व्यंग्य
नानकून मन बर
लद्दी म सपटे सांप
स्कूल ले भाग गे मेचका मारे ल जावैय्या छेदी राम के फोटो बड़े बड़े फ्लैक्स म चिपके देख़ के मोला बहुत ख़ुशी होइस l ख़ुशी एकर सेती कि मैं ओला पढ़ाके निकाले हव l
पढ़ाई म होशियार भले नई रहिस मेचका मारे के प्रतिभा अउ कला ओकऱ पास रहिस l
कक्षा ले अतेक भगय दूसर लइका मन ओला गुरू मानय l
शिकायत मिले त बाल प्रतिभा के सर्टिफिकेट ल देखावन l हमर स्कूल के होनहार हे आघू अपन नाम कमाही l
हम भले लद्दी म बुड़े रहेन किन्तु इन्हे ले निकले मेचका मार छेदी राम के नाम सुनके हम गौरवान्वित होवत हन l
अपन क्षमता ले योग्यता ले पार्टी के बड़े पद ला पाइस l
पकड़ाए मेचका मन जियत मरत बहुत असीस दे रहिस होही l
ओकर पुन्य प्रताप ए ओकऱ नाम के पाछू हमू ल छीटा मिलगे l
छेदी राम ल कोन पढ़ाये हे l लतिया के हबर हबर आघू आके हाथ उठाके जोर से चिल्लाके कहव - मैं पढ़ाये हँव l
अउ कोनो मत आघूवाय झन l गणित वाले गुरूजी के गणित काम नई आइस l मुँह ओरमांए हे l
हम हिंदी वाले अर्थ ला अनर्थ अउ अनर्थ ला अर्थ देये के पुर जोर कोसिस करवं l
मेचका नई मारत रहिस हे मोर शिष्य छेदी राम ह l अरे लद्दी म सांप सपटे रहय l उहू जहरीला l बगियाये सांप निकल के आतिस त कतकों लइका के इंतकाल हो जतिस l सबके परान बचाये हे l
इही दलील म ओकऱ दरिया दिल नेकी के सर्टिफिकेटम ऊंचहा मैनखे बने हे l
जलकुकड़ा मन मोला लद्दी के सांप कहिथे l
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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