*विषय : प्राथमिक शाला के कक्षा मन मा छत्तीसगढ़ी भाषा के पाठ्यक्रम मोर विचार मा अइसे होना चाही.....*
छत्तीसगढ़ राज बने के बाद छत्तीसगढ़ी भाषा के बढ़वार बर सरलग थोड़ बहुत काम होय हवे।चाहे हिंदी के पाठ्यक्रम म छत्तीसगढ़ी के पाठ मन ल राखे बात होय या विश्वविद्यालय मन म नवा विषय के रूप म एम ए के बात ।फेर अतकी उदिम ह छत्तीसगढ़ी ल सिरतो म सही मान दे बर काफी नई हे।
प्राथमिक शाला के कक्षा में म छत्तीसगढ़ी के पाठ्यक्रम के रूप कइसे हो येमा सिरतोन बड़ सोच विचार अउ चिंतन करे ल परही। भाषा के विद्वान मन मानथे कि लइका के मानसिक विकास 6 साल के उमर म बहुत हो जाय रथे।अउ जब वो स्कूल आथे त अपन संग अपन घर दुवार ,समाज अउ गली खोर के कतको अनुभव अउ ज्ञान ल अपन भाखा म संग लाथे।अइसन म दूसर भाषा के शिक्षा माध्यम होय ले वोकर बर सब नवा हो जाथे ।त मोर मानना हवय लइका के मन स्तर के हिसाब ले उकर घर परिवार,खेल,खेलौना,हाट बाजार ल जोड़त,थोर थोर सीखे के क्रम ल आगू बढ़ावन जेन मनभावन चित्र अउ रंग के दुनिया म उकर सोच बिचार अउ कल्पंना ल आगू ले के जाय।इही ढंग ले आसपास के जीव जिनावर,रुख राई, लोकगीत,कथा ,कन्थली मन ले उकर कल्पना ल विस्तार देवन। आगू के कक्षा में म हमर राज के परब,संस्कृति,साहित्य, महापुरुष अउ नवा जमाना के सन्देश देवत ज्ञान विज्ञान ल उकर भाषा म सरल अउ सहज ढंग ले रखन।
हमर भाखा के पाठ्यक्रम के स्वरूप ह अइसन होना चाही जेन हमर कला अउ संस्कृति ले दुरिहात नवा पीढ़ी ल अपन डहर खिंच सके।हमर रीत अउ परब के वर्णन म हमला उकर वैज्ञानिकता के भाव ल घला शामिल करें ल परही नही ते हमर परम्परा ह नवा पीढ़ी बर रूढ़ि ही रही जहि।
साहित्यकार मन के लइका के मन ल छुवत हमर पुरखा अउ नवा साहित्यकार मन के साँझर मिझर कलम जेन ओमन ल हमर संस्कृति के पहिचान कराए अउ बढ़त प्रतियोगिता के बेरा म सबके बीच बने रहे म मदद करे अइसन कदम ह छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम के रूप म आना चाही।
मोर बिचार ले अइसन रूप म कोनो उदिम होही त जरूर अंग्रेजी के दौर म छत्तीसगढ़ी के शुरुआत ल जेन मन थोरिक कम जोर आँकत हवे तेन मन के बिचार ह हमर भाखा अउ संस्कृति डहर लहुट ही अउ हमर नवा पीढ़ी हमर रीत परब अउ संस्कृति ल संग लेवत आगू डहर बढही।
🙏
द्रोणकुमार सार्वा
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