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इंद्रावती के बेटी: छत्तीसगढ़ के बेटी
(पुस्तक समीक्षा)
कृति - इंद्रावती के बेटी (छत्तीसगढ़ी उपन्यास)
लेखक -सुधा वर्मा
प्रकाशक -छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग
प्रकाशन वर्ष -2023
सुधा वर्मा के लेखन म प्रकृति हर अपन रहस्य खोलथे अउ संगे -संग पर्यावरणीय संचेतना हर वोमे उफनात रहिथे।चाहे होकर ललित निबंध के किताब मन होय कि वोकर औपन्यासिक कृति मन; ये सबो म पर्यावरण के प्रति विशेष लगाव, ये धरती के सुंदरई ल बचा के राखे के कशमकश, ये सब हर पाठक ल पुरुत दर पुरुत दिखथे। सुधा वर्मा के लेखन म सदाकाल ले मानवी गरिमा ल सबले ऊँच ठउर दिए गय हे। ये बात के साक्षात प्रमाण हावे अभी-अभी प्रकाशित वोकर छत्तीसगढ़ी उपन्यास- इंद्रावती के बेटी।
सुधा वर्मा सिद्धहस्त गद्यकार ये। गद्य अगर कवि मन के निकष अर्थात कसौटी ये,तब निबंध हर गद्यकार मन के कसौटी ये।अउ सुधा के बहुत अकन लेखन हर स्वतंत्र निबंध ये।येकर बाद भी वोकर किस्सागोई हर चमत्कारिक रूप ले अब्बड़ सबल हे।छत्तीसगढ़ी के प्रख्यात निबंधकार होय के संगें -संग वोकर औपन्यासिक कृति मन घलव बहुत खास हें।
इंद्रावती के बेटी के कथानक हर इकहरा अउ शांत हे। वोमन सस्पेंस थ्रिल नई ये।येकर कथानक म नरवा- झोरखी मन असन उछाल अल्हड़पन नइये। फेर येहर तो बाढ़े पूरा असन दमोरत, उबुक- चुबुक होत नदिया के धार असन प्रवाहमान हे।
सुरम्य बस्तर, सुंदर जगदलपुर, रमणीय चित्रकोट अउ मनोहारी इंद्रावती के पृष्टभूमि हर, मानवता ल शर्मसार करने वाला एकठन अउ आन घटना के भी गवाही बनथे। गठरी- मोटरी म नानकुन बिन नेरूहा झरे नोनी लइका ल, कोन हतभागी महतारी कि बाप कि दुनों के दुनों इंद्रावती ल भेंट चढ़ा देय रथें। अपन नदी सफाई अभियान म लगे सिवचरण ल, वो लइका वाला मोटरी हर मिलथे।अउ वोहर वो लइका ल, रेस्टहाउस म ले आनथे,जिहाँ वोहर बुता करत रहिथे।कनहुँ आन के द्वारा करे गय पाप ल, सिवचरण अउ पार्वती अपन निस्वार्थ निष्कलुष सेवा अउ कर्तव्य भाव ले , कंचन ल पढो -बढ़ो के धो देथें।
ये कृति के कलेवर हर भले ही छोटे हे फेर येहर अपन आप म सम्पूर्ण उपन्यास ये।अगर कलेवर के मापदंड म बात करबो,तब येला अधिक से अधिक उपन्यासिका कह सकत हंन।फेर कलेवर के विस्तार हर गौण जिनिस ये।असल ये कथा के प्रभाव।अउ प्रभाव के दृष्टि ले देखबो तब येहर सम्पूर्ण उपन्यास ये।जैनेंद्र कुमार के 'त्यागपत्र' हर कतेक बड़े हे? पांडेय वंशीधर शर्मा लिखित छत्तीसगढ़ी के पहिली उपन्यास 'हीरू के कहिनी'कतेक बड़ हे? असल बात ये, अगर कोई कथा हर, मनखे के सम्पूर्ण जीवन के आईना ये,तब वोमे उपन्यास हर झाँकत हे।येकर उलट, मनखे के जीवन के एकांगी पक्ष ल लेके लिखे गय हजार पृष्ठ के कोई कहानी हो सकत हे। 'इंद्रावती के बेटी' हर एकठन सम्पूर्ण उपन्यास ये,क़ाबर कि येमें कंचन के जीवन वृत हर बहुत अउ बहुआयामी विस्तार पाय हे।
ये उपन्यास के कथा म कई ठन मोड़ ये अउ उपन्यास पढ़त बेर ,एकठन चलचित्र देखे के अनुभूति होत रथे।छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक तत्व मन येमे बहुत सुघ्घर ढंग ले आगु आत रथें। येमें सुदूर जगदलपुरी संस्कृति के जीवंत झांकी हे।
नैतिकता अउ मर्यादा के स्तर म सिवचरन अउ पार्वती के पति - पत्नी बनके कंचन के बिहा करना, वोकर भरण पोषण करना,फेर वोमन के बीच भौतिक सम्बंध न होना जइसन कईठन बुता हे; जेहर अभी के भौतिकवादी समाज म सपना असन लागथे।फेर अइसन भी हो सकत हे कहके उपन्यासकार हर नैतिकता के पाठ पढ़ाय हे।ठीक अइसन दिल्ली जइसन सिविल जगहा ल मुरछ के ये बन- डोंगरी म डॉक्टरी करे के संकल्प लेवई के पीछू भी वोइच गोठ हे।
सुधा के ये उपन्यास म भाषा के संस्कारित रूप अउ शिल्प के चारुता बरोबर दिखत हे।आज से बीस बच्छर पहिली के छत्तीसगढ़ी, ठीक अइसन पचास बच्छर पहिली के छत्तीसगढ़ी असन नइये। आज के नावा छत्तीसगढ़ी के नावा भाषायी रूप हे, अपन खुद के शिल्प विधान हे। 'इंद्रावती के बेटी' हर अभी के ये संस्कारित छत्तीसगढ़ी के भाषा अउ शिल्प ल अपनाय हे। येहर उपन्यासकार के अपन निज सफलता अउ सिद्धि ये।
सबो औपन्यासिक तत्व मन ल बहुत ही चोखट ढंग ले संजोरे ये उपन्यास 'इंद्रावती के बेटी' हर छत्तीसगढ़ी उपन्यास के दुनिया म अपन खास चिन्हारी बनाही।येहर संग्रहनीय अउ पठनीय उपन्यास हे।
रामनाथ साहू
देवरघटा (डभरा)
जिला -सक्ती (छत्तीसगढ़)
पिन-495688
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