़थे।इंकरो बड़ ताकत हे भईया ये मन सरकार ल हिला तको देथे,अऊ सरकार ल गिरा तको देथे।कतरो झन अईसे गोठियाथे जानें माने एक किलो टमाटर ल एके साग म डारही। भले सौ दू सौ के मंद ल अकेल्ला उरकाही।मे गुनथव भईया जेन दिन किसान मन सड़क म फेंकथे त ये महंगाई के रोवईया मन सड़क ले बिन के रांधही का? एक ठन डयलाग अऊ मारत हों भईया"अपना ये टमाटर सम्हाल के रखना सस्ता होने पर चटनी बनाने के काम आयेगा"।

                     फकीर प्रसाद साहू

                       सुरगी राजनांदगांव

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