Wednesday, 20 March 2024

नारी सशक्तिकरण बर मील के पथरा बनही : गोदावरी*

 *नारी सशक्तिकरण बर मील के पथरा बनही :  गोदावरी*

          छत्तीसगढ़ धन-धान्य ले भरे-पूरे राज आय। अपन संस्कृति अउ लोक-परम्परा के संग खनिज-संपदा के मामला म हमर छत्तीसगढ़ राज कतको राज मन ले आगू हे। अमीर प्रदेश के गरीब जनता के विडंबना आय कि उन मन शिक्षा ल बरोबर महत्व नइ दॅंय। शिक्षा के अभाव ले आने प्रदेश ले आये मनखे मन इहाॅं राज करे धर लिन। पाछू कुछ बछर म लोगन के चेत शिक्षा बर गे हे। खासकर के नारी शिक्षा बर। मोला अपन प्रायमरी स्कूल के दिन सुरता आवत हे, तब प्रभात फेरी म निकलन त एक ठन नारा 'नारी पढ़ेगी, विकास गढ़ेगी' खूब लगाय हन। जेन आज सोला आना सच साबित होवत हे। जेकर आरो डॉ शैल चंद्रा के लिखे उपन्यास 'गोदावरी' म घलव हे।

      बुधारू तोला ऐतराज नइ होवे त तोर बड़का बेटी माधुरी ल अपन गाॅंव ले जावॅंव का? माधुरी मोरे तिर म रही के पढ़ही-लिखही। तेंहा तो बेटी मन घलोक पढ़ात नी हस। पृ. 25

         इहें यहू पढ़के बने लागिस कि लागमानी मन म मया दुलार बचे हावय। अड़चन के बेरा म साहमत बर आगू आथे। अइसने ले ही रिश्ता अउ लागमानी म मया बाॅंचे रहिथे।

         डॉ शैल चंद्रा खुदे पढ़े-लिखे विदुषी नारी आय। जेन सरकारी हायर सेकेण्डरी स्कूल म प्राचार्य हें। छत्तीसगढ़ के साहित्य अगास के चमकत बड़का तारा ऑंय। हिंदी लघुकथा लेखन म उॅंकर राष्ट्रीय पहिचान हे। लघुकथा जेन लघुता अउ मारक क्षमता बर साहित्य म पहचाने जाथे, वो उॅंकर लघुकथा म देखे जा सकथे। उन लघुकथा के अलावा कविता अउ कहानी लिखथव। उॅंकर रचना मन के प्रसारण आकाशवाणी रायपुर ले सरलग होवत रहिथे। हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी म डॉ शैल चंद्रा के लिखे नौ किताब छप चुके हें। 

        समीक्षित ए किताब 'गोदावरी' उपन्यास विधा के किताब आय। जौन ल किताब के भीतर शीर्षक पन्ना म लघु उपन्यास लिखे गे हे। लघुकथा जे साहित्य म कथा(कहानी) ले अलग एक विधा आय। वइसन लघु उपन्यास नाव के कोनो विधा नी होय। इहाॅं लघु शब्द उपन्यास के आकार बर बउरे गे शब्द आय। डॉ शैल चंद्रा 'गोदावरी' म नारी के संघर्ष अउ सामाजिक मान्यता (मानता) के द्वंद्व ल रखत एक स्त्री के सम्मान ल स्थापित करे के पुरजोर कोशिश करे हे। समाज बर संदेश भी हे कि नारी अपन संकल्प ले हर मुकाम पा सकथे। उन ल कमती नी ऑंकना चाही। उॅंकर रद्दा के बाधा नी बनना चाही। बढ़ावा देना चाही।

         डॉ शैल चंद्रा समाज के जम्मो सोच ल अपन छोटे से उपन्यास म माला के मोती बरोबर पिरोय के सुग्घर प्रयास करे हे। समाज के पूरा मनोविज्ञान उपन्यास म लक्षित होवत हे। छत्तीसगढ़ म प्रेम मया करइया मन उढ़रिया भाग कइसे जिनगी जीथे। मया के रद्दा म का बाधा आथे? अउ दू मयारुक कइसे ढंग ले जिनगी गुजारथें। उपन्यास म मया के संयोग अउ वियोग दूनो के सुग्घर समन्वय सराहे के लाइक हे। गोदावरी अउ सागर के मया ल जेन उॅंचास दे गे हे, वो आदर्श ए। मया लुटाना जानथे। फिल्मी दुनिया ले हट के ए आदर्श गढ़ई डॉ शैल चंद्रा के कल्पनाशीलता के कमाल आय।

         २००७ म नारी विमर्श के एक अउ उपन्यास आय रहिस 'बनके चॅंदैनी'। जे सुधा वर्मा जी के कृति आय। एमा नारी के पीरा, द्वंद्व, अउ वत्सलता के संग मया म धोखा अउ छलावा ले जिनगी के समाय हे। आज समय बदल गे हे। बदले बेरा म नारी अबला नइ रहिगे हे। अब नारी सशक्तिकरण के जुग आय। इही नारी सशक्तिकरण के बीड़ा ल आगू बढ़ाय म 'गोदावरी' मील के पथरा साबित होही।

         साहित्य समाज के दर्पण कहाथे त समाज बर अपन उपादेयता ले कहाथे। समाज के बने अउ घिनहा दूनो किसिम के बात ल सरेखत समाज उत्थान बर जेन संदेश साहित्य देथे। उही ल समाज हाथों-हाथ लेथे। साहित्य अपन समय के समाज के रीत-रिवाज, मानता, भेदभाव, कुरीति अउ प्रथा (कु), जम्मो प्रकार के विसंगति ऊपर प्रहार करथे त सहराय के लाइक गोठ ल सहराथे।

       बालविवाह, दहेज, बेटा-बेटी म भेद, सामाजिक विद्रुपता जइसन सामाजिक बुराई मन ल उपन्यास म छुए के साथ समाज ले दुरिहाय के उदिम हे। उहें विधवा के विवाह कराके एकाकी जीवन के विडंबना अउ त्रासदी ले नारी ल उबारे के सुग्घर जतन समाज ल नवा दिशा दिही। नान्हे उमर म विधवा होय पाछू जिनगी कइसे नरक सहीं हो जाथे अउ एक-एक पल कइसे जुग बरोबर लागथे। एकर मर्मस्पर्शी चित्रण के संग समाज ऊपर तंज कसे म डॉ शैल चंद्रा के लेखनी कहू मेर कसर नी छोड़े हे। नारी ल सम्मान के संग जिऍं बर नारी च ले लड़े ल परथे। उहें ए उपन्यास म भारतीय नारी के संस्कार अउ कर्तव्य परायण ल बढ़िया ढंग ले उकेरे गे हे।

      'नहीं सागर! तोर से अब मैंहा सात जनम का अब चौदह जनम तक नी मिल सकौं। काबर कि मेंहा जेकर संग सात भांवर लेहॅंव, जनम जनम ओकरे रहिहॅंव...जनम जनम के साथ निभाहूॅं। सागर तोर मोर बस अतकेच के संग रहिस हे।'  पृ 53

       छत्तीसगढ़ के माटी के ममहासी अउ लोक परम्परा ल जीवंत रखे अउ नवा पीढ़ी तक हस्तांतरित करे म ए उपन्यास के योगदान सराहे जाही। मितानी परम्परा, तीजा-पोरा, जंवारा, उपास-धास के संग इहाॅं के संस्कृति के महत्तम ल सरेखना उपन्यास के एक खासियत हे। 

       माधुरी के कचहरी म नौकरी लगई ह अतका आसान नोहय , जतका बताय गे हे। आज कोनो भी नौकरी लगना अतका आसान नइ हे। इहाॅं भ्रष्टाचार ल बढ़ावा दे के बू आवत हे। हो सकत हे मोर समझ उहाॅं तक नी जा पावत हे, जेकर कल्पना लेखिका करे हें। 

      गोदावरी ह माधुरी ल क्लर्क बर कचहरी म नौकरी लगा दिस....पृ48

        उपन्यास अपन संग कतको उपकथानक लेके आघू बढ़थे। सबो उपकथानक के तार अइसे जुरे रहिथे कि पाठक ओमा बुड़ के एक गंगा स्नान के आनंद के अनुभूति करथे। डॉ शैल चंद्रा के लेखकीय अनुभव अतेक हे कि ओ ए उपकथानक मन ल थोरिक विस्तार देके उपन्यास ल अउ पठनीय बना सकत रहिन हे। कुछ अउ समय ले के उपन्यास के धार (उपन्यास के प्रकृति अनुरूप गति/प्रवाह) ल चिन के ठहराव देवत आघू बढ़ाना रहिस। जेकर ले मिठास बाढ़बे करतिस अउ एक सशक्त कथानक संग सशक्त उपन्यास हमर हाथ लगतिस। यहू बात हे कि हर लेखक के अपन एक सोंच अउ कल्पना होथे कि कोन रचना ल कइसे अउ कतका विस्तार देना हे। एकर अधिकार भी उन ल हे।

       मोला ए उपन्यास के भीतर वर्ण 'श' ल बउरे ले बाॅंचे के सायास उदिम करे गे हे लगिस।  सोभा, परेसानी, सहर, जबकि  लेखिका के नाॅंव म घलव 'श' आथे अउ शंकर बस ल सही लिखे गे हे। प्रूफ रीडिंग के अभाव म कुछ-कुछ वर्तनी त्रुटि हे, जौन ल अवइया संस्करण म सुधार लिए जाही एकर मोला पूरा भरोसा हे।

       किताब के मुख पृष्ठ आकर्षक हे, जेन उपन्यास के कथानक ल सपोर्ट करथे। एक कोति मयारुक मन के अगाध मया ल मान दे हे, त दूसर कोति दृढ़ संकल्पित नारी के उड़ान (सपना) ल घलव संजोए दिखत हे। कागज के क्वालिटी अउ छपाई स्तरीय हे।

       नारी संघर्ष के कथानक ले सुसज्जित नारी सशक्तिकरण ल बढ़ावा देत सुग्घर उपन्यास जेन म मया के पवित्रता ल नवा उॅंचास दे हे। अइसन सुग्घर उपन्यास के लेखन बर डॉ. शैल चंद्रा जी ल गाड़ा-गाड़ा बधाई !

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किताब - गोदावरी

लेखक - डॉ शैल चंद्रा

प्रकाशक - बुक्स क्लिनिक पब्लिशिंग बिलासपुर

प्रकाशन वर्ष - 2023

कॉपीराइट - लेखकाधीन

मूल्य- 150/-

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पोखन लाल जायसवाल

पठारीडीह, पलारी

जिला - बलौदाबाजार भाटापारा छग .

मोबा. - 6261822466

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