Friday, 15 September 2023

मुँहु चिक्कन खबड़ा के

 मुँहु चिक्कन खबड़ा के 


               बात द्वापर युग के आय । जब कंस के अत्याचार ले जनता ला मुक्ति देवाये बर भगवान कृष्ण ला धरती म आय ला परिस । भगवान हा धरती म अवतरिस ते समे जनता हा कंस अऊ ओकर दरबारी के अत्याचार ले त्राहि त्राहि करत रिहिन । 

               नंद गाँव म घरों घर गाय बइला रहय । तेकर सेती दूध दही के कमी नइ रिहिस । फेर कंस के मनखे मन दूध दही तको म टेक्स लगा दे रहय । घर के दूध दही माखन ला घर के लोग लइका मन नइ खा सकय । लइका लोग मन सऊँख तो करय फेर उँकर बर बाँचबेच नइ करय ।  उत्पादन के आधा हा सरकार के हो जाय .. एक चौथाई ला  ओकर मनखे मन लेग जाय अऊ बाँचे एक चौथाई म घर के खर्चा चलना रहय । घर म बाँचे एक चौथाई के कुछ भाग ला मथुरा म बेंचे बर ... गाँव के मई लोगिन मन ... बिहिनिया ले हँड़िया म धरके निकलय । घर के लोग लइका मन लुहुर टुपुर करत रहि जाय अऊ माँगे म चिटिक अकन मिलय । बपरा मन के सऊँख पूरा नइ हो पाय । 

               भगवान कृष्ण हा अपन बाल सखा मन के दुर्दशा ला देखिस त ओला अच्छा नइ लागिस । भगवान हा अपन घर म छकल बकल खा डरय फेर ओकर संगवारी मन के पेट चेपटा के चेपटा ... । ओला उपाय सूझिस । ओहा जम्मो सखा मन ला सकेल के अपन सोंचे उपाय बतइस । बाल सखा मन अपनेच घर म चोराय बर तैयार नइ होइन .. फेर भगवान हा ओमन ला मना थोपा डरिस । भगवान किहिस – जेकर घर ले चोराबो .. ओकरे घर के लइका हा सबो ले जादा खाही । ग्वाल बाल मन मान गिन । 

               धीरे धीरे चोरी के बुता शुरू होइस । सबो बाल ग्वाल के पेट भरे लगिस । भगवान ला संतोष होय लगिस । कुछ दिन म ग्वालिन मनला पता चलगे के भगवान कृष्ण हा माखन चोर आय ... पहिली तो कोन्हो ला विश्वास नइ होइस फेर ओमन अपन आँखी ले देखिन तब पता चलिस । माता यशोदा ला बतइन ... माता हाँस दय अऊ कहय के एहा तुँहर भ्रम आय । हमर घर खाय के कमी थोरेन हे तेमा ... कृष्ण ला तुँहर घर चोराये बर परही । ग्वालिन मन मुँहु लटका के आ जाँय । भगवान ला माखन चोरावत रंगे हाथ पकड़े के योजना बनइन ग्वालिन मन । 

               एक दिन ... सपड़ागे ।  बाल सखा मन ला उहाँ ले भगा दिस अऊ भगवान खुद पकड़ागे । भगवान के मुँहु भर माखन छबड़ाय रहय । भगवान किथे – अब जान तो डरे हव .. मेहा खाये हँव तेला ..  जे सजा देना हे तेला दे डरव । ग्वालिन मन किथे – चोट्टा ... चोरा के यहा यहा माखन ला खाथस .. तोर दाई ला बताबे ते ओहा विश्वास नइ करय .. आज रंगे हाथ पकड़ाये हस .. । तोर महतारी तिर लेगबो .. हमन ला फोकट फोकट मोर बेटा उपर इल्जाम लगाथव कहिके ... गारी बखाना करथे । भगवान हा माखन चोराये के सजा उही तिर देहे बर बहुत किलौली करिस ... फेर ग्वालिन मन नइ मालिस । ओला आज महतारी के हाथ मार खवाना रिहिस । ओमन हा ओला धरके लेगे लगिन । 

               घर के बाहिर निकले के पहिली भगवान किथे – मोला शरम लागत हे । अइसने धरके लेगहू त चार झन अऊ मनखे मन जान जहि .. मोर दाई बाबू के बदनामी हो जहि । ग्वालिन मन किहिन – चोराये के बेर तो शरम मरम नइ लागय .. अब धरागे हस त शरम के बात करत हस .. आज पूरा नंद गाँव जान जहि के तिंही माखन चोर आस । दू कदम चले के पाछू ... भगवान किथे – मोर बाबू के मनखे मन .. गली गली मोला बांधके लेगत देख लिही तहन ... तुँहर उपर भड़क जहि अऊ मोला छोंड़ाके लेग जहि । ग्वालिन मन मने मन सोंचिन .. सही कहत हे । भगवान किथे – मोला तोप के लेगव .. कोन्हो ला पता नइ लगहि । ग्वालिन मन मान गिन अऊ एक ठन चद्दर म घुम घुम ले तोप दिन । चार कदम नइ चले रिहिस भगवान फेर खड़े होगे । ग्वालिन मन किथे अब काय होगे ... भगवान किथे – एकदमेच घुम घुम ले मोला तोप दे हव .. काँही दिखत नइये .. रेंगे म ठोठकासी लागत हे । एक ठन लउठी धरा देतेव ते बने होतिस । जेकर घर चोरी होय रहय .. तेकर घर के ठेठवार के लउठी ला ले आनिन अऊ धरा दिन । भगवान ला ग्वालिन मन पूछिन – अऊ कुछु चाहि का .. । भगवान हा मुड़ी हलावत नहि के संकेत दिस । 

               ग्वालिन मन यशोदा उपर खीज निकाले के येकर ले अच्छा मौका नइ मिलय सोंचत .. ओला का का बोलना हे तेकर योजना बनावत ओकर घर पहुँच गिन । जाते भार यशोदा उपर भड़क गिन । यशोदा किथे – मोर लल्ला अइसन करेच नइ सकय .. तूमन लबारी मारत हव । ग्वालिन मन ला इही बात के अगोरा रिहिस ... ओमन भगवान ला आघू म लानके खड़ा कर दिन अऊ यशोदा ला किथे – ले उघार के तिंही देख .. आज रंगे हाथ पकड़ाये हे ... चोरी करत .. भागे नइ सकिस ... बांध के लाने हन । यशोदा हा तुरते आगू अइस अऊ ओकर मुड़ ले चद्दर ला फेंकिस ... जम्मो झन अवाक रहि गिन । जे ग्वालिन घर चोरी होय रहय .. तेकरे घरवाला हा लउठी धरे मुड़ी गड़ियाये खड़े रहय । काटो तो लहू निही ... जम्मो के बुध पतरागे । कलेचुप अपन असन मुँहु करे निकल गिन । 

               गाँव भर इही हल्ला रहय के कृष्ण हा कोन्हो अवतारी पुरूष आय ... ग्वालिन मन अपन संग होवत करनी ला देखय ... तेकर सेती ... विश्वास नइ करय । ओमन ए पइत फेर ... कान्हा ला माखन चोरावत .. रंगे हाथ पकड़े के जुगत जमा डरिन । चार दिन म ... कान्हा फेर पकड़ागे । भगवान के मुँहु भर माखन छड़बड़ाय रहय । ये पइत बिगन तोपे लेगे के योजना बनिस । कान्हा हा तोप के लेगे के फेर किलौली करिस ... ग्वालिन मन ओकर बात म नइ अइन । भगवान हा फेर किहिस – मोर बाबू के मनखे मन देख लिही तब .. । ग्वालिन मन ओकरो ले निपट लेबो अइसे कहि दिन । चार कदम रेंगे नी पइन ... नंद बाबा के आदमी दिख गिस । भगवान ला लुकाय बर .. एक झन ग्वालिन हा भगवान के मुँहु म अपन मुँहु ला जोर लिस । घर के पहुँचत ले अइसे कोन्हो ग्वालिन नइ बँचिस जेकर मुँहु म मुँहु नइ जोरइस होही । परछी म मइया संग भेंट होगे । सब झन कलल कलल करे लगिन । मइया ला किहिन – बने देख येकर मुँहु ला ... तोर बेटा आय के निही ... खाहे तेहा मुँहु भर छबड़ाये हे । यशोदा मइया हाँसिस – बेटा तो मोरे आय .... फेर ओहा खाये कहाँ हे .... खवइया के मुँहु अइसने चिक्कन रहिथे का ... । तूमन अपन अपन मुँहु ला देखव .. तुँहरे मन के मुँहु म माखन छबड़ाय हे ... ।  जम्मो झन कान्हा ला देखत अपन अपन मुँहु ला टमड़िन ... कान्हा के मुँहु सहींच म चिक्कन रहय अऊ जम्मो ग्वालिन के मुँहु छड़बड़ाय रहय .. । भगवान के लीला के कथा हा उही दिन ले हाना के रूप धरके ... हमर मन तक आजो चलत हे – मुँहु चिक्कन खबड़ा के .... । 

हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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