हरियर आदेश म गुलाझाॅंझरी
(महेंद्र बघेल)
विकास के ढुलत चक्का मा फॅंसे खटर-खटर नामक आशीर्वाद ले चातर राज म रूख राई ह पहिलीच ले चतरागेहे।ले देके बाॅंचे रूख राई के ठुड़गा मन म फूटे फूटू मन ह अपन प्रकृति प्रेम के प्रमाण पत्र सौंपे के आखिरी कोशिश म विकास के प्लास्टिक युग के फसल म अपन नसल ल बरबाद होवत देखत हे।अउ जंगल राज के बाते झन पूछ विकास बर चिक्कन-चिक्कन सड़क बनाय के नाम म जंगल ह चिक्कन होवत हे। हमर धरती के करिया सोन्ना (कोयला) ल अपन कोठी म भरे बर गोटारन ऑंखी वाले नंबरदार मन सरकार के खाॅंध म चघके करोड़ों नग रूख राई के पूजवन देवत हे। जंगल के सवाॅंस नली ल पंचर करके धीरे-धीरे जंगलिहा मन ला आइसोलेशन म खुसेर के हाथ के सफाई ले कोयला के कमाई तक के स्मार्ट योजना चलाय जात हे। मने जंगल म डोंगरी पहाड़ ल फोर के रटाटोर बिनाश के गरभ म ललमुहा मन ला लाल बनाय बर करिया कारीडोर के करकराती एंट्री...।जंगल के धड़ाधड़ उजाड़ ल देखके पर्यावरण ल खुदे सौ डिग्री के बुखार धर लेहे, ओकर चेत-बुध हरा गेहे।इहाॅं उलट आदमी के पुलट खोपड़ी कस सब अंते-तंते हे अउ सुलट के सूचकांक ह दिन-रात टिपुल म चढ़त हे। हाल-चाल ल का कहिबे.., हाल के देखे चाल खराब, चाल के मारे सबके बारा हाल हे।मड़िया- कोदो ल राॅंधे बर नदी -नरवा के पानी सुखागे, लगार के करार ल श्रद्धांजलि देवत जम्मो चोरहन गढ़ागे। ॲंधना के अगोरा म लाॅंघन कनोजी ह मुॅंहुॅं फार के देखत हे..., बइरी ह कब सनसनइही तब धोवन चॅंउर ल ओइरहूॅं। फेर ॲंधना अही तब.., अरे वो बपरी ॲंधना के 'अ','ध' अउ 'न' ल तो नंबरदार ह कब के नजरा देहे।विकास के एकसस्सूॅं बड़ोरा म घर-दुवार के खदर छानी ह उड़ावत हे , खइरपा ह एती-ओती फेकावत हे। जंगल भीतरी खड़दंग -खड़दंग के अवाज म कोलिहा-हुर्रा, बघवा- चितवा के टोंटा सुखा गेहे।तेंदू-चार ल फोले बर सुआ-मैना के चोंच ह भोथवा होगेहे।पेज-पसिया के सादा रंग ल का कहिबे झिरिया के पानी ह ललहू होगे हे।
जिनगी भर जेन एक ठन पेड़ नइ लगा सकिन उनकर आलीशान घर म लकड़ी के कुंदवा-कुंदवा अलमारी अउ फर्नीचर के भरमार हे।ओ दिन दूरिहा नइहे जब जंगल म बसे आदिवासी मन बर एक ठन बहेंगा अउ तुतारी लउठी ह नोहर हो जही।सभ्यता अउ संस्कार के चोला पहिरके माडर्न विधाता मन जंगल के साजा-सइगोना ल पहिलीच ले चीथ डरिन। अब इनकर नजर ह धरती के गरभ म छुपे खजाना उपर अटक गेहे।अपन सुवारथ के खातिर येमन बड़े -बड़े पहाड़ ल ओदारके अउ जंगल-झाड़ी के नरी मुरकेटके सुवारथ के चाकर-चाकर रस्ता बनावत अपन किस्मत के सींग दरवाजा खोल डरिन। अउ उपराहा म नदिया-पहाड़ी ल जबरन टोर-फोर के प्रकृति संग दगाबाजी करत हें।
हरियर-हरियर रूख राई, मेड़-पार, बारी -बखरी, खेत-खार ल देखके मनखे ते मनखे माल-मवेशी मनके मन ह घलव हरिया जथे।जइसे पानी के सिंगार ह ओकर फरियर होय म हे वइसे रूख राई के पाना -पतउव्हा बर हरियर रंग हा ओकर सिंगार होथे।हमर बर सहुॅंराय के बात आय कि ये प्रकृति के परसादे खाय -पीये के सरी जिनिस ह रूख राई ले मिलथे।मनखे ला जिनगी के सुवाॅंसा ले लेके रोटी कपड़ा अउ मकान सबे बर तो रूख राई के आसरा रहिथे।येकर बिना जिनगी ह अबिरथा हे। फेर मनखे मन ह अपन सुवारथ के खातिर हरियर-हरियर रूख राई ल काट- काटके पर्यावरण के दुरगति कर डरे हे।मन मा तो कई ठन सवाल उठथे कि महतारी बरोबर ये रूख राई ल कोन ह अउ काबर काटत होही। का रूख राई ल काटे बिना देश के विकास ह रूक जही, देश मा भूखमरी आ जही या कि बेपारी मन कंगला हो जही। पर्यावरण के खराब तबियत ल देखके आपमन समझ सकथो कि सवाल हा कतना वाजिब हे फेर आखिर मा ये उठत सवाल ल मने मा दबाके रखना पड़ जथे। जब एको सदन म उठे सवाल के कन्हो ढंग के जुवाब नइ मिल पाय तब जनता ल अपन सवाल के भ्रूणहत्या करे म भलई दिखथे।
एती दिन लट्ठाती देख साल भर ले अजगर कस सुते वनविभाग अउ पर्यावरण विभाग के आफिस के जम्मो होनहार किरदार मन विश्व पर्यावरण दिवस के पूर्व संध्या के बेरा म अटियावत- सलमलावत नींद ले जागथें अउ जम्हावत- कसमसावत उठथें।फेर केचकेचहा लोहाटी अलमारी म धुर्रा खावत परे हरियर देश बनाय वाले हरियर आदेश के दिन ह बहुर जथे। तहाॅं उत्ता-धुर्रा राष्ट्रीय धरम निभावत ये सरकारी हरियर आदेश ह सबो विभाग के फाइल म बुलेट ट्रेन के रफ्तार म ॲंखमुंदा दॅंउड़ना शुरू कर देथे।आदेश ल पाते साट सबो विभाग के मुखिया मन सावचेत हो जथें। धरती ल हरियर बनाय बर जे-जे आफिस म हरिहर बजट के आमद होथे उहाॅं के मुखिया मन हरियर मद ल देखके मदमस्त होय म जादा देरी नइ लगाय। मंत्रालय वाले कर्मचारी मन के आवासीय मोहल्ला के एक झन हरियर मद के कद उपर शोध करइया अउ ये विषय के भुईंफोर जानकार ले होय खुसुर-फुसुर गोठबात के मुताबिक सरी जानकारी ह अंडरलाइन करे के लइक हे। ओमन बताथें कि हरियर मद के आमद होते साट ये बाबू-साहेब मन के अंतस म उमंग के पीकी फूट जथे अउ सोच के डारा-जकना म उम्मीद के उलव्हा-उलव्हा पाना पतउव्हा जामना शुरू हो जथे।बजट के चरचा अउ खरचा के योजना बनावत कते साहेब के भला लार ह नइ टपकत होही। विश्व गुरु बने के सपना संजोए हमर देश के आफिस मन म लरहा बाबू -साहेब मन के कन्हो कमी हे का।
येला हरियर मद कहव चाहे हरियर फंड येकर फंडा ल समझे बर थोकिन फंडामेंटल नियम-धियम ल जानना घलव जरूरी होथे।विश्व पर्यावरण दिवस मनाय खातिर वन विभाग के कर्ता-धर्ता मन तय तिथि के आगू दिन एक ठन बैठका सकेलिन।जेमा वनविभाग के जम्मो अधिकारी -कर्मचारी, पंच-पार्षद , महिला समूह अउ मुहल्ला के पुचपुचहा टाइप के नेता मन ल घलव नेवता पठोय गिस। फंड म खारा- मीठा लाय के लिखित आदेश ह गाढ़ा अक्षर म फदफद ले लिखायच रहिस हे तेकर सेती टेंशन के कोई बाते नइ रहिस।अइसे भी जेन काम म हरियर होय के गुंजाइश रहिथे ओमे साहेब -सुभा मन बनेच चेतलगहा भिड़के काम ल सिरजाय के उदीम करथें। तभे तो जगा-जगा म सरकार अउ समाज सेवी संस्था मन डहर ले पौधारोपण के कार्यक्रम चलाय जाथे।नरसरी ले पौधा लाय बर पाॅंच छे झन मनखे संग गाड़ी के वेवस्था अउ उनकर पेट्रोल पानी के वेवस्था ल हर हाल म करना परथे।उही शोधार्थी ह फंड जारी होय के किस्सा ल आगू बतावत कहिस.., पौधारोपण कार्यक्रम के खातिर हरिहर प्रदेश बनाय के योजना बर बजट जारी करइया वित्त विभाग के सबले बड़े साहेब ह.., अपन राष्ट्रीय जुम्मेदारी के सुरता करत सबले पहिली सबो जिला के फंड म खुद ल हरियर रखे के सुग्घर जतन कर लेथे..। तेकर सेती कुनुन-मुनुन करे बिना अपन ह कलेचुप कतको ल जतन देथे..। बाबू-साहेब होय के ये सुग्घर संस्कार अउ सोज्झे अंदर करे के मुद्रा बेवहार ह बड़ सात्विक भाव ले बड़े आफिस ले छोटे आफिस म मिलखी मारत पहुॅंच जथे। फाइव जी अउ सिक्स जी के अमरित काल म यहू ह हमर देश के सशक्त संचार बेवस्था के एक ठन धाॅंसू उदाहरण आय।एनजीओ अउ समाज सेवी संस्था वाले मन पाॅंच जून के झाॅंझ चलत भरे मॅंझनिया म पौधारोपण करत अपन शक्ति प्रदर्शन करे के बूता म थोरको ढिलई नइ करॅंय।एक तरह ले हम कहि सकथन कि येमन विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर म नागरिक बोध के हरियर धरम निभाय के काम करथें। वो अलग बात आय कि घर लहुटती बेरा म वो पौधा ह ताते-तात हवा म खुदे उसनावत-अटियावत परलोक सिधार जथे। पौधा ह भुॅंजाय, उसनाय कि चूल्हा म जाय.., फोटू के खींचत ले ओला जिंदा रखना जादा जरूरी रहिथे।फेर तो वाट्सेप म ढिले अउ अखबार म छपे भर के देरी रहिथे, पौधारोपण के कार्यक्रम ह अमर तो होई जथे।
असाढ़ मा बरसा होय के पाछू हर साल सही यहू साल हरियर प्रदेश के हरियर आदेश ल विभाग -विभाग म शहर-शहर म अउ गांव- गांव म फेर दॅंउड़ाय गीस।जनता ल जागरूक करे बर सबो विभाग के संगे-संग पंचायत विभाग के सीईओ,सचिव, अध्यक्ष, सरपंच, अउ जम्मो पंच मन शहर अउ गांव म हरियर तिहार मनाइन। पौधारोपण कार्यक्रम बर जनता के बीच कुछ हटके करे के नवाचारी उदीम म पंचायत के सबे दीदी मन हरियरे रंग के लुगरा, बलउस, स्कार्फ, चूरी, टिकली- फूंदी नखपालिस अउ हरियर चप्पल पहिर के अइन। पंचायत के कका- भइया मन हरियर मनीला, पेंट, पटका ,पेन अउ बंगला पान दबा के अइन।हरियर पेंट लगे सब्बल अउ कुदारी म भुकूर-भुकूर गड्ढा खने गीस।पंचायत विभाग के जम्मो अधिकारी अउ पदाधिकारी मन गड्ढा के गोल भाॅंवर खड़े होके पौधारोपण करत हरियर क्रांतिवीर बने बर अपन फेस (थोथना) ल कैमरा डहर घुमाइन अउ एंगल बदल-बदल के फोटू खिचाइन अउ विडियो बनवाइन।फेर अपन हरियर फेस (स्मार्ट थोथना) ल फेसबुक, वाट्सेप अउ स्टेटस जइसन सोसल मीडिया म बुगबुगाय बर ढील दिन। देखते देखत समाज म बगरे नंबरदार अउ लरहामन के लाइक अउ शेयर करई म जम्मो मीडिया ल थोथनामय होवत देरी नइ लगिस।एती बपरी पौधा मन हरियर सुझे कस छे महीना ले हरियर-हरियर खुशी मनाइन तहाॅं माॅंग- फागुन म बेर के बैरी बरोबर घाम के आगू म मुॅंहुॅं -कान ल लोम दिन त एती आपदा म अवसर खोजत दियाॅंर समाज के जम्मो केन्द्रीय पदाधिकारी अउ क्षेत्रीय कार्यकर्ता मन बपरी हरियर पौधा मन ल ताजा माजा कस स्ट्रा लगाके चुहक डरिन।इहाॅं ले लेके उहाॅं तक के जम्मों जुम्मेदार मनखे मन पियास म बियाकुल छटपटात पौधा मन ल एक पसर पानी नइ पीया सकिन।आखिर हरियर प्रदेश के हरियर आदेश के किरपा ह इहीच कर तो अटकगे न..।अब तॅंय समोसा खवास चाहे फरा कुछ उद जलने वाला नइहे।
चमक-दमक के आगू म मनखे के सोच ह अतिक ॲंखरी होगे हे कि सुवारथ के रद्दा म रेंगे बर एक गोड़ म खड़े हो जथें।
पौधारोपण के नाम म हर साल करोड़ों रूपया के बजट पास होथे, ये अभियान ले धरती ह कतिक हरियर होथे येहा खोज के विषय आय फेर आफिस के फाफा-मिरगा मन ह खच्चित हरियर होई जथें।ये हरियर फाफा-मिरगा मन प्रकाश संश्लेषण करत अपन ओंड़ा म हराचार के पूंजी ल जमा करे बर चटकारा लगावत जनता -जनार्दन ल अभिजात्यक टूहूं घलव देखाथें।येहा गुलाझाॅंझरी नोहे त अउ का आय..।हरियर आदेश म गुलाझाॅंझरी वाले किस्सा के आखिरी हिस्सा के उद्यापन करत वो जजमान ह फेर बताइस..,कि सरकार के कई ठन योजना ल शपथ,नारा, रैली अउ वाट्सेप म शेयर करे के लिटमस टेस्ट से होके गुजारना घलव बहुत जरूरी रहिथे।जेकर जुम्मेदारी बर एक ठन गऊ बरोबर बड़ भागमानी संस्था देश के ओन्टा-कोन्टा म हवय। सचमुच म येकर नाम ल तो पाठशाला के जगा गऊशाला होना चाही।अइसे भी पाठशाला ह आधा पाकशाला तो बनिच गेहे।लरहा नंबरदार मन के हरियर सियाही म नहा-धोके हरियर आदेश ह जइसे पाठशाला म अमरथे।फेर शुरू हो जथे शपथ,नारा,रैली, क्वीज, निबंध अउ रंगोली प्रतियोगिता।येहा आज नहीं कई साल ले होवत आत हे।देश ल हरियर राखे बर लइका मन शपथ लेथें। इही मेके कतको लइका मन जब नेता अउ बाबू-साहेब बनथे तब धरती ल हरियर करे के जगा खुद ल हरियर करे म लग जथें।मने अपन शपथ लेय वाले पथ ल बदल देथें।शपथ लेवई अउ पथ बदलई के खेल म हरियर धरती के सपना ह लथफत हो जथे।
अब बता.. काकर मानी पीबे! आखिर यहू लरहा नंबरदार मन ह कभू लइका तो रहिन होही का..?सरकार ह देश-प्रदेश म हरियर योजना ल अमलीजामा पहिराय बर का-का जतन नइ करय फेर आफिस म बइठे डिग्री धारी बोरर मन सरी योजना ल पइजामा पहिराय म लग जथें।जनता मन वो दिन ल कइसे बिसरा सकथें जब आक्सीजन के कमी ले जिनगी ह त्राहि-त्राहिमाम करत रहिस। अमीर-गरीब, लइका- जवान अउ सियान कन्हो मन येकर बड़ोरा ले नइ बच सके रहिन। हवा के जहर- महुरा होय के सेती अवइया दिन- बादर म अइसने बड़े जान अलहन आय के अंदेशा ह अभी टरे नइहे। तब लगथे कि धरती म जतका पेड़ -पौधा अभी जिंदा हे सबले पहिली उही ल बचाय के उदीम करत पर्यावरण ल हरा-भरा करे जाय। कुलमिलाके जनता ल जागरूक करे बर अउ फाफा-मिरगा, बोरर जइसे खतरनाक परजीवी मन ले समाज ल फरिहर करे बर हरियर तिहार के संगे-संग एक ठन फरिहर तिहार मनाना जरूरी हे।
महेंद्र बघेल डोंगरगांव
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